'जिम्मेदार कौन' अभियान के जरिए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, FB पोस्ट में कही ये बात
'जिम्मेदार कौन' अभियान के जरिए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, FB पोस्ट में कही ये बात
लखनऊ, जून 01: कोरोना वायरस महामहारी के बीच कांग्रेस नेता मोदी सरकार पर हमलावर है। इस बीच कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार के खिलाफ 'जिम्मेदार कौन' अभियान चल रखा है। इसके अभियान के तहत वह लगभग हर रोज केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सामने सवालों की झड़ी लगा दी है। मंगलवार 01 जून को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है।
प्रियंका गांधी ने कहा, 'दुनिया भर से जुटे डेटा से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि टीकाकरण महामारी के प्रबंधन के लिए एक प्रभावी उपकरण है। जिन देशों ने अपनी जनसंख्या का महत्वपूर्ण प्रतिशत टीका लगाया है, उन्हें उन लोगों की तुलना में हल्की दूसरी लहर का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने नहीं किया है। हमारे देश में दूसरी लहर, पहली लहर से 320 प्रतिशत ज्यादा भयानक साबित हुई। यह पूरे विश्व का रिकॉर्ड है।
प्रियंका गांधी आगे लिखती हैं कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। कहा कि भारत के पास स्मालॉक्स, पोलियो की वैक्सीन घर-घर पहुंचाने का अनुभव है, लेकिन मोदी सरकार की दिशाहीनता ने वैक्सीन के उत्पादन और वितरण दोनों को चौपट कर दिया है। भारत की कुल आबादी के मात्र 12 प्रतिशत को अभी तक पहली डोज़ मिली है और मात्र 3.4 प्रतिशत आबादी पूरी तरह से वैक्सिनेटेड हो पाई है। 15 अगस्त 2020 के भाषण में देश की पीएम ने देश के हरएक नागरिक को वैक्सिनेट करने की ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा था कि पूरा खाका तैयार है।
लेकिन अप्रैल 2021 में, दूसरी लहर की तबाही के दौरान, उन्होंने पूरा यू टर्न कर लिया था। सभी भारतीय नागरिकों को टीका लगाने की पूरी जिम्मेदारी लेने के बजाय, इसका आधा भार राज्य सरकारों पर डाल दिया। प्रियंका ने आगे कहा मोदी सरकार ने 1 मई तक मात्र 34 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया था तो बाकी वैक्सीन आएंगी कहां से? उन्होंने कहा देश में वैक्सीन अभाव के चलते कई राज्य सरकारें ग्लोबल टेंडर निकालने को मजबूर हुईं। मगर उन्हें खास सफलता नहीं मिली। Pfizer, Moderna जैसी कम्पनियों ने प्रदेश सरकारों से डील करने से इनकार कर दिया।
18-45 आयुवर्ग की आबादी को वैक्सीन लगाने का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। मोदी सरकार की फेल वैक्सीन नीति के चलते अलग-अलग दाम पर वैक्सीन मिल रही है। जो वैक्सीन केंद्र सरकार को 150रू में मिल रही है, वही राज्य सरकारों को 400रू में और निजी अस्पतालों को 600रू में। वैक्सीन तो अंततः देशवासियों को ही लगेगी तो यह भेदभाव क्यों?
60
प्रतिशत
आबादी
के
पास
इंटरनेट
नहीं
भारत
की
60
प्रतिशत
आबादी
के
पास
इंटरनेट
नहीं
है
और
कईयों
के
पास
आधार
या
पैन
कॉर्ड
भी
नहीं
होता।
ऐप
आधारित
वैक्सीनेशन
प्रणाली
के
चलते
भारत
की
एक
बड़ी
जनसंख्या
वैक्सीन
लेने
से
वंचित
है।
सरकार
ने
इस
बारे
में
अभी
तक
प्रयास
शायद
इसलिए
नहीं
किया
क्योंकि
रजिस्ट्रेशन
की
प्रक्रिया
मुश्किल
होने
से
कम
समय
में
ज़्यादा
लोगों
को
वैक्सीन
लगवाने
का
बोझ
हल्का
हो
सकता
है।
अगर
हम
दिसंबर
2021
तक
हर
हिंदुस्तानी
को
वैक्सिनेट
करना
चाहते
हैं
तो
हमें
प्रतिदिन
70-80
लाख
लोगों
को
वैक्सीन
लगानी
पड़ेगी।
लेकिन
मई
महीने
में
औसतन
प्रतिदिन
19
लाख
डोज
ही
लगी
हैं।
प्रियंका
गांधी
ने
पूछे
ये
सवाल
-
मोदी
सरकार
ने
सभी
भारतीयों
को
टीका
लगाने
की
जिम्मेदारी
क्यों
निभाई?
यह
राज्य
सरकारों
को
अपने
स्वयं
के
टेंडर
जारी
करने
और
एक
दूसरे
के
साथ
प्रतिस्पर्धा
करने
के
लिए
मजबूर
क्यों
किया
गया
है?
सभी
राज्यों
को
निष्पक्ष
और
पारदर्शी
तरीके
से
वैक्सीन
क्यों
नहीं
जारी
की
जा
सकी?
-
वैक्सीन
की
कीमतों
को
कम
करने
और
एक
'वन
नेशन,
वन
वैक्सीन
प्राइस'
नीति
का
पालन
करने
के
लिए
कोई
कदम
क्यों
नहीं
उठाया
गया?
-
मोदी
सरकार
2021
के
अंत
तक
सभी
भारतीयों
को
टीका
लगाने
का
प्रस्ताव
कैसे
रखती
है,
जब
उसने
न
तो
पर्याप्त
वैक्सीन
खरीदी
है,
न
ही
पूरी
जनसंख्या
को
टीका
लगाने
के
लिए
स्पष्ट
और
प्रभावी
रणनीति
बनाई
है?
यह
हमें
एक
आसन्न
तीसरी
लहर
से
कैसे
बचाएगा?
-
सरकार
ने
हमारी
ग्रामीण
आबादी
के
हिस्से
को
टीकाकरण
के
प्रयास
में
इंटरनेट
तक
नहीं
पहुxचने
का
प्रावधान
क्यों
नहीं
किया
है?
क्या
यह
विश्वास
नहीं
करता
कि
उनकी
जिंदगी
मायने
रखती
है?