'कैंसर से नहीं हारी हिम्मत, अस्पताल में की पढ़ाई...' लखनऊ की प्रमिता तिवारी ने 12वीं में हासिल किए 97.75% नंबर
लखनऊ, 27 जुलाई: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली 17 साल की प्रमिता तिवारी ने आईएससी बोर्ड 12वीं की परीक्षा में 97.75 फीसदी नंबर हासिल किए हैं। हालांकि, प्रमिता तिवारी के लिए ये सब इतना आसान नहीं था। प्रमिता तिवारी को अगस्त 2021 में पता चला कि उन्हें ब्लड कैंसर है। मां-बाप टूट गए, कई लोगों को लगा कि प्रमिता का करिअर अब खत्म हो जाएगा। लेकिन, प्रमिता ने हिम्मत नहीं हारी और मुश्किल परिस्थितियों का सामना करते हुए इलाज के साथ-साथ पढ़ाई पर भी फोकस जारी रखा। नतीजा सबसे सामने है। परिवार के लोग बेटी पर गर्व है महसूस कर रहे हैं तो वहीं सोशल मीडिया पर लखनऊ की इस बेटी की प्रेरणादायक स्टोरी वायरल हो गई है।
एक साल पहले डिटेक्ट हुआ ब्लड कैंसर
एक साल पहले जब प्रमिता को अपनी बीमारी के बारे में जानकारी हुई तो वह एक समय के लिए टूट गई। लेकिन बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं हारी। एक महीने लखनऊ में इलाज कराने के बाद गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती हुईं। मां रेनू और पिता उत्कर्ष तिवारी बेटी का हौसला बढ़ाते रहे। उन्होंने बेटी को भरोसा दिलाया कि ईश्वर के आशीर्वाद से सब नॉर्मल हो जाएगा।
अस्पताल में साथ रखती थीं बुक, कभी जबरदस्ती नहीं की पढ़ाई
प्रमिता का कहना है कि वह पढ़ाई करने की इच्छा की वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का मुकाबला कर पा रही है। प्रमिता ने बताया कि लखनऊ के अस्पताल से कीमोथिरेपी के लिए उन्हें गुरुग्राम के मल्टि स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल ले जाया गया। जनवरी महीने में उनका बोन मैरो ट्रांसप्लांट हुआ। प्रमिता हमेशा टेक्स्ट बुक अपने पास ही रखती थीं और बेहतर महसूस करने पर पढ़ाई करती थीं। वह कहती हैं, मैंने कभी भी जबरदस्ती पढ़ाई की कोशिश नहीं की। बस पढ़ाई के समय पूरा फोकस टॉपिक को समझने में लगाया।
डॉक्टर बनना चाहती हैं प्रमिता तिवारी
बता दें, प्रमिता को स्कूल की तरफ से गुरुग्राम में परीक्षा के लिए बैठने का इंतजाम किया गया। अस्पताल में रहते हुए ही प्रमिता ने पहले और दूसरे टर्म की परीक्षा दी। पिता उत्कर्ष तिवारी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि प्रमिता की बीमारी अब कंट्रोल में है, लेकिन डॉक्टर्स के अनुसार उन्हें पूरी तरह से रिकवर करने में करीब 5 साल लग जाएंगे। प्रमिता ने कहा, ''मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। इलाज के दौरान डॉक्टर्स से बातचीत भी की और टिप्स भी लिया। स्कूल की तरफ से भी पूरा सहयोग मिला। टीचर्स ने स्पेशल ऑनलाइन क्लासेज का इंतजाम किया।''
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