Mukhyamantri SHRAMIK Yojana: झारखंड में बदल रहा श्रमिकों का जीवन, आ रही खुशहाली
रांची: मनरेगा की तरह झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार प्रत्येक वित्त वर्ष में श्रमिकों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री श्रमिक योजना की लोकप्रियता का कारण यही है कि इसका उद्देश्य श्रमिकों को आजीविका की सुरक्षा के लिए बेहतर स्थिति तैयार करके देना है। कोविड-19 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों की तादाद में श्रमिक झारखंड वापस लौटने को मजबूर हुए थे। ऐसी परिस्थितियों में उनके सामने अपने और अपने परिवार की कमाई सुनिश्चित करने, उनका गुजारा और उनकी बाकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की चुनौती एकसाथ बढ़ गई थी। ऐसे लोगों के लिए झारखंड सरकार की मुख्यमंत्री श्रमिक योजना किसी वरदान से कम नहीं है।
मुख्यमंत्री
श्रमिक
योजना
रोजगार
का
कानूनी
अधिकार
श्रमिकों
को
सुरक्षित
रोजगार
देने
के
अलावा
इस
योजना
का
दूसरा
लक्ष्य
ये
है
कि
इसके
माध्यम
से
प्रदेश
की
संपदा
को
और
बेहतर
और
सशक्त
किया
जा
सके।
जैसे
कि
टिकाऊ
रोड,
कैनाल,
तालाब,
कुआं,
इमारतें,
पार्क
आदि
का
निर्माण
और
पौधे
लगाने
जैसे
बहुउयोगी
कार्य।
इस
स्कीम
के
तहत
श्रमिकों
को
रोजगार
तो
उपलब्ध
करवाया
ही
जाता
है
और
ऐसा
ना
होने
पर
बेरोजगारी
भत्ते
के
रूप
में
एक
निश्चित
न्यूनतम
मजदूरी
भी
दी
जाती
है।
सबसे
बड़ी
बात
ये
है
कि
योजना
के
तहत
निर्धारित
श्रेणियों
में
कार्य
उपलब्ध
नहीं
हो
पाने
पर
आवेदक
बेरोजगारी
भत्ता
प्राप्त
करने
के
हकदार
हैं।
इस
तरह
से
मुख्यमंत्री
श्रमिक
योजना
रोजगार
का
एक
कानूनी
अधिकार
है।
सबसे
कमजोर
तबकों
के
लिए
सामाजिक
सुरक्षा
इस
योजना
के
माध्यम
से
विभिन्न
गरीबी
मिटाने
और
आजीविका
पहलों
की
मदद
से
विकेंद्रीकरण
वाली
व्यवस्था
को
तो
सुदृढ़
किया
ही
जा
रहा
है,
इसमें
जनता
की
भागीदारी
भी
सुनिश्चित
की
जा
रही
है।
यह
योजना
एक
तरह
से
समाज
के
सबसे
कमजोर
तबकों
के
लिए
रोजगार
के
मौके
देकर
पूरी
तरह
से
उन्हें
सामाजिक
तौर
पर
सुरक्षित
करने
की
व्यवस्था
है।
ऐसे
करें
मुख्यमंत्री
श्रमिक
योजना
के
लिए
आवेदन
इस
योजना
से
जुड़ने
के
लिए
इस
लिंक
पर
क्लिक
किया
जा
सकता
है।
हालांकि,
इस
योजना
का
लाभ
लेने
के
लिए
यह
घोषणा
करना
अनिवार्य
है
कि
संबंधित
व्यक्ति
मनरेगा
योजना
का
लाभार्थी
नहीं
है।
लेकिन,
ग्रामीण
क्षेत्र
के
वैसे
श्रमिक
जिनके
पास
मनरेगा
जॉब
कार्ड
नहीं
है,
उन्हें
भी
इसमें
अपना
नाम
दर्ज
करवाने
का
अधिकार
है।
पिछले दो वर्षों में झारखंड में मुख्यमंत्री श्रमिक योजना का लाभ सबसे ज्यादा शहरी निकायों के अकुशल श्रमिकों को मिला है। करीब एक महीने पहले तक ही इस स्कीम के तहत साढ़े 63 से ज्यादा जॉब कार्ड लाभार्थियों को प्राप्त हो चुके थे और साढ़े 12 लाख से भी अधिक मानव कार्य दिवस सृजित हो चुके थे। इस योजना की शुरुआत 14 अगस्त, 2020 को हुई थी। इस योजना में व्यवस्था है कि अगर रजिस्टर्ड कामगार को 15 दिनों में रोजगार उपलब्ध नहीं होता तो वह बेरोजगारी भत्ते का अधिकारी होगा।
बेरोजगारी भत्ते की व्यवस्था कुछ इस तरह से है- पहले महीने न्यूनतम मजदूरी की एक-चौथाई, दूसरे महीने- आधा और तीसरे महीने न्यूनतम मजदूरी के बराबर। यानी काम मिले या ना मिले रजिस्टर्ड श्रमिकों को एक निश्चित कमाई मिलनी तय है।