राजस्थान में सियासी घटनाक्रम के बीच बदला जा सकता है कांग्रेस अध्यक्ष, पायलट समेत इन नामों की है चर्चा
जयपुर, 28 सितंबर। राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस पार्टी अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल सकती है। कांग्रेस के इस फैसले को प्रदेश में विधानसभा चुनाव और अशोक गहलोत और सचिन पायलट की गुट के बीच शक्ति संतुलन के लिहाज से देखा जा रहा है। इस बात की भी पूरी संभावना है कि कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की जगह पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। वही इस पद के लिए कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी और रामेश्वर डूडी के नाम की भी चर्चा है।
सोनिया गांधी से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचे पायलट
कांग्रेस में चल रहे तमाम सियासी घटनाक्रम के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सोनिया गांधी से मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पायलट ने मंगलवार को फोन पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से बातचीत की थी। इसमें पायलट को आश्वस्त किया गया था कि उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं तो पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा। सचिन पायलट की दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात संभव है।
राजस्थान में अगले साल होने हैं विधानसभा चुनाव
राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लिहाज से संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव कर सकती है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में अच्छी परफॉर्मेंस कर सकें। इस लिहाज से पार्टी का अध्यक्ष बदला जा सकता है।
जाट समुदाय को साधने की कोशिश
राजस्थान में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदला जाता है तो इस बात की भी पूरी संभावना है कि गोविंद सिंह डोटासरा की जगह किसी जाट नेता को ही फिर से पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए। ऐसे में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए हरीश चौधरी और रामेश्वर डूडी के नाम की भी चर्चा है। भाजपा में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया जाट समुदाय से आते हैं। वही हाल ही में भाजपा ने जगदीप धनकड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर जाट समुदाय में बड़ा संदेश दिया है। ऐसे में कांग्रेस भी जाटों को रिझाने की कोशिश करेगी।
गहलोत और पायलट गुट में शक्ति संतुलन की कवायद
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच गुटबाजी जगजाहिर है। मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से सचिन पायलट खफा हैं। ऐसे में पार्टी दोनों गुटों के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए सचिन पायलट को भी प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। पायलट ने प्रदेश में जमकर मेहनत भी की थी। पायलट का दावा है कि 2018 में कांग्रेस की सरकार उन्हीं की मेहनत की देन है। ऐसे में पार्टी एक बार फिर विधानसभा चुनाव साधने के लिए सचिन पायलट को मौका दे सकती है।