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राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार से छेड़छाड़ पर कांग्रेस में गुटबाजी, सीएम बदलने के फैसले से खफा है ये नेता

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जयपुर, 6 अक्टूबर। राजस्थान में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद से छेड़छाड़ करना कांग्रेस को भारी पड़ रहा है। प्रदेश में पिछले दिनों से सियासी घटनाक्रम हुआ। उसके बाद पार्टी के एक बड़े धड़े में नाराजगी है। पार्टी के एक खेमे में इस बात को लेकर नाराजगी है कि राजस्थान जैसे राज्यों के साथ छेड़छाड़ क्यों की गई। वह भी अशोक गहलोत के रहते हुए पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अशोक गहलोत गांधी परिवार के एकमात्र भरोसेमंद नेता है। गहलोत पिछले 3 साल से पार्टी के अंदर बाहर विरोधियों से भिड़ रहे हैं। पार्टी के उस धड़े का मानना है कि गहलोत को धोखा देना किसी भी कीमत पर सही नहीं है।

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अहमद पटेल के निधन के बाद गहलोत बने गांधी परिवार के संकटमोचक

अहमद पटेल के निधन के बाद गहलोत बने गांधी परिवार के संकटमोचक

सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के निधन के बाद अशोक गहलोत गांधी परिवार के असल संकटमोचक नेता बनकर उभरे। ऐसे में अगर अशोक गहलोत को साइडलाइन किया जाता है तो पार्टी में कोई दूसरा नेता नहीं है। जो गांधी परिवार का खुलकर बचाव करें और उसे विरोधी गंभीरता से सुने। राजस्थान की सियासी घटनाक्रम ने पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेताओं में असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया है। पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं। जो लगातार कांग्रेस में रहा हो और गांधी परिवार के प्रति समर्पण का भाव रखता हो।

अशोक गहलोत पिछले 50 साल से कांग्रेस से जुड़े है

अशोक गहलोत पिछले 50 साल से कांग्रेस से जुड़े है

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के मौजूदा नेताओं की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद नेता है। गहलोत पिछले 50 साल से शुद्ध कांग्रेसी नेता है। कांग्रेस में अधिकांश नेताओं में नाराजगी इसी बात को लेकर है कि सचिन पायलट पर भरोसा क्यों किया गया। जबकि वह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश करने के दोषी थे। यह नेता इस बात से भी ज्यादा दुखी है कि अगर राजस्थान में सरकार गिर गई और कोई तीसरा दल सामने आ गया तो यहां से भी कांग्रेस हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।

कांग्रेस में हाईकमान के भरोसेमंद नेताओं की कमी

कांग्रेस में हाईकमान के भरोसेमंद नेताओं की कमी

कांग्रेस में हाईकमान के भरोसेमंद नेताओं की कमी है। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का निधन हो गया। एके एंटनी ने अपनी उम्र के चलते राजनीति में सक्रियता कम कर दी है। अंबिका सोनी जरूर सक्रिय हैं और पार्टी की कोर ग्रुप की सदस्य दी है। एंटनी, खड़गे और अंबिका सोनी भी राजस्थान की घटना से खुश नहीं है। इसके अलावा आनंद शर्मा और सेम पित्रोदा ने गहलोत का साथ देकर सोनिया गांधी के साथ गहलोत की बैठक करवा कर मामले को संभाला। इन नेताओं को इस बात का भी दुख है कि अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते तो पार्टी केंद्र में मजबूत होती। कांग्रेस की राजस्थान में भी आसानी से वापसी हो सकती थी।

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English summary
Rajasthan Politics Congress Ashok Gehlot government, leaders upset decision change CM
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