Jabalpur News: बच्चे को पटककर पीटने के मामले में FIR, एसएएफ का आरक्षक ही आरोपी, बाकी दो क्यों नहीं?
जबलपुर, 13 अगस्त: नौ साल के बच्चे को पैरों से कुचलकर और पटककर मारने का वीडियो वायरल हुआ था। जबलपुर की रांझी पुलिस मामले पर पर्दा डालने में जुटी रही, लेकिन जब वीडियो का हल्ला मचा तो एसपी ने FIR के निर्देश दिए। पुलिस ने मारपीट करने वाले तीन आरोपियों में से सिर्फ SAF के आरक्षक के खिलाफ ही केस दर्ज किया है। जबकि अन्य दो लोग भी बच्चे को बुरी तरह पीट रहे थे।
बच्चे से मारपीट मामले में FIR
जबलपुर के रांझी इलाके के मस्ताना चौक के नजदीक घटना हुई थी। जहां 9 साल के बच्चे के साथ हुई बेरहमी से मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था। मामले का पता लगने के बाद नजदीकी रांझी थाने की पुलिस मामले को दबाने में जुटी थी। लेकिन जब वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया में तूल पकड़ा तो एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने FIR के निर्देश दिए।
सिर्फ अशोक थापा को बनाया गया मुजरिम
वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए एसपी ने रांझी पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए है। पुलिस ने मारपीट की सामान्य धाराओं समेत बाल संरक्षण अधिनियम 2015 के तहत FIR दर्ज की है। इसमें एसएएफ में पदस्थ आरोपी आरक्षक अशोक थापा को ही आरोपी बनाया है, जबकि मारपीट की घटना में शामिल अन्य दो आरोपियों पर पुलिस मेहरबान नजर आ रही है।
बनियान पहना शख्स बच्चे को कुचल रहा था
ताज्जुब इस बात का है कि वायरल वीडियो में सफ़ेद बनियान पहना शख्स बच्चे को पैरों से कुचलता दिखाई दे रहा, उसके बाबजूद उसे आरोपी नहीं बनाया गया। अन्य एक और व्यक्ति पूरी घटना में सहयोगी रहा, उसे भी छोड़ दिया गया। पुलिस के इस रवैये को लेकर सोशल मीडिया पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त हो रही है।
बच्चे पर साइकिल चोरी करने का आरोप
इधर जब मामले की तह में पुलिस गई तो पता चला कि तीन लोग मिलकर जिस नौ साल के बच्चे को बेरहमी से पीट रहे थे, उस लड़के ने SAF आरक्षक के घर के सामने खड़ी साइकिल चुराई थी। जिसके बाद पीछा करते हुए तीनों लोगों ने उस बालक को पकड़ा फिर मारपीट शुरू कर दी। लड़के को पैरों से कुचलने और पटककर पीटने के बाद उसे स्कूटी में बैठा कर ले गए। पुलिस का कहना है कि आरोपी अशोक थापा लड़के को पुलिस थाने लाया था, लिहाजा यह कृत्य अपहरण की श्रेणी में नहीं आता।
SAF की 6वीं बटालियन में पदस्थ है अशोक
बताया गया कि मामले का मुख्य आरोपी अशोक थापा जबलपुर में SAF की 6वीं बटालियन में पदस्थ है। उसके खिलाफ हुई पुलिस FIR की जानकारी एसएएफ के अधिकारियों को भी भेज दी गई है। जहां विभागीय कार्रवाई भी होगी। वही घटना का शिकार बच्चे की मां काफी वक्त पहले अपने पति का साथ छोड़ चुकी है। पिता भी नशा करता है। बालक पढ़ाई करना चाहता था, लेकिन गरीबी के कारण वह स्कूल नहीं जा सका और गलत रास्ते पर चल पड़ा।
कानून की क्यों उड़ रही धज्जियां?
बच्चे ने चोरी जैसा गलत काम किया, उसका कोई भी पक्षधर नहीं है। लेकिन कानून हाथ में लेकर किसी अपराध की खुलेआम सजा देने की इजाजत भी कोई कानून नहीं देता। बच्चे के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती थी, लेकिन पुलिस महकमे से ही जुड़े विभाग का व्यक्ति अमानवीयता की पराकाष्ठा पार करने जुट गया। जिसे हरगिज जायज नहीं ठहराया जा सकता है।