हादसे होते रहे, जिंदा जलते रहे लोग...लेकिन आज तक सुनाई नहीं दी चीख, जानिए देश के बड़े अग्निकाण्ड
जबलपुर, 02 अगस्त: एक बार फिर कहने के लिए वो हादसा है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा बड़ा 'सवाल' भी है..देश का दिल मध्यप्रदेश, संस्कारधानी जबलपुर में प्राइवेट न्यू लाईफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अग्निकांड से दहल गया। फिर 'किसी भाई की कलाई सूनी हो गई, मासूम के सिर से पिता का साया उठ गया, तो किसी के अपनों के रिश्तें की डोर जल गई।' सोमवार को पल-भर में आग की लपटों से लगे 8 लाशों के ढेर ने देश के बड़े अग्निकांड के पन्नों को भी पलट दिया है। हमने उन बड़े हादसों से क्या सबक लिया, जिसमें लोग जिंदा जलते गए और उसके बाद सवालों की चिंगारियां भड़कती रही...जानना जरुरी है कि देश के वो बड़े हादसे, जिसमें जिंदा जल गए..

वो स्कूल जहाँ 258 मासूम बच्चों समेत 442 लोग जिंदा जले
तारीख 23 दिसंबर 1995: साढ़े तीन दशक से ज्यादा वक्त गुजर गया। हरियाणा के सिरसा डबवली का DAV स्कूल का वार्षिक उत्सव का प्रोग्राम था। जिसमें बड़े उमंग और उत्साह से बच्चे और उनके पैरेंट्स शामिल हुए थे। प्रोग्राम देखने भीड़ इतनी कि स्कूल के गेट पर ताला लगवाना पड़ा था। किसी ने सपने में नहीं सोचा था, डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों से खचाखच भरे इस स्कूल का जश्न पल भर में मातम में तब्दील होने वाला है। आयोजन स्थल पर गेट के पास शॉर्ट सर्किट हुआ और थोड़ी ही देर में आग की लपटों से पंडाल घिरता चला गया। वही पास में खाना बन रहा था, जहां रखे गैस सिलेंडर बम के गोले की तरह फटने लगे, जनरेटर में डीजल होने की वजह से आग और विकराल हो गई। ठंड का मौसम था, तो पॉलिथीन के तिरपाल से पंडाल की छत ढकी थी, वहां भी आग पहुंची तो महज 7 मिनट के भीतर पॉलिथीन पिघलती हुई, वहां मौजूद बच्चों और लोगों के ऊपर गिरने लगी। आग इतनी भीषण थी कि न तो लोग स्कूल के बंद गेट से बाहर भाग पाए और न ही आग से बच सकें। इस हादसे में 258 मासूम बच्चों और 136 महिला समेत कुल 442 लोग जिंदा जल गए थे, सैकड़ों लोग बुरी तरह झुलस गए थे। जिसके जख्म आज भी हादसे की याद दिला देते है।

59 लोगों की जिंदगी का लास्ट शो
तारीख 13 जून 1997: देश के अग्नि हादसों के इतिहास में यह तारीख कभी नहीं भुलाई जा सकती है। शुक्रवार का दिन था और दिल्ली उपहार सिनेमा में सनी देओल, सुनील शेट्टी की सुपर हिट फिल्म बॉर्डर का फर्स्ट डे, फर्स्ट शो था। फिल्म का पहला शो देखने दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी थी। इसी दौरान फिल्म के सेकेंड शो में बेसमेंट में रखे जनरेटर में आग लग गई। धीरे-धीरे पूरी टॉकीज में आग फ़ैल गई और भगदड़ मच गई। हादसे में 59 लोग जिंदा जल गए, जबकि एक सैकड़ा से ज्यादा लोग घायल हुए। सबसे दर्दनाक बात यह थी कि मृतकों में 23 बच्चे भी शामिल रहे।

जब 94 मासूम बच्चे धू-धूकर जिंदा जले
तारीख 16 जुलाई 2004: तमिलनाडु में तंजावुर जिले के कुंभकोणम श्रीकृष्णा मिडिल स्कूल में हुई अग्नि दुर्घटना ने भी पूरे देश को झकझोर दिया था। इंगिलश मीडियम स्कूल इस स्कूल में लगभग 900 बच्चे पढ़ते थे। अधिकांश बच्चों की उम्र 5 से 13 साल थी। स्कूल की पक्की बिल्डिंग में छत को नारियल की लकड़ी और उसके पत्तों से आगे बढ़ाया गया था। यहां के रसोई में खाना पकाते वक्त सिलेंडर में आग भभक उठी थी, जो बिल्डिंग की छत तक जा पहुंची और स्कूल में पढ़ने वाले 94 मासूम बच्चे आग के आगोश में समा गए।

यहां आतंक की आग में 35 लोग जिंदा जले
15 सितंबर, 2005: बिहार के खुसरोपुर गांव में संचालित पटाखा फैक्ट्री अग्निकांड को भी नहीं भुलाया जा सकता। यहां हकीम मियां नाम के एक शख्स का घर अवैध पटाखा फैक्ट्री बना था। यहां अचानक हुआ विस्फोट इतना जबरदस्त था कि पास की दो अन्य फैक्ट्री भी चपेट में आ गई। कुछ ही देर में आसपास के कई मकान मलबे में तब्दील हो गए। इस घटना में 35 लोगों को अपनी जान गंवाना पड़ी थी। मृतकों में फैक्ट्री में काम करने वाले लोग भी शामिल थे। बाद में खुलासा हुआ था कि यहां श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट की साजिश रचने वाले रोनी उर्फ आलमगीर ने इसी फैक्ट्री से विस्फोटक तैयार करवाया था।

जब एयरकूल्ड पंडाल बन गया ‘मौत’
तारीख 10 अप्रैल 2006: उत्तरप्रदेश का मेरठ, इस तारीख को याद कर आज भी कांप उठता है। यहाँ के फेमस विक्टोरिया पार्क में कंज्यूमर मेला लगा था। भीषण गर्मी का दौर था, तो मेले में पहुँचने वाले कंज्यूमर को सुकून देने एयरकूल्ड पंडाल सजाया गया। जिसमें शॉर्ट सर्किट से आग भड़क गई और देखते ही देखते लगभग 65 लोगों की जिंदगी तबाह हो गई। डेढ़ सौ से ज्यादा लोग इस अग्निकांड में बुरी तरह झुलस गए।

जिंदगी बचाने वाली जगह पर जलने लगी 89 जिंदगियां
तारीख 8 दिसंबर 2011: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में, इस तारीख के अगले दिन की सुबह, काला अंधेरा लेकर हुई। यहां के एएमआरआई अस्पताल के ICU वार्ड में भीषण आग लग गयी थी। जहां भर्ती मरीजों समेत अस्पताल का स्टाफ हादसे की चपेट में आया और लगभग 89 लोगों की जीवनलीला समाप्त हो गई। यहां ऑक्सीजन गैस सिलेंडर भी थे। आग लगने के बाद कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस ने अस्पताल में मौजूद लोगों का दम भी घोंट दिया था। इस हादसे में सौ से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए थे।

मौत की फैक्ट्री में 54 लोगों की जिंदगी तबाह
तारीख 9 सितंबर, 2012: तमिलनाडु के शिवकासी की एक पटाखा फैक्ट्री में भयानक विस्फोट हुआ, जिसकी वजह से फैक्ट्री में अलग रखा बारूद का ढेर भी चपेट में आ गया। थोड़ी ही देर में पूरी फैक्ट्री ख़ाक हो गई। भीषण आग में वहां काम करने वाले 54 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। लगभग 78 लोग इस हादसे घायल हुए थे। दीपावली के पहले यह दुर्घटना हुई थी, आज भी दीपावली के पहले सितंबर का महीना आते ही लोग सिहर उठते है।

मुंबई में 14 लोगों की मौत का मंजर
तारीख 28 दिसंबर,2017: मायानगरी मुंबई भी बड़े अग्नि हादसों से अछूती नहीं रही। नए साल के जश्न के ठीक तीन दिन पहले कमला मिल्स परिसर स्थित एक कॉमर्शियल इमारत में अग्नि हादसा हुआ। लोग अपने जश्न की तैयारियों में थे, उसी दौरान बिल्डिंग में आग लग गई थी। यह इमारत पब डांस बार संचालक की थी।जिसमें फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम न होने की वजह से 14 लोगों की आग में जलने से मौत हो गई। हादसे में कई लोग घायल भी हुए थे।

सरकार की आँखों के सामने जिंदा जले 7 मासूम
तारीख 08 नवम्बर 2021: एमपी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक वार्ड में घटना हुई। रात के वक्त पीआईसीयू में शॉर्ट सर्किट से ब्लास्ट हुआ, फिर थोड़ी देर बाद यहां बच्चों के कमला नेहरु अस्पताल की तीन मंजिल तक आग भड़क गई। जिसमें 7 मासूमों की जान चली गई और उनके परिजनों समेत कई लोग घायल हुए। राजधानी भोपाल जहाँ से प्रदेश की सरकार चलती है, वहां के अस्पताल में भी फायर सेफ्टी की अनदेखी की गई।

मनमानी की मंजिल जब लील गई 27 लोगों की जान
तारीख 10 मई, 2022: इसी साल मई के महीने में दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के नजदीक चार मंजिला कॉमर्शियल इमारत में भीषण आग लगी थी। यहां सीसीटीवी कैमरा और राउटर निर्माता कंपनी का कार्यालय संचालित होता था। फायर सेफ्टी सिस्टम और नियमों को दरकिनार कर कंपनी अपना दफ्तर संचालित करती थी। जिसकी वजह से आग ऊपर की मंजिल की तरफ बढ़ती गई। इस हादसे में 27 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। वही दर्जनभर से ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हुए।

सिरफ़िरे आशिक ने मचवाया मौत का तांडव
तारीख 07 मई, 2022: मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर में भी इसी साल मई के महीने में हादसा हुआ। स्वर्ण बाग़ कॉलोनी की दो मंजिला मकान में सुबह के वक्त आग लगी, जिसमें 7 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। शुरुआत में इसे शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगने की वजह बताई जाती रही, लेकिन बाद में जो खुलासा हुआ वह बेहद चौकाने वाला था। यह अग्निकांड, इसी बिल्डिंग में रहने वाले एक सिरफिरे आशिक की वजह से हुआ। जिसने अपनी प्रेमिका की कार में आग लगा दी थी।

आखिर जिम्मेदार कौन ?
तारीख 01 अगस्त 2022: अब एमपी के जबलपुर के ताजा मामले में भी पुराने हादसों की तरह सरकारी फ़ाइल तैयार होने जा रही है। तमाम नियम-कानून है, बाबजूद इसके अस्पताल हो, हाईराइज़ बिल्डिंग, कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स या फिर अन्य दूसरी जगह...वहां फायर सेफ्टी के इंतजामों की निगरानी कागजों तक ही सीमित है। यह हम नहीं, बल्कि सरकारी वो दस्तावेज कह रहे है, जिनको पढ़कर वापस फाइलों में ही रख दिया जाता है। यदि ऐसा नहीं होता तो शायद ऐसे होने वाले हादसों और मौतों को टाला जा सकता था।
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