शी जिनपिंग ने चीन के लिए विजन 2035 पेश किया, ताउम्र बने रहे सकते हैं चीनी राष्ट्रपति?
नई दिल्ली। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 4 दिवसीय अधिवेशन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 2035 विजन पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसकी जरिए चीनी राष्ट्रपति चीन के आधुनिकीकरण अभियान को आगे बढ़ाते हुए देश के घरेलू खर्च और तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूती देते हुए देश को विकसित करना चाहते हैं, लेकिन विजन 2035 के लिए पार्टी का यह निर्णय असमान्य था, जिसने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की खुद की योजनाओं के बारे में नए सिरे से चर्चा शुरू कर दी है।
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गौरतलब है राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कभी भी अपने भविष्य को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से पर्याप्त संकेत देते रहे हैं कि वह 2022 में समाप्त होने वाले अपने दो कार्यकाल के बाद भी सत्ता छोड़ने वाले नहीं हैं। इन संकेतों में एक था वर्ष 1982 में डेंग जियाओपिंग द्वारा लाए गए एक संवैधानिक मानक को हटाना, जिसके मुताबिक कोई भी व्यक्ति दो से अधिक कार्यकाल के लिए चीन का राष्ट्रपति नहीं बना रह सकता था। इस कदम ने अटकलों को हवा दे दी थी कि 67 वर्षीय शी जिनपिंग आजीवन चीन के राष्ट्रपति बने रह सकते हैं।
माना जाता है शी जिनपिंग को कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ जडोंग के बाद पार्टी का सबसे ताकतवार नेता है, जो चीनी राष्ट्रपति होने के साथ-साथ पार्टी महासचिव और सेना प्रमुख भी हैं। चीनी लोगों को माओ जडोंग के समान निरंकुश शासन से बचाने के लिए ही डेंग जियाओपिंग की व्यवस्था विकसित की गई थी, जो राष्ट्रपति की सत्ता अवधि निर्धारण की एक व्यवस्था थी, जिसे शी जिनपिंग हटा चुके हैं।
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राष्ट्रपति शी को जब सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था को खत्म करने के लिए पार्टी का नेतृत्व मिला तो अधिवेशन में उन्होंने अपने अधिकार मजूबती से स्थापित किए थे और वर्ष 2017 में हुए अधिवेशन बैठक में नेतृत्व की शक्तियां जिनपिंग के सुपुर्द कर दी गईं थी। इस बैठक से पहले पार्टी और चीनी सेना में शी जिनपिंग के कई विरोधियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। एक विश्लेषण के मुताबिक कमांडर इन चीफ शी जिनपिंग ने वर्ष 2016 तक जनरल रैंक के 73 अधिकारियों को हटा दिया था और ऐसे अधिकारियों को आगे लेकर आए, जो उनके समर्थक थे।
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चीनी राजनीति के जानकार दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, ताईवान और भारत के साथ सीमा पर जिनपिंग की आक्रामता को अमेरिकी की तरह चीन की महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा से जोड़कर देखते हैं। बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव( BRI) जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट दूसरे देशों को चीन की अर्थव्यवस्था की ओर आकर्षित कर रहा है, जिससे और अधिक देश चीनी वित्तीय प्रणाली के दायरे में शामिल हो गए है। चीन के शहरों को 5जी और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के जरिए स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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चीन की इस रणनीति की सफलता को पिछले सप्ताह देखा गया था जब अमेरिका के विदेस मंत्री माइक पोम्पियो ने श्रीलंका को चीन के खिलाफ गठबंधन में भागीदार बनाने का प्रयास किया था। इस संबंध में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने कथित तौर पर अमेरिका से कहा था कि वह किसी एक देश का पक्ष नहीं लेना चाहते हैं, और खासकर तब जब चीन सालों से यहां अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है।
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चीन पर नजर रखने वालों ने जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता में बने रहने की संभावना एक प्रमुख घटक है, जो बीजिंग के साथ काम करते समय देशों को ध्यान में रखना होगा, क्योंकि यह एक लोकतंत्र नहीं है जहां नेतृत्व एक निश्चित अवधि के बाद बदल सकता है। जैसे अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प को जो बाइडेन से एक चुनौती का सामना करना पड़ता है। अगर जो बाइडेन व्हाइट हाउस तक पहुंचते हैं तो उनके कम अप्रत्याशित होने की उम्मीद है।
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