समस्तीपुर से सिंगापुर तक क्यों बढ़ रहे चिकन के दाम?
चिकन दुनिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला मीट है। इस लोकप्रिय मीट की कीमत पूरी दुनिया में लगातार बढ़ती जा रही है।
न्यूयॉर्क, 29 मईः चिकन दुनिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला मीट है। इस लोकप्रिय मीट की कीमत पूरी दुनिया में लगातार बढ़ती जा रही है। चाहे वह बिहार का समस्तीपुर हो या अमेरिका का मैनहटन या फिर लंबी संमुद्र तट वाला देश सिंगापुर। शायद ही ऐसी कोई जगह बची है जहां से इसकी कीमत बढ़ने की खबर नहीं आ रही है।
तीन कारणों से बढ़ रही चिकन की कीमत
पूरी
दुनिया
में
चाहे
वह
अमीर
हो
या
गरीब,
कम
या
अधिक
हर
चिकन
प्रेमी
इसकी
बढ़ती
कीमतों
से
प्रभावित
जरूर
हुआ
है।
लेकिन
सवाल
ये
है
कि
पूरी
दुनिया
में
एक
साथ
चिकन
महंगा
क्यों
होता
जा
रहा
है?
ब्लूमबर्ग
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
हाल
के
महीनों
में
चिकन
की
कीमतों
में
तेजी
से
वृद्धि
हुई
है।
कीमतों
में
वृद्धि
के
तीन
मुख्य
कारण
बताए
गए
हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध सबसे बड़ा कारण
चिकन की कीमतों में तेजी की सबसे बड़ी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों द्वारा मास्को पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए, जिससे उनके बीच तनावपूर्ण संबंध बन गए हैं। यूक्रेन युद्ध के बीच गैस और गेहूं सबसे अधिक प्रभावित वस्तुओं में से एक हैं। आप सोच रहे होंगे कि गैस और गेहूं के बीच यह चिकन कहां से आ गया है? लेकिन सच्चाई यही है कि चिकन की कीमतों में वृद्धि भी युद्ध से जुड़ी है।
चिकन फीड की सप्लाई चेन प्रभावित
दरअसल यूक्रेन मकई और गेहूं का एक प्रमुख उत्पादक देश है - ये दोनों चीजें चिकन फीड के मुख्य घटक हैं। लेकिन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति काट दी गई है। इस वजह से चिकन फीड के सप्लाई में व्यवधान पैदा हो रहा है जिससे पोल्ट्री किसानों को काफी परेशानी हो रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में बीते दिसंबर की तुलना में एक पक्षी की कीमतों में लगभग 8 प्रतिशत का उछाल आया है।
लगभग 4 करोड़ मुर्गियों की मौत
चिकन
महंगे
होने
की
दूसरी
सबसे
बड़ी
वजह
मुर्गियों
में
फैली
बीमारियों
का
होना
है।
एवियन
फ्लू
पोल्ट्री
किसानों
के
लिए
एक
और
झटके
के
रूप
में
उभरा
है।
इसकी
वजह
से
कोरोड़ों
मुर्गियों
को
मार
दिया
गया।
ब्लूमबर्ग
की
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
अमेरिका
में
फरवरी
की
शुरुआत
से
अब
तक
38
मिलियन
से
अधिक
मुर्गियां
और
तुर्की
बड़े
पैमाने
पर
प्रकोप
में
मारे
गए
हैं।
वहीं,
ब्रिटेन
भी
बीते
साल
के
अंतिम
महीनों
में
बर्ड
फ्लू
के
अपने
सबसे
बड़े
प्रकोप
का
सामना
कर
चुका
है।
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
वहां
हर
20
में
से
एक
पक्षी
को
मार
दिया
गया।
आर्थिक मंदी भी है वजह
वहीं
चिकन
की
कीमतों
में
बढोत्तरी
होने
की
तीसरी
सबसे
बड़ी
वजह
आर्थिक
मंदी
है।
बीते
सोमवार
यानी
कि
23
मई
को
मलेशिया
ने
घोषणा
की,
कि
वह
1
जून
से
3.6
मिलियन
मुर्गियों
के
निर्यात
को
तब
तक
रोक
देगा
जब
तक
कि
घरेलू
उत्पादन
और
कीमतें
स्थिर
नहीं
हो
जातीं।
मलेशिया
की
इस
घोषणा
को
स्थानीय
आपूर्ति
सुनिश्चित
करने
और
बढ़ती
खाद्य
लागत
पर
रोक
लगाने
के
लिए
एक
प्रमुख
विचार
के
रूप
में
देखा
जा
रहा
है।
इस
तरह
के
कदमों
से
चिकन
जैसे
उत्पादों
की
कीमतों
में
भी
बढ़ोतरी
हुई
है।