क्या था अमरीका और ईरान के बीच परमाणु समझौता
इस समझौते से अमरीका के बाहर निकलने के बाद हसन रूहानी ने कहा कि अगर दूसरे देश सहयोग बनाए रखते हैं तो ईरान पीछे नहीं हटेगा.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमरीका को अलग करने की घोषणा के कुछ मिनट बाद ही रूहानी ने कहा, "अगर हम अन्य सदस्य देशों के साथ सहयोग समझौते के उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं तो यह संधि बरकरार रहेगी."
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने मंगलवार को ये भरोसा दिलाया कि उनका देश बहुराष्ट्रीय परमाणु समझौते पर 'डटा' रहेगा.
इस समझौते से अमरीका के बाहर निकलने के बाद हसन रूहानी ने कहा कि अगर दूसरे देश सहयोग बनाए रखते हैं तो ईरान पीछे नहीं हटेगा.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमरीका को अलग करने की घोषणा के कुछ मिनट बाद ही रूहानी ने कहा, "अगर हम अन्य सदस्य देशों के साथ सहयोग समझौते के उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं तो यह संधि बरकरार रहेगी."
ईरानी राष्ट्रपति ने शिकायत भरे लहजे में कहा, "अमरीका अंतरराष्ट्रीय समझौते की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम नहीं रहता है."
पांच प्वाइंट्स में समझिए ईरान का परमाणु समझौता
- ईरान में दो जगहों, नाटांज और फोर्डो में यूरेनियम का संवर्धन किया जाता है. जिसका उपयोग परमाणु ऊर्जा के लिए किया जाता है. इसका उपयोग परमाणु हथियारों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है.
- जुलाई 2015 में ईरान के पास 20 हज़ार ऐसे मशीनी केंद्र थे, जहां यूरेनियम के रासायनिक कणों को अलग किया जाता था.
- ज्वाइंट एंड कम्प्लीट एक्शन प्लान के तहत इसकी संख्या 5,060 तक सीमित करने को कही गई थी. ईरान ने वादा किया था कि वो अपने यूरेनियम का भंडार 98 फीसदी तक घटाकर 300 किलोग्राम तक करेगा.
- जनवरी 2016 में ईरान ने यूरेनियम केंद्रों की संख्या कम की और सैंकड़ों किलोग्राम लो-ग्रेड यूरेनियम रूस भेजा था.
- समझौते के तहत शोध और विकास के कार्यक्रम सिर्फ नाटांज में अधिकतम आठ सालों तक किया जा सकेगा. वहीं, फोर्डो में अगले 15 सालों तक इस पर रोक लगाने की बात कही गई है.
कुछ हफ़्ते का दिया वक्त
राष्ट्रपति ने देश की संस्थाओं को यह भी निर्देश दिया है कि वो औद्योगिक स्तर पर यूरेनियम संवर्धन को बढ़ावा देने की प्रक्रिया शुरू करें.
उन्होंने कहा कि अन्य सहयोगी देश रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी अगर समझौते पर कायम नहीं रहते हैं तो यह करना जरूरी होगा.
उन्होंने कहा कि वो अपने सहयोगियों और परमाणु समझौते में शामिल अन्य देशों के साथ बातचीत के लिए ''कुछ हफ़्ते ही'' इंतज़ार करेंगे.
"हम लोग ऐसा करने के लिए कुछ हफ़्ते ही इंतजार करेंगे. समझौते में शामिल हम सभी देशों और पक्षों से बातचीत करेंगे. यह सब कुछ हमारे राष्ट्रीय हित पर निर्भर करता है."
उन्होंने आगे चेतावनी दी कि "अगर हमारे हित समझौते से सुरक्षित होते हैं तो ईरान अपना सहयोग कायम रखेगा. और अगर यह समझौता सिर्फ कागजी है तो हमारी आगे की कार्रवाई साफ है."
प्रतिबंधों पर ट्रंप की घोषणा
परमाणु ऊर्जा और हथियारों के लिए यूरेनियम की समृद्धि जरूरी है. इस पर नियंत्रण लगाना परमाणु समझौते के कई आधारों में से एक था.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की घोषणा के कुछ देर बाद ही हसन रूहानी टीवी पर बोल रहे थे. फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने भी अमरीका के इस फैसले पर प्रश्न उठाए हैं.
ट्रंप ने इस बात की भी घोषणा की कि परमाणु समझौते से पहले ईरान पर जो प्रतिबंध लगाए गए थे, उसे दोबारा लागू कर दिया गया है.
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोई देश "ईरान की मदद करता है तो अमरीका उस पर भी प्रतिबंध लगाएगा."
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि "समझौता ठीक नहीं था. अगर ईरान समझौते के तहत आने वाली सभी बातों का भी पालन करता तो वो कुछ ही समय में परमाणु हथियार विकसति करने में सक्षम होगा."
ट्रंप ने ईरान पर "आतंकवाद को बढ़ावा" देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "हमलोग इस बेकार समझौते के तहत ईरान के परमाणु बम को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं."
समझौते पर जर्मनी, चीन, अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस क साथ तेहरान ने हस्ताक्षर किया था, जिसके तहत ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के बदले उसे परमाणु कार्यक्रमों पर नियंत्रण लगाना है.
इस समझौते को ज्वाइंट एंड कम्प्लीट एक्शन प्लान का नाम दिया गया था, जो जनवरी 2016 में शुरू हुआ था.