FATF क्या है, जिसने पाकिस्तान के 'भाईजान' तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में डाला? जानिए क्या होगा असर
एफएटीएफ ने पाकिस्तान के बाद उसके जिगरी दोस्त तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया है।
पेरिस/इस्लामाबाद/अंकारा, अक्टूबर 22: पाकिस्तान के नये भाईजान बने तुर्की को भी अब एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है। पाकिस्तान तो पहले से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में मौजूद था, लेकिन आतंकियों को मदद पहुंचाने वाले नये देशों में तुर्की का नाम भी जुड़ गया है और तुर्की को ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है। एफएटीएफ के इस डंडे के बाद तुर्की की हालत खराब हो चुकी है, क्योंकि जो देश भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में जाते हैं, उनकी अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा नुकसान होता है।
ग्रे लिस्ट में रहेगा पाकिस्तान
ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानि एफएटीएफ ने गुरुवार को पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' पर बरकरार रखा है। एक ब्रीफिंग में एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने यह भी कहा कि तीन नए देशों तुर्की, जॉर्डन और माली को भी ग्रे लिस्ट में जोड़ा गया है। प्लीयर ने कहा कि, पाकिस्तान सहयोग कर रहा है और केवल चार एक्शन आइटम पूरे किए जाने बाकी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी के लिए पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने का कोई सवाल ही नहीं है।
शर्तें पूरी करने में नाकाम पाकिस्तान
इस साल जून में एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने में विफल रहने के लिए पाकिस्तान को अपनी 'ग्रे लिस्ट' पर बरकरार रखा था, जिससे आतंकी वित्तपोषण हुआ था। एफएटीएफ ने इस्लामाबाद को हाफिज सईद और मसूद अजहर सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी आतंकवादियों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए कहा है। इसने पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए काम करने के लिए भी कहा। एफएटीएफ ने कहा है कि, पाकिस्तान जल्द से जल्द इन आतंकियों को सजा दिलाए, तभी उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकाला जाएगा। लेकिन, पाकिस्तान के साथ दिक्कत ये है कि, इन आतंकियों का इतना जनाधार है, कि चाहकर भी इन्हें पाकिस्तान सजा नहीं दे सकता है। लिहाजा माना जा रहा है कि, पाकिस्तान आगे भी ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा।
जून 2018 में ग्रे लिस्ट में आया था पाकिस्तान
आपको बता दें कि, जून 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया था। तब से एफएटीएफ की शर्तों को पूरा करने में पाकिस्तान नाकाम रहा है और लगातार ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। ग्रे लिस्ट में होने के कारण पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना काफी मुश्किल हो गया है। पाकिस्तान द्वारा एफएटीएफ के आदेशों का पालन न करने के परिणामस्वरूप आगे जाकर ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है, हालांकि चीन, और मलेशिया की मदद से पाकिस्तान अब तक ब्लैक लिस्ट होने से बचता आया है।
ईरान और उत्तर कोरिया भी हैं ब्लैकलिस्टेड
आपको बता दें कि, ईरान और उत्तर कोरिया ऐसे देश हैं, जो पहले से ही ब्लैक लिस्टेड हैं और अगर आगे जाकर पाकिस्तान भी ब्लैक लिस्ट में डाला जाता जाता है, तो उसे भी इन्हीं देशों के साथ रखा जाएगा। पिछले कुछ सालों से तुर्की भी आतंकवादियों को वित्तीय मदद पहुंचाने के आरोप लगे हैं। इसी साल एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कश्मीर में एक्टिव एक आतंकी संगठन को भी तुर्की के जरिए वित्तीय मदद पहुंचता है और ऐसे ही कई मामलों को लेकर तुर्की के खिलाफ जांच चल रही थी, जिसके बाद तुर्की को ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है। अब तुर्की को कुछ शर्तों को पूरा करने के लिए कहा गया है और उन शर्तों को पूरा करने के बाद ही तुर्की को इस लिस्ट से बाहर निकाला जाएगा।
क्या है एफएटीएफ?
ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क यानि एफएटीएफ एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसे 1989 में जी-7 देशों के द्वारा स्थापित किया गया था और इसका हेड ऑफिस फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थिति है। इस संगठन का काम मनी लॉन्ड्रिंग, हथियारों के प्रसार, आतंकवाद पर लगाम, आतंकवादी संस्थाओं को वित्त पोषण पर निगाह रखना है। इसकी बैठक हर साल तीन बार आयोजित की जाती है और ये संस्था सख्त फैसले लेने के लिए विख्यात है और इस संस्था से ब्लै लिस्ट होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से वित्तीय मदद मिलनी बंद हो जाती है, जैसा ईरान के साथ हो रहा है। वर्तमान में एफएटीएफ के 39 सदस्य हैं जिसमें दो क्षेत्रीय संगठन यूरोपीय यूनियन और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल भी हैं। भारत भी एफएटीएफ कंसल्टेशन और एशिया पैसिफिक ग्रुप का सदस्य है।
ब्लैकलिस्ट से कैसे बचता है पाकिस्तान?
अमेरिका और फ्रांस ने पाकिस्तान पर एफएटीएफ के दबाव को बनाए रखने और इसे ग्रे लिस्ट में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाकिस्तान लगातार ग्रे लिस्ट से निकलकर व्हाइट लिस्ट में जाने की कोशिश कर रहा है लेकिन हर बार वो नाकाम हो जाता है। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए एफएटीएफ के 39 सदस्य देशों में सिर्फ 12 देशों की जरूरत होगी, लेकिन पाकिस्तान को 12 देशों का भी समर्थन हासिल नहीं है। हालांकि ब्लैक लिस्ट से बचने में उसे मदद मिल जा रही है, क्योंकि इसके लिए तीन देशों की ही जरूरत होती है। तीन देशों के विरोध करने की वजह से पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में नहीं जा पाता है। तुर्की, चीन और मलेशिया जैसे देश पाकिस्तान के साथ खड़े रहते हैं। पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने का मतलब है कि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपीय यूनियन से आर्थिक मदद नहीं मिल सकती है।
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