
क्या पाकिस्तान ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया? भारत के साथ संबंधों पर बोला अमेरिका
वाशिंगटन, 22 जून : अमेरिका का कहना है कि वह भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को महत्व देता है। व्हाइट हाउस ने अपने जारी बयान में आगे कहा कि, हिंद प्रशांत क्षेत्र की बात करें तो अमेरिका के साथ भारत की साझेदारी रणनातिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। वाशिंगटन नई दिल्ली के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को महत्व देता है। हालांकि, अमेरिका ने रूस का जिक्र करते हुए कहा कि हर देश को मॉस्को को लेकर अपना निर्णय लेना होगा। बता दें कि, कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा था कि, अमेरिका पाकिस्तान का समर्थन कर हमारी समस्याओं को बढ़ा रहा है। इसके कुछ दिन के बाद ही अमेरिका ने भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर सकारात्मक बात कही है।

भारत के लिए अमेरिका महत्वपूर्ण
व्हाइट हाउस सिक्योरिटी काउंसिल फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस के समन्वयक जॉन किर्बी (John Kirby) ने संवाददाताओं से कहा, हम भारतीय नेताओं को उनकी आर्थिक नीतियों पर बात करने देंगे। उन्होंने कहा, 'मैं आपको बस इतना बता सकता हूं कि हम भारत के साथ इस द्विपक्षीय संबंध को महत्व देते हैं और हम चाहते हैं - जाहिर है, हर देश को अपने फैसले खुद लेने होंगे।'बता दें कि,अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों ने पड़ोसी देश यूक्रेन में 'विशेष सैन्य अभियान' शुरू करने के लिए रूस पर गंभीर प्रतिबंध लगाए हैं।
भारत की भागीदारी महत्वपूर्ण
किर्बी ने रेखांकित किया कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है। और ऐसे कई तरीके हैं जिनसे यह साझेदारी रक्षा और सुरक्षा, आर्थिक और साथ ही दोनों में खुद का प्रतिनिधित्व करती है।
सस्ता तेल बेचना रूस की मजबूरी
बता दें कि, यूक्रेन में जंग के बाद से अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए है। इस कारण रूस ने तेल में भारी छूट का ऑफर दिया है। इससे सबसे अधिक फायदा भारत को पहुंच रहा है। रूस चाहता है कि भारत उनसे तेल खरीदे, वह भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बनना चाहता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने तेल के व्यापार में सऊदी अरब को भी पछाड़ दिया है। जानकारी के मुताबिक, भारतीय रिफाइनर ने मई में लगभग 25 मिलियन बैरल रूसी तेल की खरीद की जो तेल आयात के 16 फीसदी अधिक है।
पश्चिमी देश बेचैन
वहीं दूसरी तरफ, भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर कई पश्चिमी देश भारत को रूस के साथ तेल का व्यापार नहीं करने की बात कर रहे हैं।
रूस को लेकर भारत की रणनीति
बता दें कि यूक्रेन में रूसी हमले को लेकर अभी तक भारत ने मास्को के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। हालांकि, भारत यूक्रेन संकट के तत्काल समाधान के लिए कूटनीति और बातचीत के माध्यम से आगे बढ़ने की बात कर रहा है। भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयात करने वाला देश है। यहां तेल की खपत अन्य देशों की तुलना में अधिक है। भारत भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात रूस से करता आ रहा है। इस कारण वह अन्य देशों के दबाव को कूटनीतिक तरीकों से हल करना चाहता है। भारत का कहना है कि वह यूरोप से काफी कम मात्रा में तेल का आयात करता है और यहां तेल की खपत ज्यादा है। इस कारण तेल की खपत की पूर्ति के लिए वह रूस से तेल का आयात करता है।
विदेश मंत्री ने नाराजगी प्रकट की
बता दें कि इससे पूर्व पाकिस्तान को अमेरिका की तरफ से समर्थन मिलने पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने नाराजगी प्रकट की थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान का समर्थन कर हमारी समस्याओं को बढ़ा रहा है। जयशंकर की यह टिप्पणी पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर में चरमपंथियों को भड़काने और हथियार देने एवं घाटी में शांति भंग करने के मद्देनजर आई है।
जानें क्या है मामला,
अमेरिका बार-बार आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता पर जोर देने के बात करता है लेकिन वह साथ ही पाकिस्तान के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने की भी बात करता रहता है। ऐसे में अमेरिका, भारत के लिए समय-समय पर मुश्किलें खड़ी करता रहा है। भारत इसका हर हाल में विरोध करेगा।
पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की राय
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने गुरुवार को पाकिस्तान को अमेरिका का सहयोगी करार दिया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान हमारा एक भागीदार है, और हम उस साझेदारी को एक तरीके से आगे बढ़ाने के तरीकों की तलाश करेंगे, जो कि हमारे हित में है।
भारत-पाक रिश्ते पर बोले जयशंकर
पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर बोलते हुए, जयशंकर ने दावा किया कि सीमा के दोनों ओर कुछ लोगों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सुचारू बनाने के लिए काफी अधिक मेहनत की है। सभी चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधरे। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने की हर संभव कोशिश की लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ?
बता दें कि, भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते कायम करना चाहता है, हालांकि, पाकिस्तान और चीन हमेशा भारत के खिलाफ जहर ही उगलता रहा है। ऐसे में भारत का सब्र का बांध भी टूट गया और अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया के प्रति नाराजगी प्रकट कर दी।