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यूक्रेन युद्ध का नया चैप्टर: अब लड़ी जाएगी टैंकों की लड़ाई, पुतिन बनाम पश्चिम... कौन जीतेगा आखिरी जंग?

पिछले साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ 'सैन्य अभियान' की शुरूआत की थी और अभी तक युद्ध में कई तरह के मिसाइल, रॉकेट्स और ड्रोन हथियारों का इस्तेमाल हो चुका है।

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Russia-Ukraine War

Russia-Ukraine War: पिछले साल 24 फरवरी को शुरू हुआ यूक्रेन युद्ध अभी तक कई भीषण और विध्वंसक हथियारों को देख चुका है। लेकिन, अब यूक्रेन युद्ध नये चरण में प्रवेश करने वाला है, जहां टैंक के गोलों के बीच मुकाबला होगा। यूक्रेन युद्ध अब बख्तरबंद गाड़ियों के बीच लड़ी जाने वाली विनाशकारी युद्ध का गवाह बनेगा, जिसमें दोनों तरह से एक से बढ़कर एक टैकों के बीच टक्कर होगा और इस युद्ध में पता चल जाएगा, कि रूस के टैंक बाजी मारते हैं, या फिर पश्चिमी देशों के टैंक ज्यादा गरजते हैं।

यूक्रेन में अब टैंकों के बीच मुकाबला

यूक्रेन में अब टैंकों के बीच मुकाबला

यूक्रेन का समर्थन करने के लिए पश्चिमी देशों ने कई टैंकों को भेजने का फैसला किया है और बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूके ने 30 AS90 155 मिमी ऑटोमेटिक बंदूकों के साथ 14 चैलेंजर-2 टैंकों को भेजने का फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन में भेजा जाने वाला लेटेस्ट सैन्य सहायता 'समर्थन तेज करने की ब्रिटेन की महत्वाकांझा' को दर्शाता है। अगर यूक्रेन में यूनाइटेड किंगडम टैकों को भेजता है, तो फिर वो यूक्रेन युद्ध में टैंकों को भेजने वाला पहला पश्चिमी देश होगा, जो जर्मनी को यूक्रेन युद्ध में अपने लियोपार्ट-2 टैंक भेजने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। हालांकि, यूरोन्यूज की एक रिपोर्ट में पहले ही बताया जा चुका है, कि जर्मनी लियोपार्ट-2 टैंक को जल्द से जल्द 2024 की शुरूआत तक यूक्रेन में भेज सकता है। जर्मन हथियार निर्माता राइनमेटल ने कहा है, कि उसे यूक्रेन के लिए अपने 350 लियोपार्ड-2 टैकों में से कुछ को मरम्मत करने की जरूरत होगी।

रूस ने भी बदला यूक्रेन में रणनीति

रूस ने भी बदला यूक्रेन में रणनीति

वहीं, रूस ने भी यूक्रेन में अपनी रणनीति बदलने के संकेत दे दिए हैं और अब पुतिन ने अपने शीर्ष जनरल को सीधे तौर पर यूक्रेन युद्ध की कमान सौंप दी है, जो युद्ध के मैदान में कई हार मिलने के बाद नये सिरे से युद्ध को जीतने का प्लान बनाएंगे, ताकि युद्ध और लंबा नहीं चले। वालेरी गेरासिमोव रूस से शीर्ष सैन्य अधिकारी होने के साथ साथ राष्ट्रपति पुतिन के सबसे विश्वासपात्र अधिकारियों में से एक हैं। रूस के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा है, कि रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने जनरल स्टाफ वालेरी गेरासिमोव को सेना के समग्र कमांडर के रूप में नियुक्त कर दिया है। यानि, यूक्रेन युद्ध को कैसे लड़ना है, इसकी पूरी की पूरी जिम्मेदारी वालेरी गेरासिमोव की होगी।

रूस बनाम पश्चिमी देशों के टैंक

रूस बनाम पश्चिमी देशों के टैंक

रूसी राज्य मीडिया आउटलेट TASS ने पिछले दिसंबर में बताया था, कि रूस के लेटेस्ट T-90M Proryv-3 टैंकों का एक बैच यूक्रेन में लड़ाई के लिए भेजा गया है। TASS की रिपोर्ट के मुताबिक, टैंक T-90 का सबसे एडवांस संस्करण है, जो सोवियत काल के T-72 का ही नया रूप है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि फिलहाल इस टैंक के जरिए युद्धाभ्यास और ट्रेनिंग का काम सैनिक कर रहे हैं, जिसके बाद वे युद्ध संचालन में शामिल होंगे। माना जा रहा है, कि ये डेललपमेंट यूक्रेन के डोनबास में सोलेदार और बख्तमुख की घेराबंदी करने में काफी अहम योगदान दे सकते हैं। रूस सोलेदार पर जल्द से जल्द नियंत्रण करना चाहता है, जो उसके लिए रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण है।

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सोलेदार पर जीत से रूस को क्या फायदा होगा?

सोलेदार पर जीत से रूस को क्या फायदा होगा?

अगर रूस तकी सेना सोलेदार पर कब्जा कर लेती है, तो फिर वो काफी आसानी से यूक्रेनी आपूर्ति को बख्तमुत तक पहुंचने से रोक सकती है। इसके अलावा, एक बार सोलेदार और बख्तमुत पर कब्जा कर लिया गया है, तो फिर रूस डोनबास क्षेत्र पर नियंत्रण को मजबूत करने की अपनी योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण शहर स्लोवियांस्क पर कब्जा करने के लिए आक्रामक अभियान चला सकता है। वहीं, स्लोवियांस्क पर कब्जा करने से रूस के लिए उसके नजदीकी क्षेत्र निप्रॉपेट्रोस में आक्रामक अभियान चलाने का रास्ता साफ हो सकता है। जिस पर रूस ने युद्ध की शुरुआत के दौरान बमबारी की थी, लेकिन जमीनी लड़ाई के दौरान इस क्षेत्र पर यूक्रेन का नियंत्रण बरकरार रहा था।

टैकों के बीच हो सकती है भीषण लड़ाई

टैकों के बीच हो सकती है भीषण लड़ाई

ब्रिटिश सेना ने दावा किया है, कि चैलेंजर-2 टैंक के जरिए दुश्मनों के टैंकों को काफी आसानी से ध्वस्त किया जा सकता है, क्योंकि इसे उसी तरह से डिजाइन किया गया है। डिफेंस न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, चैलेंजर-2 एक एल-30 राइफल्ड टैंक गन से लैस है, जो तोड़फोड़ और एंटी-टैंक उद्देश्यों के लिए हाई एक्सप्लोसिव स्वैश हेड (एचईएसएच) राउंड फायरिंग करने में सक्षम है। ब्रिटिश टैंक में 7.62 मिमी सीरिज बंदूक और 7.62 मिमी पिंटल-माउंटेड मशीन गन लगा हुआ है। इसमें यह भी कहा गया है, कि ये टैंक दूसरी पीढ़ी के चोभम कवच द्वारा संरक्षित है, जो रूस की T-72 टैंक की 125 मिमी मुख्य बंदूक से सीधे हिट का सामना कर सकता है। वहीं, ब्रिटिश टैंक में टैंक कमांडर और गनर दोनों के लिए थर्मल जगहें हैं, जो "हंटर-किलर" क्षमता प्रदान करती हैं और इसके जरिए एक साथ दो अलग अलग निशानों को हिट किया जा सकता है, लिहाजा यूक्रेन यूद्ध अब आमने-सामने की लड़ाई का गवाह बनने वाला है, जिसमें आखिरी जीत किसकी होगी, फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है।

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English summary
Tank battle will now be fought in Ukraine war, Putin vs West... who will win the last battle?
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