मां के पेट में भी शिशु सुरक्षित नहीं! अजन्मे बच्चे के दिमाग में 'जहरीला पदार्थ', साइंटिस्ट्स ने दी चेतावनी
मेडिकल साइंस से जुड़ी एक ताजा स्टडी में ऐसे तथ्य आए हैं, जो बेहद गंभीर हैं। इस स्टडी में साफ कहा गया है कि अगर महिलाएं प्रदूषित हवा में सांस लेती हैं तो ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इससे शिशु विकलांग हो सकते हैं।
Toxic air pollutants in unborn babies Brain: तमाम शहरों में बढ़ते प्रदूषण का स्तर अब भारी पड़ने लगा है। हालत ये हो गई है कि अब तो मां के पेट में पलने वाले अजन्मे शिशुओं पर भी इसका असर हो रहा है। मेडिकल साइंस से जुड़ी एक ताजा स्टडी में ऐसे तथ्य आए हैं, जो बेहद गंभीर हैं। इस स्टडी में साफ कहा गया है कि अगर महिलाएं प्रदूषित हवा में सांस लेती हैं तो ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इसका असर उनके स्वास्थ्य पर तो पड़ेगा ही इसके साथ उनके पेट में पल रहे शिशु को भी इससे खतरा हो सकता है।
अजन्मे बच्चे के दिमाग में 'जहरीला पदार्थ'
मेडिकल साइंस से जुड़े एक अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। स्टडी के मुताबिक अजन्मे बच्चों के फेफड़े और दिमाग में जहरीले वायु प्रदूषक (Toxic air pollutants in unborn babies Bain) पाए गए हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि मां अगर प्रदूषित हवा में सांस लेती है तो इससे जहरीले प्रदूषक (Toxic air pollutants) उसके पेट में स्थित भ्रूण पर बुरा असर डालते हैं।
विकलांग हो सकते हैं बच्चे
स्टडी में आगे कहा गया कि अगर मां लगातर प्रदूषित वायु के संपर्क में रहती है तो इसका असर घातक हो सकता है। खासकर प्रदूषित वायु का असर भ्रूण पर अधिक होता है। इससे शिशु के ब्रेन में जहरीले वायु प्रदूषक जा सकते हैं। ये स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है। स्टडी के मुताबिक इससे शिशु के अंगों का विकास प्रभावित हो जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा है ऐसी स्थिति में शिशु जन्म से पहले विकलांग हो सकता है।
फेफड़े और ब्रेन पर बुरा असर
नए शोध ने मेडिकल साइंस एक्सपर्ट्स को एक बार फिर सोचने पर विवश कर दिया है। ये वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन गई है। अजन्मे बच्चे के ब्रेन और फेफड़े में जहरीले वायु प्रदूषक मिलने के बाद अब इसके इलाज को लेकर साइंटिस्ट्स चिंतित हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि ये जहरीले वायु प्रदूषकों के कण बहुत सूक्ष्म होते हैं। ये नैनोकणों के बराबर होते हैं। इन्हें ब्लैक कार्बन के रूप में जाना जाता है।
कैसे बनते हैं ब्लैक कार्बन?
पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार, ब्लैक कार्बन (Black Carbon) ईंधन के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण बनते हैं। ये गैस और डीजल इंजनों, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों और जीवाश्म ईंधन को जलाने वाले अन्य स्रोतों से निकलने वाला काला पदार्थ है। इसमें पार्टिकुलेट मैटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो कि एक वायु प्रदूषक होता है।
यूके और बेल्जियम के साइंटिस्ट्स ने की स्टडी
इस स्टडी के निष्कर्ष मेडिकल जर्नल 'द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ' में प्रकाशित किया गया है। ये अध्ययन महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान भ्रूण से बनने वाले अंगों के विकास और इस पर प्रभाव डालने वाह्य कारकों को पता लगाने के लिए किया गया। स्टडी का उद्देश्य वातावरण में उपस्थित हानिकारक कण ह्यमन प्लेसेंटा तक कैसे पहुंचते हैं इसको लेकर डेटा एकत्र करना था। ये अध्ययन यूके के एबरडीन विश्वविद्यालय और बेल्जियम के हैसेल्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया। जिसमें पाया गया कि नैनोकण गर्भावस्था के पहले तिमाही में गर्भ में प्लेसेंटा को पार कर जाते हैं और इसके विकासशील अंगों जैसे यकृत, फेफड़े और दिमाग में प्रवेश कर जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने क्या कहा?
इस अध्ययन के निष्कर्ण में वैज्ञानिकों में नवजात के विकलांग होने का एक अहम कारण उनके यकृत, फेफड़े और दिमाग में मौजूद जहरीले वायु प्रदूषक को माना। जो बाद शिशुओं को अंगों पर बुरा असर डालते हैं। स्टडा के सह लेखक प्रोफेसर टिम नवरोट ने कहा कि मां के जरिए ब्लैक कार्बन कणों की संख्या प्लेसेंटा शिशु के अंदर जाती है। इसका मतलब है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सतर्क रहने की आवश्यकता है। महिलाएं जब गर्भावर्था के बेहद संवेदनशील चरण यानी तीसरी तिमाही में होती हैं तो प्रदूषित वायु से बचना चाहिए।
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