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Russia-Ukraine crisis: रूस की वजह से सारी दुनिया भुगतेगी, डर के ये मुख्य चार कारण जान लीजिए

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मास्को, 23 फरवरी: पूर्वी यूक्रेन में रूसी सेना की तैनाती को अमेरिका आधिकारिक तौर पर 'आक्रामण' कहने लगा है, जबकि शुरुआत में इस शब्द के इस्तेमाल से वो बच रहा था। दूसरी तरफ जबसे रूसी संसद ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को देश के बाहर सैन्य शक्ति के इस्तेमाल के लिए अधिकृत किया है, पूर्वी यूक्रेन में रूस-समर्थक अलगाववादियों की ओर से हमले बढ़ गए हैं। यूक्रेन की सेना ने बुधवार को दावा किया है कि इस हमले की वजह से पिछले 24 घंटे में हुए सीजफायर के उल्लंघन के मामलों में काफी इजाफा हो गया है और एक जवान की मौत हुई है और 6 जख्मी हुए हैं। लेकिन, यह संकट सिर्फ यूक्रेन और रूस तक सीमित नहीं रहने वाला है। यहां से उठी आग की लपटों की तपिश पूरी दुनिया को जल्द ही महसूस होने वाली है।

चीन ने रूस पर पाबंदियों का विरोध किया है

चीन ने रूस पर पाबंदियों का विरोध किया है

यूक्रेन कह रहा है कि अलगावलादियों (रूस समर्थक)ने भारी तोपखाने, मोर्टार और ग्रैड रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया है। उधर चीन ने कहा है कि वह रूस पर लगने वाले किसी भी तरह की पाबंदी का विरोध करता है, क्योंकि उसे लगता है कि पाबंदी इस समस्या का हल नहीं है। जबकि, 'राजनयिक समाधान' की बात रूस कर तो रहा है, लेकिन पिछले दो दिनों से जो कुछ हुआ है, उससे लगता है कि दुनिया जिस संकट को लेकर आशंकित थी, वह शुरू हो चुका है। भारत फिलहाल बढ़े हुए तनाव पर गहरी चिंता जताते हुए अपने नागरिकों को स्पेशल फ्लाइट के जरिए यूक्रेन से सुरक्षित निकालने में लगा हुआ है। इस संकट का प्रभाव आने वाले दिनों, हफ्तों और महीनों में जो दुनिया पर पड़ने वाला है, उसकी चर्चा जरूरी है।

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ऊर्जा कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का डर

ऊर्जा कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का डर

रूस-यूक्रेन विवाद बढ़ने से गैस की कीमतों में अप्रत्याशित इजाफे का डर सता रहा है। खासकर यूरोप को सबसे ज्यादा दिक्कत होने की आशंका है, जो करीब 40% प्राकृतिक गैस और 25% तेल के लिए रूस पर ही निर्भर है। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 2014 के बाद उच्चतम स्तर 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। जबकि, पुतिन ने कहा है कि सप्लाई में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है, 'रूस दुनिया के बाजारों को प्राकृतिक गैस समेत निर्बाध सप्लाई जारी रखना चाहता है, उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश में विकास करना चाहता है।' लेकिन, अगर रूस के खिलाफ पाबंदियां बढ़ीं तो भारत के लिए भी तेल की कीमतों को संभालना मुश्किल हो जाएगा।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में आग लगने की आशंका

खाद्य पदार्थों की कीमतों में आग लगने की आशंका

रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है। यूक्रेन और रूस मिलकर दुनिया को 25% गेहूं का निर्यात करते हैं। मिस्र, तुर्की (पहले से ही यहां मुद्रास्फीति की दर 50% के स्तर को छू चकी है), मध्य-पूर्व के देश और अफ्रीका एक तरह से रूसी निर्यात पर ही निर्भर रहते हैं। गेहूं के अलावा भी कई देश दूसरे अनाजों के लिए रूस और यूक्रेन के भरोसे काफी हद तक रहते हैं।

निवेशकों में बढ़ेगी घबराहट

निवेशकों में बढ़ेगी घबराहट

रूस-यूक्रेन विवाद की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। रूसी खेमा और यूक्रेन के साथ जुटे यूरोपीय देश, अमेरिका और उसके नाटो के सहयोगियों के भिड़ने से जो कूटनीतिक उथल-पुथल मचनी शुरू हुई है, उससे सारी दुनिया में निवेशकों में अस्थिरता को लेकर भय का माहौल बनने लगा है। कोविड महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही दबाव में है और यह नया अंतरराष्ट्रीय फसाद इसकी हालत और पतली कर सकता है। रूस में भारत ने भी ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश कर रखा है, जहां उसके हितों को भी झटके लगने की आशंका है।

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रूस-चीन के बीच और बढ़ेगी नजदीकी

रूस-चीन के बीच और बढ़ेगी नजदीकी

आने वाले दशकों के लिए चीन पूरी दुनिया के लिए खतरा के तौर पर उभर रहा है। रूस-यूक्रेन के बीच जो कुछ हो रहा है, उसका अंजाम यही होगा कि रूस और चीन में तालमेल और बढ़ेगी। दोनों देशों के बीच पहले से ही गैस की सप्लाई के लिए 30 साल का समझौता हो चुका है। चीन की ताकत के साथ रूस की जुगलबंदी पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी तो है ही, भारत के नजरिए से तो यही नई चुनौतिपूर्ण परिस्थितियां पैदा करने वाला साबित हो सकता है। चीन इसलिए बेहतर स्थिति में आ रहा है कि उसके लिए अमेरिका एक नए मोर्चे पर उलझ रहा है। यह स्थिति हिंद-प्रशांत से लेकर दक्षिण चीन सागर तक में उसके लिए ज्यादा फायदेमंद माहौल पैदा कर सकता है।

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English summary
The whole world will have to suffer the consequences of Russian army entering Ukraine, oil and gas prices, food crisis may increase and investment is expected to be setback
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