बिना माई-बाप का हुआ श्रीलंका! हर तरफ अफरा-तफरी, राष्ट्रपति बनने के लिए विक्रमसिंघे का बड़ा 'खेल'
श्रीलंका में उग्रभीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े हैं औ फायरिंग की है। वहीं, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
कोलंबो, जुलाई 13: राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश को बर्बादी के आलम में छोड़कर फरार हो चुके हैं और दूसरी तरफ श्रीलंका में अफरा-तफरी का माहौला है और किसी को समझ नहीं आ रहा है, कि देश कौन चला रहा है। देश में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं दिख रही है और प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास के साथ साथ देश की संसद भवन को भी घेर लिया है। राष्ट्रपति के भागने के बाद अब प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, जबकि जनता रानिल विक्रमसिंघ के इस्तीफे पर अड़ी है, क्योंकि उन्हें राजपक्षे परिवार का विश्वसनीय माना जाता है।
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बिना माय-बाप का हुआ श्रीलंका?
श्रीलंका में जनता सड़कों पर उतरी हुई है और राष्ट्रपति भवन पर अभी भी प्रदर्शनकारियों का कब्जा है। वहीं, देश के राष्ट्रपति अपनी संभावित गिरफ्तारी से डरकर बिना इस्तीफा दिए देश छोड़कर फरार हो चुके हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति गोटाबाया के करीबी ने बताया है कि, जब तक राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपने सुरक्षित ठिकाने तक नहीं पहुंच जाते हैं, तबतक वो इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसी रिपोर्ट है, कि श्रीलंका से भागकर मालदीव पहुंचने वाले राष्ट्रपति गोटाबाया का आखिरी मंजिल दुबई हो सकता है। लिहाजा, श्रीलंका में राजनीतिक के साथ साथ संवैधानिक संकट भी खड़ा हो गया है, क्योंकि, जबतक गोटाबाया इस्तीफा नहीं देंगे, तबतक नये राष्ट्रपति का ऐलान नहीं होगा। चूंकी प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे पहले ही इस्तीफे की घोषणा कर चुके हैं, इसीलिए देश की जनता के बीच विश्वसनीय चेहरा बनकर कौन जाएगा और किसकी बात पर जनता यकीन करेगी, ये बड़ा सवाल है।
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे का अलग ही खेल
श्रीलंका में उग्रभीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े हैं औ फायरिंग की है। वहीं, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है। पिछले तीन महीने में ये तीसरा मौका है, जब श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया है। इस बीच अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनाने की मांग उनकी पर्टी के अंदर की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के कई सांसद सदस्य प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनाने के लिए समर्थन देने के लिए तैयार हैं और मंगलवार शाम को कई सांसद सदस्यों ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघ से मुलाकात की थी और उन्हें राष्ट्रपति बनाने के लिए समर्थन देने की बात कही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री विक्रमसिंघ ने 'भारी मन' से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की जगह खुद राष्ट्रपति बनने पर सहमति जता चुके हैं। इस पूरे घटनाक्रम को विक्रमसिंघे का बहुत बड़ा खेल माना जा रहा है, क्योकि, पिछले हफ्ते विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री पद से यह कहकर इस्तीफा देने की बात कही थी, कि वो एक नई और सामूहिक सरकार बनाने के नाम पर इस्तीफा दे रहे हैं और अब जबकि वो कार्यवाहक राष्ट्रपति बन चुके हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति बनाने की मांग की गई है, लिहाजा सवाल ये है, कि क्या विक्रमसिंघे ने खुद राष्ट्रपति बनने के लिए इतना बड़ा खेल तो नहीं रचा है?
कार्यवाहक राष्ट्रपति बने विक्रमसिंघे
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाल लिया है और समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गोटाबाया राजपक्षे के मालदीव भागने के बाद उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है। विक्रमसिंघे के मीडिया सचिव दीनौक कोलंबेज ने रॉयटर्स को बताया कि, "कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में प्रधानमंत्री ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है और पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू लगा दिया है।" लेकिन, कई एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं, कि जबतक राष्ट्रपति अपना इस्तीपा नहीं सौंपते हैं, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति कैसे घोषित कर सकते हैं?
आपातकाल नहीं लगा सकते हैं प्रधानमंत्री
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ जयमपति विक्रमरत्ने ने कहा है कि प्रधानमंत्री आपातकाल की स्थिति की घोषणा नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि, 'आपातकाल की स्थिति को इस तरह घोषित नहीं किया जा सकता है। आपातकाल की स्थिति घोषित करने से पहले, उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त करने की आवश्यकता है, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है"। उन्होंने अल जज़ीरा को बताया कि, "यह एक अवैध आदेश है। संविधान के तहत प्रधानमंत्री के पास आपातकाल घोषित करने का अधिकार नहीं है'। प्रधानमंत्री की आपात स्थिति की घोषणा के बाद, श्रीलंका के संसद के स्पीकर कार्यालय ने अलजजीरा से कहा है कि, अभी तक राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का इस्तीफा उन्हें नहीं मिला है, जिसका मतलब ये हुआ, कि अभी तक कोई कार्यवाहक राष्ट्रपति नहीं बनाया गया है और विक्रमसिंघे को खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित करना भी अवैध है।
क्या कहते हैं श्रीलंका के एक्सपर्ट्स?
श्रीलंका के वरिष्ठ वकील सुरेन फर्नांडो, जो संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ भी हैं, उन्होंने अल जज़ीरा को बताया कि आपातकाल की स्थिति केवल राष्ट्रपति या कार्यवाहक राष्ट्रपति द्वारा घोषित की जा सकती है। उन्होंने कहा, "श्रीलंका के संविधान के अनुच्छेद 37 के तहत, किसी को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में तभी नियुक्त किया जाएगा, जब पदधारी को बर्खास्त कर दिया गया हो, या पद खाली कर दिया गया हो।" उन्होंने कहा कि, "यदि इनमें से कुछ भी नहीं हुआ है तो कोई कार्यवाहक राष्ट्रपति नहीं हो सकता है। जहां तक मेरा मानना है, एक कार्यवाहक राष्ट्रपति की नियुक्ति की जानी बाकी है, क्योंकि राष्ट्रपति पद खाली नहीं किया गया है।" यानि स्थिति ये है, कि गोटाबाया राजपक्षे ने अभी तक इस्तीफा दिया है या नहीं, इसपर सस्पेंस बना हुआ है और श्रीलंका को फिलहाल कौन चला रहा है, श्रीलंका का माय-बाप फिलहाल कौन है, किसी को नहीं पता।
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