Coronavirus: लॉकडाउन न टूटे इसके लिए कहीं दिए गए गोली मारने के आदेश तो कहीं वसूला गया एक करोड़ जुर्माना
नई दिल्ली। लैटिन अमेरिका के दो देशों ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान हैरान करने वाले नियम शुरू कर दिए हैं। दोनों देशों ने गुरुवार सुबह इस बात का ऐलान किया है कि कौन से दिन किसे घर से बाहर निकलने की मंजूरी होगी। घर में रहना आसान बात नहीं है और इसलिए ही कुछ देशों की तरफ से कई कड़े नियम नागरिकों के लिए लाए गए हैं ताकि वे लॉकडाउन का पालन करें।
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इटली में चार लाख तक का जुर्माना
यूरोप के खूबसूरत देश इटली ने महामारी का सबसे घिनौना रूप देखा है। यहां पर 14,681 लोगों की मौत हो गई। सरकार मार्च माह के मध्य में जागी और यहां पर लॉकडाउन घोषित किया गया। इटली की बाकी जगहों पर जहां 2.5 लाख रुपए का जुर्माना का नियम सरकार ने लगाया तो मिलान से कुछ दूर लोम्बार्डी में चार लाख तक के जुर्माने का नियम लाया गया। लोम्बार्डी, इटली के उत्तरी हिस्से में है और यहां पर सबसे ज्यादा मौतें हुईं।
हांगकांग में 2.5 लाख रुपए जुर्माना, छह महीने की सजा
इटली से हजारों मील दूर हांगकांग जिसे साल 2002 में सार्स महामारी के समय भी खासा नुकसान उठाना पड़ा था। हांगकांग में क्वारंटाइन का नियम तोड़ने पर 2.5 लाख रुपए का जुर्माना या और छह महीने की जेल का नियम है। हांगकांग ने इस बार क्वारंटाइन के कड़े नियमों के चलते ही महामारी को काबू में किया। यहां पर पहला केस फरवरी माह के पहले हफ्ते में आया था। चीन से लगे होने के बाद भी यहां सिर्फ 862 मरीज सामने आए जिसमें से चार की मौत हुई और 173 ठीक हो गए।
फिलीपींस में राष्ट्रपति ने दिए गोली मारने के आदेश
फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते क्वारंटाइन का उल्लंघन करने वालों को गोली मारने के आदेश दिए। दक्षिण अफ्रीका में बाहर निकलने वालों पर पुलिस रबर की गोली चला रही है। ऑस्ट्रेलिया में कुछ जगहों पर में 23 लाख रु. जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, रूस की संसद ने एंटी वायरस एक्ट को मंजूरी है। यहां पर अब क्वारंटाइन नियम तोड़ने पर सात साल की सजा तय की गई है। अमेरिका से सटे मैक्सिको के युकाटन राज्य में बीमारी छिपाने पर तीन साल की सजा का नियम लागू किया गया है।
कितने लोग इस समय घरों में
यूनाइटेड नेशंस (यूएन) की तरफ से बताया गया है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते इस समय दुनिया के 90 देशों में लॉकडाउन है और करीब 450 करोड़ लोग अपने घरों में बंद रहने को मजबूर हैं। यूएन के मुताबिक दुनियाभर के 180 देशों में स्कूल-कॉलेज बंद हैं। करीब दुनियाभर के 87% लोग प्रभावित हैं।