
वैज्ञानिकों के हाथ लगी ऐतिहासिक सफलता, मंगल ग्रह पर खोज लिया पानी, जीवन बसाने की तरफ बड़ा कदम ?
वॉशिंगटन, सितंबर 30: मंगल ग्रह पर जीवन बसाने के लिए लंबे समय से हाथ-पैर मार रहे वैज्ञानिकों को बहुत बड़ी कामयाबी मिली है और वैज्ञानिकों ने मंगल पर तरल पानी होने का सुझाव देने वाले नए सबूत खोजे हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने ये रिसर्च किया है और रडार के अलावा अन्य डेटा का उपयोग करते हुए इस बात के सबूत खोज लिए हैं, कि मंगल ग्रह पर लिक्विड वाटर मौजूद है। वैज्ञानिकों के हाथ इस बात के सबूत लगे हैं, कि मंगल ग्रह के दक्षिण ध्रुवीय बर्फ टोपी के नीचे तरल पानी मौजूद है। इस रिसर्च में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अलावा शेफील्ड विश्वविद्यालय और ओपन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी शामिल थे।

क्या मंगल पर मौजूद है जीवन?
हालांकि, वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के दक्षिण ध्रुवीय बर्फ टोपी के नीचे पानी होने के सबूत जरूर मिले हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा है कि, "यह जरूरी नहीं है कि मंगल पर जीवन भी मौजूद है"। वैज्ञानिकों को पता चला है कि, पृथ्वी की तरह, मंगल ग्रह के दोनों ध्रुवों पर पानी की मोटी बर्फ है, जो ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के संयुक्त आयतन के बराबर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि, पृथ्वी पर जो बर्फ की मोटी चादर मौजूद है, वो पानी से भरे चैनलों के नीचे मौजूद हैं और यहां तक कि बड़ी सबग्लेशियल झीलों के नीचे हैं, हालांकि, मंगल ग्रह पर जलवायु काफी ज्यादा ठंडी रहती है, लिहाजा ये लिक्विड पानी बर्फ की मोटी परत के नीचे मौजूद हैं। शेफील्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन के दूसरे लेखक डॉ फ्रांसेस बुचर ने कहा कि, "हमारा रिसर्च अभी तक का सबसे महत्वपूर्ण और पुख्ता रिसर्च है, कि मंगल ग्रह पर लिक्विड पानी मौजूद है। और हमारे पास अब दो महत्वपूर्ण रिसर्च हैं, जिनसे पता चलता है कि, पृथ्वी पर जिस तरह के सबग्लेशियल झील हैं, उसी तरह के झील अब मंगल ग्रह पर भी पाए गए हैं।" वैज्ञानिकों ने कहा कि, 'हालांकि, लिक्विड पानी जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है, कि मंगल ग्रह पर जीवन भी मौजूद है।'

पानी मिलने का क्या अर्थ है?
शेफील्ड विश्वविद्यालय ने कहा है कि, "इतने ज्यादा ठंडे तापमान की स्थिति में भी मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुप के नीचे तरल पानी के पाए जाने का मतलब ये है, कि वास्तव में पानी अत्यधिक नमकीन हो सकता है, लिहाजा अत्यधिक नमकीन पानी में किसी भी तरह के माइक्रोबियल जीवन में रहना मुश्किल हो जाएगा।" हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस बात की भी संभावना जताई है, कि इससे एक संकेत जरूर मिलता है, कि अतीत में मंगल ग्रह का जलवायु रहने के लिए अनुकूल रहा होगा और हो सकता है, कि मंगल ग्रह पर एक वक्त जीवन का निवास संभव हो।

वैज्ञनिकों ने कैसे किया रिसर्च?
मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज इंटरनेशनल रिसर्च टीम ने की है, जिसमें नैनटेस विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन के वैज्ञानिक भी शामिल थे। इस रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट लेजर-अल्टीमीटर माप का इस्तेमाल किया और इसके जरिए मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रूप पर बर्फ की मोटी परत की ऊंचाई की मार की और फिर वैज्ञानिकों ने दिखाया कि, ये पैटर्न कंप्यूटर मॉडल की भविष्यवाणियों से मेल खाते हैं, कि कैसे बर्फ की मोटी परत ने नीचे मौजूद पानी बर्फ की सतह को प्रभावित करेगा और वैज्ञानिकों का ये गणना सटीक मैच गया। वैज्ञानिकों का ये रिसर्च नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में पब्लिश किया गया है और पहले के उस रिसर्च पर मुहर लगाती है, जिसमें रडार मेजरमेंट के जरिए पता लगाया गया था, कि मूल रूप से बर्फ के नीचे तरल पानी मौजूद है।

वैज्ञानिकों ने क्या कहा?
कैम्ब्रिज के स्कॉट पोलर रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर नील अर्नोल्ड, जिन्होंने इस रिसर्च का नेतृत्व किया है, उन्होंने कहा कि, "मंगल ग्रह पर पानी होने के सबूत हमारे हाथ लगे हैं और कंप्यूटर मॉडल और रडार डेटा के संयोजन से अब काफी ज्यादा संभावना है, कि सबग्लिशियल तरल पानी का कम से कम एक क्षेत्र मंगल ग्रह पर आज भी मौजूद है, और इसका मतलब ये हुआ, कि मंगल ग्रह पर बर्फ के नीचे पानी मौजूद है, इसका मतलब ये हुआ, कि पानी के नीचे मंगल ग्रह का जो सतह होगा, वो गर्म हो सकता है और इसी वजह से पानी तरल अवस्था में मौजूद है"। वैज्ञानिकों की ये खोज काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि लंबे समय से पृथ्वी पर कई ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिसका मकसद मंगल ग्रह पर जीवन बसाना है और धरती के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क भी मंगल ग्रह पर जीवन बसाने के लिए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

मंगल पर जीवन बसाने का मस्क का प्लान
करीब ढाई साल पहले एलन मस्क ने अपने मंगल प्लान के बारे में बड़ा खुलासा किया था और बताया था कि, मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती कैसी होगी और किस तरह से मंगल ग्रह पर इंसान अपनी नई जिंदगी की शुरूआ करेंगे। लेकिन, मंगल ग्रह पर इंसानी जीवन बसाना इतना आसान नहीं हो और अभी तक मंगल ग्रह को लेकर जो भी वैज्ञानिक रिसर्च किए गये हैं, उसमें यही पाया गया है कि, मंगल पर ऐसा वातावरण नहीं है, कि वहां पर इंसानों को बसाया जा सके। लेकिन, एलन मस्क का कहना है कि, वो मंगल ग्रह पर इस तरह की परिस्थितियों का निर्माण करेंगे, जिससे मंगल ग्रह पर इंसानी जीवन बसाया जा सके। एलन मस्क ने ट्वीटर पर एक यूजर के सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि, मंगल ग्रह पर इंसान अपना पहला कदम कम से कम साल 2029 तक ही रख पाएगा।

कैसे बनाए जाएंगे मंगल पर घर?
ट्विटर यूजर ने एलन मस्क से पूछा था कि, जब लोग पहली बार मंगल पर पहुंचेंगे, तो क्या ग्रह को पहले ही पृथ्वी की तरह तैयार कर लिया गया रहेगा या फिर लाल ग्रह पर जिंदा रहने के लिए स्पेस एक्स ने कोई दूसरा तरीका तैयार करेगा? इस सवाल के जवाब में ही मस्क ने कांच के घरों में लोगों को रखने की जानकारी दी थी। दरअसल, अभी मंगल का तापमान अधिकतम माइनस 48 डिग्री रहता है। साथ ही मंगल पर सूर्य से आने वाली खतरनाक किरणों को रोकने के लिए कोई रक्षाकवच नहीं है, जैसा हमारे पृथ्वी के लिए ओजोन की परत करता है, लिहाजा ऐसे वातावरण में इंसानी जीवन नहीं रह सकता है। ऐसे में मंगल ग्रह पर इंसानों को रहने के लिए अलग तरह के घर बनाए जाएंगे, लेकिन कुल मिलाकर अभी तक यही कहा जा सकता है, कि जिस तरह के पृथ्वी पर इंसान रहते हैं, उस तरह से मंगल पर रहना संभव नहीं है।