श्रीलंका में सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने को अवैध बताया
कोलंबो। श्रीलंका में राजनीतिक संकट अभी भी जारी है। यहां की मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने सोमवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की ओर से संसद भंग किए जाने को चुनौती देने के लिए सोमवार को देश की शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) में याचिकाएं दायर की और कोर्ट से विधायिका को बहाल करने को कहा। इन याचिकाओं को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने को अवैध बताया है।उल्लेखनीय है कि सिरिसेना ने संसद का कार्यकाल समाप्त होने से करीब 20 महीने पहले उसे भंग करने का फैसला लिया था।
उन्होंने 9 नवंबर को संसद भंग करते हुए अगले साल पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की है। यह फैसला उन्होंने यह स्पष्ट होने के बाद किया कि 72 वर्षीय महिंदा राजपक्षे के पास प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए सदन में पर्याप्त संख्या बल नहीं है। सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करते हुए उनकी जगह राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। राजपक्षे को 225 सदस्यों वाले सदन में अपना बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 113 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी।
AFP news agency quoting Sri Lanka Supreme Court: Sacking of Sri Lanka parliament illegal.
— ANI (@ANI) December 13, 2018