फ्रांस पर जल रहा है पाकिस्तान, एक मौलाना ने इमरान खान की नाक में किया दम, सेना के भी जिहादी बोल
पाकिस्तान में फ्रांस के नाम पर जमकर प्रदर्शन हो रहा है। कई शहरों में कट्टरपंथी सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे है। ये प्रदर्शन मौलाना साद की गिरफ्तारी के बाद किया जा रहा है।
इस्लामाबाद, अप्रैल 14: फ्रांस के नाम पूरा पाकिस्तान सुलग रहा है। कई शहरों में बवाल मचा हुआ है और कट्टरपंथियों ने पूरे पाकिस्तान को जलाना शुरू कर दिया। एक कट्टरपंथी मौलाना ने पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की नाक में दम कर रखा है। हालात ये हैं कि पाकिस्तान के करीब करीब हर बड़े शहर में भीषण प्रदर्शन हो रहा है। इन सबके पीछे हाथ है कट्टरपंथी मौलाना साद रिजवी और इस्लामिक राजनीतिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक का। तहरीक-ए-लब्बैक ने फ्रांस के नाम पर पूरे पाकिस्तान को जंग के मैदान में तब्दील कर दिया है। अभी तक पाकिस्तान में सैकड़ों लोग जख्मी हो चुके हैं तो पुलिस महकमे के कई जवानों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है।
जल रहे हैं कई शहर
पाकिस्तान में ये हिंसा भड़की है कट्टरपंथी इस्लामिक नेता और मौलाना साज रिजवी की गिरफ्तारी के बाद। हजारों की संख्या में लोग साद रिजवी की गिरफ्तारी के खिलाफ सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। तहरीक-ए-लब्बैक के गुस्साए हजारों कार्यकर्ता सड़कों पर तोड़फोड़ कर रहे हैं, दुकानों मं आग लगा रहे हैं और सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं। सुरक्षाबलों की कार्रवाई के दौरान कुछ तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्ताओं के मारे जाने की भी खबर है। वहीं, तहरीक-ए-लब्बैक ने दावा किया है कि उसके 12 से ज्यादा कार्यकर्ता सुरक्षबलों की गोली के शिकार बने हैं। पाकिस्तान में गुस्से की ये चिंगारी भड़की है फ्रांस के नाम पर और तमाम कट्टरपंथी नेता और कार्यकर्ता पाकिस्तान सरकार पर फ्रांस से सभी रिश्ते खत्म करने और फ्रांस के राजदूत को वापस भेजने के लिए इमरान खान सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
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फ्रांस के नाम पर आगजनी
पाकिस्तान में ये बवाल मचा है फ्रांस के नाम पर। दरअसल, फ्रांस में पिछले साल नवंबर के महीने में एक टीचर पर क्लासरूम में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने का आरोप लगा था। जिसके बाद टीचर की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। हालांकि, बाद में आरोप लगाने वाली छात्रा अपने बयान से मुकर गई थी और खुलासा हुआ था कि जिस दिन उसने टीचर पर कार्टून दिखाने का आरोप लगाया था, उस दिन वो खुद स्कूल में नहीं थी। लेकिन, पाकिस्तान में इस घटना पर अब बवाल मचा है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्लासरूम में कार्टून दिखाए जाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता करार दिया था और टीचर की हत्या की कड़े शब्दों में निंदा की थी। इसके बाद से ही पाकिस्तान में फ्रांस को लेकर भारी नाराजगी है और फ्रांस के कट्टरपंथी नेता और मौलाना पाकिस्तान सरकार पर फ्रांस से हर रिश्ते खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
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कट्टरपंथियों से समझौता
तहरीक-ए-लब्बैक लगातार फ्रांसीसी राजदूत को पाकिस्तान से बाहर निकालने की बात कर रही है। वहीं, नवंबर में पाकिस्तान की इमरान खान सरकार और टीएलपी के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते के मुताबिक इमरान खान ने कहा था कि तीन महीने के भीतर इस मसले को पाकिस्तान की संसद के जरिए सुलझाया जाएगा। वहीं, टीएलपी ने इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया था लेकिन पाकिस्तान सरकार ने फ्रांस से रिश्ते खत्म नहीं किए और इसी बात को लेकर अब पाकिस्तान में आग लगी हुई है।
मौलाना साद गिरफ्तार
तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान की इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया था और वक्त नजदीक आने पर पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठन फिर से आक्रोशित होने लगे थे। इसी बीच पाकिस्तान सरकार ने कट्टरपंथी मौलाना साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद पाकिस्तान में हिंसा भड़क उठी है। वहीं, लाहौर पुलिस के प्रमुख गुलाम मोहम्मद डोगर ने कहा है कि मौलाना साद को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गिरफ्तार किया गया है।
कौन है मौलाना साद रिजवी
पाकिस्तान में हजारों की तादाद में कट्टरपंथी नेता हैं जो इस्लाम के नाम पर लोगों का खून बहाने पर आमादा रहते हैं और अभी भी पाकिस्तान में यही हो रहा है। साद रिजवी से पहले खादिम हुसैन रिजवी तहरीक-ए-लब्बैक के नेता थे, लेकिन अचानक उनका निधन हो गया, जिसके बाद तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान का नया नेता साद रिजवी को बनाया गया। साद रिजवी अपने भड़काने वाले बयानों के लिए पाकिस्तान में काफी चर्चित भी है। साद रिजवी अपने समर्थकों के साथ पाकिस्तान में कट्टरपंथी कानून बनाने का वकालत करता है और लगातार पाकिस्तान की सरकार पर दबाव बनाता रहता है। साद रिजवी और उसके समर्थक ईशनिंदा कानून को खत्म नहीं करने के लिए भी हमेशा से सरकार पर दबाव बनाती रही है। साद रिजवी और तहरीक-ए-लब्बैक चाहती है कि पाकिस्तान सरकार फ्रांस के अपने सारे संबंध खत्म करे, फ्रांस के सामानों का बहिष्कार करे और फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से बाहर निकाला जाए।
पाकिस्तान संसद में प्रस्ताव
पाकिस्तान में चाहे सरकार किसी भी पार्टी की क्यों ना हो, कट्टरपंथियों के आगे हर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नतमस्तक ही रहते हैं। इमरान खान की सरकार भी कट्टरपंथियों से डरी हुई है और इमरान सरकार ने पाकिस्तानी संसद में फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने का प्रस्ताव भी पेश किया है। इस प्रस्ताव को खुद प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मंजूरी दी थी। इस कमेटी में पाकिस्तान के कानून मंत्री फरोज नसीम, गृहमंत्री शेक रशीद और मजहबी मामलों के मंत्री नुरूल हक कादरी समेत कई बड़े अधिकारी मौजूद थे।
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‘कट्टरपंथियों से नहीं डरेगी सरकार’
कट्टरपंथियों के आगे सरेंडर करने को लेकर पूरे पाकिस्तान में इमरान खान सरकार की आलोचना की जा रही है। पाकिस्तानी अखबार डान ने इसे इमरान खान सरकार की नाकामी बताया है। डॉन ने अपनी संपादकीय में लिखा है कि पाकिस्तान की सरकार मजहबी ताकतों को बढ़ावा देकर देश की स्थिति खराब कर रही है। डान ने लिखा है कि देश की विदेश नीति तय करने का हक किसी कट्टरपंथी संगठन को नहीं है बल्कि वो देश की सरकार की होती है और अगर सरकार ही कट्टरपंथियों के आगे बेबस हो जाए तो फिर देश का कभी भला नहीं होगा। वहीं, पाकिस्तान के कैबिनेट मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि सरकार कट्टरपंथियों के आगे किसी भी कीमत पर नहीं झुकेगी। उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान सरकार कट्टरपंथियों के आगे नहीं झुकेगी और अगर आज सरकार इन कट्टरपंथियों के आगे झुक जाती है तो आने वाले वक्त में सभी कट्टरपंथी संगठन अपनी मांगे मनवाने के लिए इसी तरह देश को जलाने की कोशिश करेंगे'।
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