क्या PFI को इन दो कट्टर 'मुस्लिम देशों' से मिलती है वित्तीय मदद? देश से 'गद्दारी' की होगी जांच
पीएफआई से जुड़े कुछ लोगों को पहले भी आतंकी संगठन आईएसआईएस से संबंध होने के आरोपों में गिरफ्तार किया जा चुका है, जिन्हें तुर्की ने वापस भारत डिपोर्ट कर दिया था।
नई दिल्ली, सितंबर 30: भारत सरकार के एक उच्च अधिकारी ने कहा है कि, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि पीएफआई के विदेशी चरमपंथी तत्वों से संबंधों की जांच की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवर्तन एजेंसियां तुर्की में चरमपंथी तत्वों के साथ अब प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कथित संबंधों की जांच कर रही हैं। इसके साथ ही पीएफआई को और किन देशों से सहायता मिलती है, इस बात की भी जांच की जाएगी। जांच एजेसियों को शक है, कि भारत में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कतर से पीएफआई को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
पीएएफआई के विदेशी मदद की होगी जांच
भारत सरकार की जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि, 'ऐसी रिपोर्ट है, कि वित्तीय मदद की तलाश में पीएफआई के कुछ सदस्यों ने तुर्की और कतर की यात्रा की थी और वहां पर कुछ नागरिकों से मुलाकात की गई थी। इसके साथ ही, इस बात की भी खबरें हैं, कि पीएफआई के राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य ईएम रहमान और पी कोया को तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में अलकायदा से जुड़े एक संगठन के एक शख्स ने मेहमानवाजी की थी।' जांच एजेंसी के अधिकारी ने कहा कि, "प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से जुड़े कई शख्स पहले भी आईएसआईएस में शामिल हो चुके हैं। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने साल 2017 में एक केरल के कन्नूर के रहने वाले एक शख्स मोहम्मद इस्लाइल मोहदीन को एक और शख्स के साथ गिरफ्तार किया था, जिसे तुर्की से निर्वासित कर दिया गया था, वहीं, बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ली थी।" (गिरफ्तार पीएफआई सदस्य)
मोहम्मद इस्लाइल मोहदीन पर बड़े खुलासे
रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी मोहम्मद इस्लाइल मोहदीन ने खुद की पहचान शाहजहां वी.के बताई थी और जांच एजेंसी को बताया था, कि उसे साल 2017 के फरवरी महीने में तुर्की से निर्वासित कर दिया गया था और फिर उसे मोहम्मद इस्लाइल मोहदीन के नाम से पासपोर्ट जारी किया गया था। आरोपी शख्स शाहजहां कथित तौर पर साल 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीएफआई के पूर्ववर्ती) में शामिल हो गया था। फिर वह स्थानीय पीएफआई नेताओं के संपर्क में आया और 2008 में इसकी बैठकों में भाग लिया था। आरोप है कि वालपट्टनम के तत्कालीन पीएफआई मंडल अध्यक्ष समीर ने शाहजहाँ को आईएसआईएस की विचारधारा से वाकिफ करवाया था और आईएसआईएस के तत्कालीन खलीफा अबू बकर बगदादी के बारे में बताया था, जिसने खिलाफत की घोषणा की थी और फिर शाहजहां को तुर्की और सीरिया जाने के लिए प्रेरित किया था। समीर के आदेश के मुताबिक, जो पहले से ही सीरिया में मौजूद था, शाहजहां अपनी पत्नी और दो बेटं बेटों के साथ अक्टूबर 2016 में मलेशिया गया और फिर उसके बाद वो ईरान चला गया था। (गिरफ्तार पीएफआई सदस्य)
ईरान से गया था इंस्ताबुल
आरोपी ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया था, ईरान में उसे एक और आरोपी शाजिल और उसका परिवार मिला, जो मैंगलौर से दुबई के रास्ते ईरान पहुंचा था और उसके साथ शामिल हो गया और फिर सभी इंस्ताबुल चले गये। फरवरी 2017 में कुछ लोग तुर्की से सीरिया जाने की कोशिश कर रहे थे, जब शाहजहां को हिरासत में लिया गया था और फिर तुर्की सरकार ने उसे वापस भारत डिपोर्ट कर दिया। भारत आने के बाद भी शाहजहां ने सीरिया जाने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहा। दिसंबर 2017 में दर्ज एक अन्य ISIS से संबंधित मामले में, केरल पुलिस को एक गुप्त सूचना मिली थी, कि कुछ युवक सीरिया चले गए थे और ISIS में शामिल होने की योजना बना रहे थे। अधिकारी ने कहा कि, "ज्यादातर आरोपी पीएफआई से जुड़े थे। वहीं, खाड़ी से लौटा हमजा, केरल के युवाओं को ISIS के लिए भर्ती करने का मास्टरमाइंड था। उसने कुछ पीएफआई समर्थकों से काफी दोस्ती की थी, जबकि समीर ने ये प्लान तैयार किया था, कि विभिन्न देशों से होते हुए सीरिया कैसे पहुंचना है।" (गिरफ्तार पीएफआई सदस्य)
पीएफआई का आतंकी कनेक्शन
अधिकारी ने कहा कि, बाद में केरल पुलिस ने हमजा समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था और फिर एनआईए ने जांच अपने हाथ में ली और 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इस तरह के एक अन्य मामले में 15 में से दो आरोपी उमर अल हिंदी उर्फ मुथुक्का और सफवन पर पीएफआई से संबंध होने का आरोप लगा था। हालांकि, अब जांच एजेंसियां इस बात की पड़ताल कर रही हैं, कि क्या तुर्की और कतर से पीएफआई को चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए फंड दिया जाता है। (गिरफ्तार पीएफआई सदस्य)