श्रीलंका की राह चला पाकिस्तान, हर रोज बन रहा रिकॉर्ड, 6 महीने में 62 रुपये टूटी पाकिस्तानी मुद्रा
इस्लामाबाद, 28 जुलाईः पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के साथ-साथ पाकिस्तानी मुद्रा में भी गिरावट का दौर जारी है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया नित दिन नए रिकॉर्ड बना रहा है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया नए रिकॉर्ड बना रहा है। बीते छह माह के भीतर यह 62 रुपये तक टूट चुका है। छह महीने पहले एक पाकिस्तानी रुपये की कीमत 176 रुपये थी, जो अब करीब 240.50 तक पहुंच गया है। बुधवार को एक डॉलर की कीमत 236.02 रुपये थे लेकिन आज इसमें भारी गिरावट आयी है। बस एक दिन में 1.89 फीसदी नुकसान के साथ यह 240.5 रुपये पर पहुंच गया है।
9 दिनों में 25 रुपये टूटी मुद्रा
डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में 18 जुलाई के बाद से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के मुताबिक पाकिस्तानी मुद्रा बीते नौ दिनों में 12 फीसदी यानी 25 रुपये से भी अधिक गिर चुका है। पाकिस्तानी अखबार दैनिक ट्रिब्यून की एक खबर के अनुसार इमरान खान के द्वारा सत्ता छोड़ने के दिन यानि 7 अप्रैल से डॉलर के मुकाबले रुपया 21 प्रतिशत टूट चुका है।
इमरान के हटने के बाद हालात और हुए खराब
इमरान खान के सत्ता छोड़ने के वक्त डॉलर के मुताबिक पाकिस्तानी रूपये की कीमत 186 रुपये थी। लेकिन महज साढ़े तीन महीने बाद ही इसमें 50 रुपये से भी अधिक का अंतर आ चुका है। जानकारों के मुताबिक रुपये में ये गिरावट बढ़ते कारोबारी घाटे और राजनैतिक अस्थिरता की वजह से है। आईएमएफ से डील की उम्मीदों के साथ जुलाई की शुरुआत में रुपया मजबूत होकर 204 के स्तर तक पहुंचा था हालांकि 15 जुलाई के बाद से इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।
विदेशी निवेशक भी छिटके
वैसे तो डॉलर के मुकाबले लगभग हर देश की मुद्रा में गिरावट आ रही है, लेकिन पाकिस्तान जैसी अर्थव्यवस्था पर इसका बोझ काफी देखने को मिल रहा है। वहीं सबसे बड़ी बात ये है कि सीमित विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक रुपये में गिरावट को रोकने के लिए कोई कदम उठाने की स्थिति में नही है। राजनैतिक अस्थिरता के कारण विदेशी निवेशक भी पाकिस्तान से पर्याप्त दूरी बनाए हुए हैं।
श्रीलंका की राह पर पाकिस्तान
विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि जिस तरीके के आर्थिक हालात पाकिस्तान में बन चुके हैं वह दर्शाता है कि यह देश श्रीलंका की राह पर है। वह दिन दूर नहीं जब यहां के लोग घरों से निकल कर पाकिस्तान की सड़कों पर कब्जा कर लेंगे। जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान की इस हालत के पीछे भी चीन का ही हाथ है। चीन ने पाकिस्तान को तमाम तरह ख्वाब दिखाकर अरबों डॉलर का कर्ज दिया। इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कमर्शियल करार के तहत भारी कर्ज लिया। पाकिस्तान ने बीते कुछ सालों में आईएमएफ समेत कई मुस्लिम देशों से भी बड़ा कर्जा ले चुका है। लेकिन घरेलू करंसी के गिरने की वजह से पाकिस्तान के लिए कर्ज की किस्त चुकाना पहले से महंगा हो गया है।
पाकिस्तान को उम्मीद- अच्छे दिन आएंगे
विश्लेषकों के मुताबिक ये कहना मुश्किल है कि पाकिस्तानी रुपया और कहां तक नीचे गिरता जाएगा। पाकिस्तान के इतिहास में पहले भी ऐसे अवसर आए हैं जहां देश के पास के वल छह से सात सप्ताह का आयात कवर बचा हुआ था लेकिन उस वक्त इस बात को लेकर स्पष्टता होती थी कि आमद कितनी और किस समय आएगी। इस बार निवेश के समय मात्रा को लेकर भारी अनिश्चिता का माहौल दिख रहा है। हालांकि पाकिस्तान के वित्त मंत्री को उम्मीद है कि पाकिस्तान को मित्र देशों का सहयोग जरूर प्राप्त होगा।
भारत की स्थिति बेहतर
पड़ोसी देशों के मुकाबले भारत स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर बनी हुई है। कोरोना काल के झटकों से उभरते हुए देश ने कई मोर्चों पर लक्ष्य को हासिल किया है। महंगाई थामने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा कई सख्त कदम उठाए हैं। भारत की विकास दर भी सात फीसदी से ऊपर बनी हुई है। महंगाई दर भी कई विकसित देशों के मुकाबले कम है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट तो आई है, लेकिन स्थिति फिलहाल नियंत्रण में बनी हुई है।