Pakistan: सिख युवक मर्डर केस में चौंकाने वाला खुलासा, होने वाली दुल्हन ने दी थी 7 लाख की सुपारी
नई दिल्ली। पाकिस्तान के पेशावर में हुए सिख युवक की हत्या मामले में पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। पाकिस्तान पुलिस ने दावा किया है कि पात्रकार के भाई रविंद्र सिंह की हत्या उनकी ही मंगेतर प्रेम कुमारी ने 7 लाख रुपये की सुपारी देकर कराई है। बता दें कि मलेशिया में रहने वाले रविंद्र सिंह अपनी शादी के लिए पाकिस्तान आए थे जहां 5 जनवरी को कुछ अज्ञात लोगों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।
हत्या के बाद भारत में मचा हंगामा
पाकिस्तान पुलिस के खुलासे के बाद से हर तरफ इस केस की चर्चा हो रही है, बता दें कि सिख युवक की हत्या के बाद भारत सरकार ने इसकी निंदा करते हुए पाकिस्तान की इमरान सरकार से जांच की मांग की थी। गौरतलब है कि सिख युवक की हत्या के कुछ दिन पहले की पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर पथराव किया गया था और वहां के अल्पसंख्यकों को भी धमकाया गया था। रविंद्र सिंह की हत्या को भी इसी मामले से जोड़कर देखा गया था।
मंगेतर ने इसलिए करवाई हत्या
रविंद्र सिंह हत्या केस में पाकिस्तान पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए सिख युवक की मंगेतर प्रेम कुमारी पर मर्डर करवाने का दावा किया है। पुलिस के मुताबिक प्रेम कुमारी रविंद्र सिंह से शादी नहीं करना चाहती थी जिसके बाद उसने 7 लाख रुपये में हत्या की डील फिक्स की। रविंद्र सिंह की हत्या से पहले ही प्रेम कुमारी ने सुपारी का एडवांस पेमेंट कर दिया था।
गोली मारकर की गई हत्या
रविंद्र सिंह मलेशिया में रहते थे और अपनी शादी के लिए पाकिस्तान आए हुए थे। इसी सिलसिले में वह शॉपिंग करने एक मॉल में गए जहां शूटर्स ने रविंद्र सिंह को गोलियों से भून दिया। उसके बाद उनके शव को पाकिस्तान के पेशावर में फेंक दिया गया। बता दें कि रविंद्र पाकिस्तान के ही पत्रकार हरमीत सिंह के भाई थे जो खैबर पख्तूनवा प्रांत के शांगला में रहते थे। मलेशिया से शादी के लिए घर आई रविंद्र की हत्या के बाद से ही इलाके में हड़कंप मचा हुआ था।
भारत ने दी थी कड़ी प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि गुरुद्वारे पर पथराव के बाद रविंद्र की हत्या से भारत में भी काफी गुस्सा था। इस घटना पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान से कहा था कि वह अल्पसंख्याओं के खिलाफ हो रही ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए। पाकिस्तान को अन्य देशों को सीख देने की बजाए अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की चिंता करने की जरूरत है।
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