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75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पाकिस्तान ने जारी किया 75 रुपये का नोट, इन भारतीय नेताओं को किया शामिल

आज पाकिस्तान अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और 75वें साल को खास बनाने के लिए पाकिस्तान में 75 रुपये का नोट जारी किया गया है

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इस्लामाबाद, अगस्त 14: आज पाकिस्तान अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और 75वें साल को खास बनाने के लिए पाकिस्तान में 75 रुपये का नोट जारी किया गया है, लेकिन पाकिस्तान के इस 75 रुपये के नोट पर उस भारतीय महान कवि अल्लामा इकबाल को शामिल किया गया है, जिन्होंने 'सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्ता हमारा' लिखा था। इसके साथ ही नोट पर सर सैयद अहमद खान को भी जगह दी गई है।

दो भारतीय नेताओं की तस्वीर

दो भारतीय नेताओं की तस्वीर

पाकिस्तान ने देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस को चिह्नित करने के लिए 75 रुपये के स्मारक नोट के डिजाइन का अनावरण किया है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने एक ट्वीट में नए नोट के लेआउट का खुलासा किया। इस नोट में कायद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्ना, मोहतरमा फातिमा जिन्ना, सर सैयद अहमद खान और अल्लामा इकबाल के चित्रों के साथ अंकित हैं। यह अन्य मुद्रा नोटों के विपरीत है, जिनमें केवल कायदे आजम की तस्वीर है।

30 सितंबर को होगा जारी

केंद्रीय बैंक ने ट्वीट किया, "नोट 30 सितंबर 2022 से सार्वजनिक रूप से जारी करने के लिए उपलब्ध होगा।" "नोट में पाकिस्तान आंदोलन में उनके योगदान को पहचानने और स्वीकार करने के लिए कायद-ए-आज़म, सर सैयद अहमद खान, अल्लामा इकबाल और मोहतरमा फातिमा जिन्ना के चित्र हैं। नोट के रिवर्स पर मार्खोर की तस्वीर पर्यावरणीय स्थिरता पर हमारा ध्यान केंद्रित करती है," ट्वीट में कहा गया है।

इकबाल

इकबाल

भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने ही उठाया था। 1930 में इकबाल के ही नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने सबसे पहले भारत के विभाजन की मांग उठाई थी। वह इकबाल ही थे जिन्होंने, मोहम्मद अली जिन्ना को मुस्लिम लीग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। इकबाल और जिन्ना ने बाद के सालों में पाकिस्तान की स्थापना के लिए काम किया था। इन्हें पाकिस्तान में राष्ट्रकवि माना जाता है।

सर सैयद अहमद खान

सर सैयद अहमद खान

सर सैयद अहमद खान को दो राष्ट्र सिद्धांत का जनक कहा जाता है। उन्होंने 1876 में लिखा था, "मुझे विश्वास है कि हिंदू और मुसलमान कभी भी मिलकर एक राष्ट्र नहीं बना सकते क्योंकि उनका धर्म और जीवन जीने का तरीका एक दूसरे से काफी अलग है।" यूं तो शुरुआत में सर सैयद भारतीय राष्ट्रवाद में विश्वास करते थे लेकिन बाद में हिंदी-उर्दू विवाद के कारण उनका अखंड भारत से विश्वास हिल गया। जिसके बाद उन्होंने दो राष्ट्र सिद्धांत की वकालत करना शुरू कर दिया। सर सैयद अहमद खान मुसलमानों को एहसास कराया कि वे अलग हैं, उनका धर्म बहुत शक्तिशाली है।

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English summary
State Bank of Pakistan officially unveils Rs. 75 commemorative note, Place given to two Indian leaders
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