पाकिस्तान ने 463 भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए जारी किया वीजा
नई दिल्ली। शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की बरसी में शामिल होने के लिए पाकिस्तान ने 463 सिख तीर्थयात्रियों का वीजा जारी किया है। 27 जून से 06 जुलाई तक रणजीत सिंह की बरसी मनाई जाएगी। पाकिस्तान जाने के लिए एसजीपीसी ने यात्रियों के पासपोर्ट दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास को वीजा के लिए भेजा था। आपको बता दें कि 1974 के धार्मिक तीर्थों के दौरे पर पाकिस्तान-भारत प्रोटोकॉल के ढांचे के तहत भारत के हजारों तीर्थयात्री हर साल विभिन्न धार्मिक त्योहारों और अवसरों का निरीक्षण करने के लिए पाकिस्तान जाते हैं।
इस बार उच्चायोग ने उन सिख यत्रियों को भी शामिल किया है जिन्हें 14 जून से 23 जून तक गुरु अर्जुन देव के शहादत दिवस के लिए पाकिस्तानी वीजा दिया गया था, लेकिन वे पाकिस्तान नहीं जा सके। नई दिल्ली में उच्चायोग द्वारा जारी किए गए वीजा दुनिया के विभिन्न हिस्सों से इस आयोजन में भाग लेने वाले सिख तीर्थयात्रियों को दिए गए वीजा के अलावा हैं।
धार्मिक तीर्थस्थलों और लोगों के संपर्कों को बढ़ावा देने की पाकिस्तान सरकार की नीति के अनुरूप तीर्थयात्रा वीजा की अधिकतम संख्या जारी करना होता है। यह धार्मिक तीर्थस्थलों की यात्राओं पर द्विपक्षीय प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए पाकिस्तान सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। पाकिस्तान सरकार सभी धर्मों के आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए प्रतिबद्ध है।
जानिए महाराजा रणजीत सिंह के बारे में
सिखों के लिए महाराजा रणजीत सिंह का स्थान बहुत महत्व रखता है। सिख सम्राज्य के संस्थापक रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर 1780 को हुआ था। महाराजा रणजीत सिंह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीवित रहते हुए अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं फटकने दिया।
12 अप्रैल 1801 का दिन था जब 20 साल की उम्र में उन्हें पंजाब का महाराज बनाया। गुरु नानक के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी संपन्न कराई थी। 1798 में जमन शाह के पंजाब से लौटने पर लाहौर पर कब्जा कर उसे राजधानी बनाया। भारत पर हमला करने वाले आक्रमणकारी जमन शाह दुर्रानी को उन्होंने महज 17 साल की उम्र में धूल चटाई थी। 27 जून, 1839 को महाराजा रणजीत सिंह का निधन हो गया।