'हमें नहीं बनाने चाहिए थे मुजाहिदीन, जो बन गये आतंकी', PAK गृहमंत्री ने कबूल किया खतरनाक सच
भारत सालों से कहता आया है, कि पाकिस्तान आतंकवादियों का पाठशाला है, जिसे अब पाकिस्तान के गृहमंत्री ने कबूल किया है। पाकिस्तान हमेशा से गुड टेरेरिस्ट और बैड टेरेरिस्ट की बात करता आया है।
Pakistan News: पाकिस्तान के पेशावर में सोमवार को हुए भीषण बम ब्लास्ट के बाद अब लगता है, कि पाकिस्तान को अपनी गलती का अहसास होने लगा है और पाकिस्तान के नेताओं ने कुछ सच्चाई को कबूलना शुरू किया है। पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह ने भी एक ऐसे ही सच्चाई को कबूला है और उन्होंने कहा है, कि पाकिस्तान ने मुजाहिदीनों का निर्माण किया, जो बाद में जाकर आतंकवादी बन गये। यही बात भारत भी पिछले 40 सालों से कहता आया है, लेकिन पाकिस्तान मानने के लिए तैयार नहीं था।
पाकिस्तानी गृहमंत्री का कबूलनामा
पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह ने नेशनल असेंबली के अंदर कबूल किया है, कि मुजाहिदीन को एक वैश्विक ताकत के साथ युद्ध के लिए तैयार करना पाकिस्तान की सामूहिक गलती थी। राणा सनाउल्लाह ने मंगलवार को संसद के ऊपरी सदन को संबोधित करते हुए कहा, कि "हमें मुजाहिदीन बनाने की जरूरत नहीं थी। हमने मुजाहिदीन बनाए और फिर वे आतंकवादी बन गए।" वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी नेशनल असेंबली में बोलते हुए कहा, कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन पर फैसला करेगी। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री ने यह भी दावा किया है, कि पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार ने गैरकानूनी आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) या पाकिस्तानी तालिबान के सदस्यों को रिहा कर दिया था, जिन्हें पाकिस्तानी अदालतों से मौत की सजा दी गई थी।
क्या गलती से सीखेगा सबक?
राणा सनाउल्लाह की ये टिप्पणी, पेशावर में 30 जनवरी को मस्जिद के अंदर किए गये बम ब्लास्ट के बाद उस वक्त आई है, जब हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन टीटीपी ने ली है, जिसमें 100 लोग मारे गए हैं और 220 से ज्यादा घायल हुए हैं। ये बम विस्फोट सोमवार को दोपहर करीब 1 बजे मस्जिद के सेंट्रल हॉल में हुआ था, जब एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री ने इस विश्वास को स्वीकार किया कि टीटीपी, जिसे औपचारिक रूप से तहरीक-ए-तालिबान-ए-पाकिस्तान कहा जाता है, अफगान-पाकिस्तानी सीमा पर सक्रिय विभिन्न इस्लामी सशस्त्र आतंकवादी समूहों का एक प्रॉक्सी संगठन है। जियो न्यूज के अनुसार, पाकिस्तान के गृहमंत्री ने इमरान खान सरकार के उस फैसले को भी गलत ठहराया है, कि टीटीपी के सामने हथियार डालकर उससे बात करना और झुकना एक बड़ी गलती थी। आपको बता दें, कि इमरान खान ने हमेशा से टीटीपी से बातचीत करने की वकालत की थी, जबकि टीटीपी ने कभी भी इमरान खान सरकार की बात नहीं मानी।
पाकिस्तानी संसद में बहस
आपको बता दें, कि पेशावर मस्जिद में भीषण बम ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के अंदर गरमागरम बहस हुई है, जिसमें आतंकवाद को खत्म करने के लिए बड़े सुधारों की मांग की गई है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है, कि सरकार कुछ दिनों तक बड़ी बड़ी बातें बोलकर फिर चुप हो जाएगी। एक्सपर्ट्स का कहना है, कि इससे पहले बच्चों के स्कूल पर किए गये खतरनाक हमले के बाद भी पाकिस्तान नहीं सुधरा, जिसमें 138 बच्चों को टीटीपी के आतंकियों ने स्कूल के अंदर घुसकर मार डाला था। आपको बता दें, कि पिछले साल नवंबर के बाद से पाकिस्तान में टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच हुए शांति समझौता रद्द होने के बाद से पाकिस्तान में आतंकी हमले काफी ज्यादा बढ़ रहे हैं। TTP का गठन साल 2007 में कई सशस्त्र समूहों को एकजुट करके किया गया था, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के साथ पाकिस्तान के सहयोग का विरोध किया था। टीटीपी ने अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के खिलाफ अफगान तालिबान की लड़ाई का समर्थन किया।
'टीटीपी और अफगान तालिबान एक'
कल नेशनल असेंबली में पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री सनाउल्लाह ने जोर देकर कहा, कि यह सोचना गलत है कि टीटीपी, अफगान तालिबान से अलग है। उन्होंने कहा, कि तालिबान को फिर से बसाने की पाकिस्तान सरकार की पूर्व नीति फल नहीं दे सकी और पाकिस्तान में मौजूदा स्थिति को जन्म दिया। पाकिस्तान के संघीय मंत्री ने कहा, कि मौजूदा सरकार ने तालिबान के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल दिया है। जियो न्यूज ने बताया, कि उन्होंने पेशावर के पुलिस लाइंस में मस्जिद में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की और कहा, कि आत्मघाती हमलावर का लक्ष्य पुलिस कर्मियों को निशाना बनाना था। इसके अलावा, सनाउल्लाह ने कहा, कि प्रतिबंधित टीटीपी आतंकवादियों को पड़ोसी देश में सुरक्षित ठिकाना मिल गया है। पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स ने अब कहना शुरू कर दिया है, कि अफगान तालिबान ने पाकिस्तान को धोखा दिया है और उसी के इशारे पर पाकिस्तान में भी हमले हो रहे हैं।
अफगानों पर फूटा पाकिस्तान का गुस्सा
वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी नेशनल असेंबली में बोलते हुए पाकिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के लिए अफगान शरणार्थियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, कि पिछले डेढ़ साल में करीब 4.5 लाख अफगान वैध दस्तावेजों के साथ पाकिस्तान में दाखिल हुए, लेकिन वापस अफगानिस्तान नहीं लौटे। उन्होंने कहा, "इनमें आतंकवादी कौन है, मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।" उन्होंने कहा, कि "जब हमारे पास डॉलर की कमी थी, तो ट्रक भर कर डॉलर अफगानिस्तान भेजे जाते थे। हम उनसे कोयला खरीदते थे, उन्होंने पाकिस्तानी रुपए लिए और यहीं से डॉलर खरीदे, लिहाजा पाकिस्तान में डॉलर आसमान छू गया।" ख्वाजा ने आगे कहा, कि अफगान शरणार्थी पाकिस्तान के छोटे शहरों में भी मौजूद हैं, और उनकी संख्या लाखों में है।
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