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'बड़े भाई' चीन को किनारे कर अमेरिका के पास जाने को बेकरार पाकिस्‍तान, ट्रंप की पार्टी के करीबी की ली मदद

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इस्‍लामाबाद। अमेरिका और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते पिछले 20 सालों से किस मोड़ पर हैं, पूरी दुनिया को मालूम है। अब पाकिस्‍तान ने अमेरिका के साथ अपने रिश्‍तों को सुधारने के मकसद से उस रिपब्लिकन लॉबिस्‍ट को साइन किया है जो काफी विवादित है। इंडिया टुडे की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप भी रिपब्लिकन पार्टी के हैं। जनवरी 2017 में जबसे उन्‍होंने पद संभाला है, दोनों देशों के बीच दूरियां और बढ़ गई हैं। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों के बाद से इस्‍लामाबाद और वॉशिंगटन के बीच तनाव है।

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9/11 के बाद पाकिस्‍तान को मिला नया दर्जा

9/11 के बाद पाकिस्‍तान को मिला नया दर्जा

पाकिस्‍तान की इमरान सरकार ने रिपलिब्‍कन लॉबिस्‍ट स्‍टीफन पेन की मदद ली है। पेन के साथ एक एग्रीमेंट सरकार ने ऐसे समय किया है कि जब अमेरिका की तरफ से कोरोना वायरस पर लगातार पाक के 'बड़े भाई' चीन पर दबाव बढ़ाया जा रहा है। इमरान सरकार ने जो समझौता पेन के साथ किया है उसमें लॉबिस्‍ट से रणनीतिक सलाह मांगी गई है ताकि कूटनीतिक स्‍तर पर पाकिस्‍तान, अमेरिका में अपने लक्ष्‍यों को हासिल कर सके। विशेषज्ञों की मानें तो महामारी के बाद चीन का प्रभाव दुनिया पर कमजोर हो सकता है और इसलिए अब पाकिस्‍तान, अमेरिका की शरण में जाने की सोच रहा है। स्‍टीफन पेन वही लॉबिस्‍ट हैं जिन्‍होंने 9/11 आतंकी हमलों के बाद मुशर्रफ के कार्यकाल में पाक के साथ काम किया था। इसके बाद पाकिस्‍तान को नॉन-नाटो साझीदार का दर्जा और अरबों डॉलर की मदद अमेरिकी सरकार से मिली थी।

15 अप्रैल को साइन हुआ है कॉन्‍ट्रैक्‍ट

15 अप्रैल को साइन हुआ है कॉन्‍ट्रैक्‍ट

स्‍टीफन पेन ह्यूस्‍टन में रहते हैं और 15 अप्रैल को उनके साथ पाक ने करार किया है। एग्रीमेंट पर पेन के अलावा अमेरिका में पाक राजदूत असद मजीद खान के भी साइन हैं। जिन डॉक्‍यूमेंट्स के हवाले से इंडिया टुडे ने यह बात कही है, उनके मुताबिक पेन के साथ हुए कॉन्‍ट्रैक्‍ट में कई अहम गतिविधियों का लक्ष्‍य तय किया गया है। इन गतिविधियों में सरकार और गैर-सरकारी प्रतिनिधियों की मीटिंग की योजना और जनसंपर्क यानी पब्लिक रिलेशंस सर्विसेज की बात कही गई है। अमेरिका में लॉबिंग को राजनीति का ही हिस्‍सा माना जाता है। 15 अप्रैल को साइन कॉन्‍ट्रैक्‍ट छह माह के लिए है और इस वर्ष 16 अक्‍टूबर को खत्‍म हो जाएगा।

चीन के साए से निकलने की कोशिश

चीन के साए से निकलने की कोशिश

राजनयिक सूत्रों की मानें पाकिस्‍तान ने कोविड-19 महामारी के बाद हालातों को सोचते हुए यह फैसला लिया है। पाकिस्‍तान को आशंका है कि चीन पर अति-निर्भरता की वजह से वह भी आलोचनाओं के घेरे में आ सकता है। इस आलोचना से खुद को बचाने के लिए ही पाकिस्‍तान की तरफ से लॉबिस्‍ट की मदद ली गई है। इस समझौते पर भले ही पाकिस्‍तान के राजदूत के हस्‍ताक्षर हैं लेकिन इसके बाद भी पाक सरकार की तरफ से स्‍टीफन पेन को कोई डायरेक्‍ट फीस नहीं दी जाएगी। कॉन्‍ट्रैक्‍ट के मुताबिक लॉबिस्‍ट को नॉन-प्रॉफिट संगठन पाकिस्‍तान सरकार की तरफ से फीस देंगे। स्‍टीफन की फीस कितनी है, इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

क्‍यों विवादित हैं स्‍टीफन

क्‍यों विवादित हैं स्‍टीफन

स्‍टीफन पेन को ब्रिटेन के एक न्‍यूजपेपर की तरफ से हुए स्टिंग ऑपरेशन के बाद होमलैंड सिक्‍योरिटी विभाग में एडवाइजरी काउंसिल में अपने पद से इस्‍तीफा देना पड़ गया था। साल 2008 में उन पर आरोप लगा था कि तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति जॉर्ज बुश की निजी लाइब्रेरी के लिए घूस के बदले उन्‍होंने व्‍हाइट हाउस के टॉप ऑफिसर्स तक लोगों को पहुंचाने की पेशकश की थी। पेन उस समय बुश और तत्‍कालीन उप-राष्‍ट्रपति डिक चेनी के साथ उनके विदेशी दौरों पर जाते थे।

English summary
Pakistan China's all weather ally signs a Republicann lobbyist to improve ties with US.
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