H-1B Visa के नए बदले हुए नियम डालेंगे आईटी कंपनियों और भारतीयों पर असर
वॉशिंगटन। अमेरिका ने एच-1बी वीजा के नियमों में नए बदलाव करने का संकेत दिया है। नए प्रस्तावित बदलावों के तहत यूनाइटेड नेशंस सिटीजिनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) जो कदम उठाएगी उससे आईटी कंपनियों के अलावा, भारतीयों की नियुक्ति पर भी खासा असर पड़ेगा। पिछले दिनों राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात के संकेत दिए थे कि एच-1बी वीजा में बदलाव हो सकता है और जिनके पास यह वीजा है उन्हें अमेरिका में स्थायी नागरिकता मिल सकती है। हाल ही में वीजा नीति में जो बदलाव हुए हैं उसमें एडवांस्ड डिग्री होल्डर्स वालों को काफी फायदा दिया गया है। इससे आईटी कंपनियों पर खासा असर पड़ेगा क्योंकि अब एच-1बी वीजा की संख्या में गिरावट आ सकती है।
65,000 वीजा किए जाएंगे सेलेक्ट
नए बदलावों के तहत यूएससीआईएस पहले 65,000 वीजा को सेलेक्ट करेगा। इन वीजा को एडवांस्ड डिग्री वाले एप्लीकेंट्स और 20,000 उच्च कौशल वालों के बीच जारी किया जाएगा। नई पॉलिसी से आईटी कंपनियों का फायदा घट सकता है। नई पॉलिसी में उन्हीं लोगों को यह वीजा देने का प्रस्ताव किया गया है, जिनके पास कम से कम ग्रेजुएट की डिग्री हो। इससे इस तरह का वीजा पाने वालों की संख्या घटेगी, जिसका असर कंपनियों पर पड़ेगा। साल 2018 में यूएससीआईएस ने एडवांस्ड डिग्री वालों को वीजा के चयन में प्राथमिकता देने का प्रस्ताव दिया गया था।
मंजूरी में आएगी 10 प्रतिशत की गिरावट
माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव के बाद से एच-1बी वीजा के अप्रूवल में 10 प्रतिशत की गिरावट आएगी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा की ओर से कहा गया है कि ऊंची सैलरी पर अमेरिकी उम्मीदवारों की भर्ती के साथ कमोडिटाइज्ड सर्विसेज पर प्राइसिंग प्रेशर, वेज इन्फ्लेशन और आय वृद्धि में कमी जैसे कारक आगे चलकर कंपनियों के मुनाफे पर नकारात्मक असर डालेंगे। इक्रा के वाइस प्रेसीडेंट गौरव जैन ने कहा है कि यह नए प्रस्तावित बदलाव भारतीय आईटी कंपनियों के खिलाफ हैं।