चीन से करार रद्द होने के बाद भारत को मिल सकता है नेपाल में बूढ़ी गंडक पर हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट का ठेका
काठमांडू। एक बड़े घटनाक्रम में नेपाल ने करारा झटका देते हुए एक हाइड्रोप्रोजेक्ट के लिए चीनी कंपनी को दिए ठेके को रद्द कर दिया है। यह जानकारी नेपाल के उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने ट्वीटर कर दी है। अपने ट्वीट में थापा ने लिखा है कि संसदीय समिति के निर्देश के बाद कैबिनेट मीटिंग में चीन की कंपनी गजूबा ग्रुप के साथ किए गए समझौते को रद्द कर दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि कंपनी से जुड़े कुछ विवाद सामने आए थे। नेपाल के इस बड़े फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि यह ठेका भारतीय कंपनी नैशनल हाइड्रोइलैक्टिक पावर कारपोरेशन लिमिटेड (NHPC) को मिल सकता है। समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें नेपाल के हाइड्रो प्रोजेक्ट के चीनी कंपनी से छिन जाने की कोई जानकारी नहीं है।
चीन के विदेश प्रवक्ता ने कहा कि नेपाल और चीन के संबंध बहुत अच्छे हैं। बता दें चीन की गजूबा कंपनी ने एक साल पहले नेपाल की पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार में ठेका पाया था। बता दें कि नेपाल ने बूढ़ी गंडकी नदी पर हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट का ठेका वन बेल्ट वन रोड (OBOR) पर सहमित जताने के बाद दिया गया था। इस प्रॉजेक्ट में नेपाल के केंद्रीय और पश्चिमी क्षेत्रों में बूढ़ी गंडकी के पर वाटर स्टोरेज डैम बनाने का काम था।
संभावना जताई जा रही है कि नेपाल की ओर से चीनी कंपनी से ठेका छीनने में भारत से प्रभावित है। गौरतलब है कि म्यांमार के पूर्व राष्ट्रपति थेन सेन द्वारा 2011 में 3.6 बिलियन डॉलर के बांध सौदे को रद्द करने का फैसला करने के कुछ साल बाद नेपाल का फैसला आया। दूसरी ओर चीन ने हाल ही में पिछले हफ्ते कहा था कि वह इस मुद्दे पर म्यांमार से बात करना जारी रखेंगे।