नेपाल में भूस्खलन से भारी तबाही, 5 की मौत, अब तक 38 लापता
काठमांडू। एक बड़ी खबर पड़ोसी देश नेपाल से है, जहां के सिंधुपालकचौक जिले में शुक्रवार को हुए भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ है। इसकी चपेट में आने से 5 लोगों की मौत हो गई है और इस घटना में 38 लोग लापता हो गए हैं जिनकी तलाश की जा रही है, घायलों को अस्पताल ले जाया गया है जहां उनका इलाज जारी है, आपको बता दें कि सिंधुपालकचौक में काफी हफ्तों से भारी बारिश की वजह से हालात खराब हैं और अब तक इलाके में काफी नुकसान हुआ है।
भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना
आपको बता दें कि भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है। भू-स्खलन कई प्रकार के हो सकते हैं और इसमें चट्टान के छोटे-छोटे पत्थरों के गिरने से लेकर बहुत अधिक मात्रा में चट्टान के टुकड़े और मिटटी का बहाव शामिल हो सकता है और इसका विस्तार कई किलोमीटर की दूरी तक हो सकता है। भारी वर्षा, बाढ़ या भूकम्प के आने से भूस्खलन हो सकता है।
भूस्खलन के वक्त क्या करें
- मौसम की जानकारी से हमेशा अपडेट रहें। रेडियो, टीवी या इंटरनेट से मौसम की जानकारी प्राप्त करें और उसी के आधार पर ही पहाड़ों की सैर करने की योजना बनायें।
- ऐसे इलाके जहां भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं, ऐसे स्थानों से दूरी बनाये रखें। घर के आस-पास के नाले-नालियों को साफ रखें। नियमित रूप से चेक करते रहें कि नालों में पत्ते, कूड़ा या पत्थरों का ढेर तो नहीं फंसा है। घर के आस-पास ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगायें।
- क्योंकि पेड़ की जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं। ऐसी जगह की पहचान कर लें जहां पर चट्टान के टूटने का खतरा हो। उससे दूर रहें। अगर आपको भूस्खलन के होने का जरा भी आभास हो, तो तुरंत जिला प्रशासन को सूचना दें।
- अगर आपको पेड़ या चट्टान के टूटने, चिटकने आदि की आवाज सुनायी दे, तो तुरंत जिला प्रशासन को सूचित करें। अगर आप भूस्खलन के बीच फंस गये हैं, तो जल्द से जल्द सुरक्षित स्थान पर जाने के प्रयास करें।
- बेहतर होगा अगर आपलोग अपने परिवार के साथ रहें, अकेले नहीं। आपको यह सीखना चाहिये कि आपदा के वक्त हेलीकॉप्टर या बचाव दल से संपर्क कैसे साधते हैं।
भूस्खलन के वक्त क्या न करें
- ढलान वाली घाटियों में ज्यादा समय मत बितायें।
- जिन इलाकों में भूस्खलन का खतरा है, वहां निर्माण कार्य कतई मत करें।
- भूस्खलन के वक्त रोने की जरूरत नहीं और ऊहापोह में ऊर्जा को नष्ट मत करें।
- किसी हलके पदार्थ, या बिजली के उपकरणों को हाथ मत लगायें।
- खड़ी ढलान के आस-पास मकान मत बनवायें।
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