#WorldEconomicForum:दावोस में जब बोल रहे थे पीएम मोदी, तब ऑडियंस में अगल-बगल बैठे थे शाहरुख खान और मुकेश अंबानी
दावोस में पीएम मोदी ने कहा कि रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म हमारी कार्यशैली का सूत्र है
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नई दिल्ली। दावोस में चल रही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए दुनिया की नामचीन हस्तियां मौजूद थीं। वहीं सिने अभिनेता शाहरुख खान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनने पहुंचे थे। शाहरुख खान और प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी अगल-बगल बैठकर पीएम मोदी के भाषण को सुना। इससे पहले शाहरुख खान को 24वें वार्षिक क्रिस्टल अवॉर्ड्स में भारत में महिलाओं व बच्चों के अधिकारों के समर्थन का नेतृत्व करने के लिए सोमवार की रात को सम्मानित किया गया। जिस पर खुशी जताते हुए किंग खान ने कहा कि वो इस बात से बहुत ही उत्साहित हैं और इसके लिए उन्होंने WEF के आयोजकों को धन्यवाद भी कहा। उन्होंने कहा कि उनके काम को यह पहचान मिली वो इस बात से भी काफी खुश हैं।
दावोस में पीएम मोदी ने ये कहा
दावोस में पीएम मोदी ने कहा कि रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म हमारी कार्यशैली का सूत्र है। भारत में परमिट राज खत्म कर निवेश को सुगम बना दिया गया है।हमने एफडीआई के दरवाजे हम ने खोल दिए हैं, हम अब रेड कारपेट बिछा रहे हैं। भारत में 1400 पुराने बेकार के कानूनों को खत्म कर दिया गया है। 70 साल बाद एक नेशन-एक टैक्स की व्यवस्था GST को भारत में लागू किया गया है।
'डेमोक्रेसी और डेमोग्राफी से हम विकास को बढ़ावा दे रहे हैं'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी,और डायनेमिक से हम विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सांझा चुनौतियों के लिए एकदूसरे का सहयोग बहुत जरूरी है। पीएम मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नियमों का सही तरीके से पालन और सम्मान जरूरी है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में लोकतांत्रिक तरीके से प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना चाहिए।
मानव सभ्यता के लिए तीन सबसे बड़े खतरे
दावोस में पीएम ने कहा कि मानल सभ्यता के लिए तीन बड़े खतरे हैं। पहला खतरा-क्लाइमेट चेंज,ग्लेशियर पिघलने से बहुत से इलाके डूब रहे हैं, मौसम में तीव्र और अचानक बदलाव। दूसरा बड़ा खतरा-आतंकवाद, भारत की इस चिंता से पूरी दुनिया परिचित है,आतंकवाद जितना खतरनाक है उतना ही खतरनाक है गुड और बैड टेरेरिज्म में भेद करना, और पढ़े-लिखे लोगों का आतंकवाद में सम्मिलित होना। तीसरा बड़ा खतरा-ज्यादा से ज्यादा देश आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। इस मनोवृत्ति को आतंकवाद और क्लाइमेट चेंज की चुनौती से कम नहीं मान सकते। ग्लोबलाइजेशन की चमक फीकी होती जा रही है।
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