Milky Way में मिला अबतक सबसे पुराने तारे का अवशेष, इसका 'दुर्लभ' लाल रंग किस बात का है संकेत ? जानिए
Milky way galaxy: वैज्ञानिकों को आकाशगंगा में अबतक के सबसे पुराने तारे के अवशेष मिले हैं। यह तारा पृथ्वी के बनने से पहले ही खत्म हो चुका था। आकाशगंगा में मौजूद इस सबसे पुराने तारे को खोजने में सफलता मिली है वार्विक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को। वैज्ञानिकों ने पाया है कि सबसे प्राचीन तारे का अवशेष विशेष लाल रंग में दिखता है और उन्होंने ऐसा होने का कारण भी बताया है। यह तारा white dwarf (सफेद बौना) के रूप में है, जो कि सूर्य समेत लगभग 97% तारों के साथ होना है।
पृथ्वी से 90 प्रकाश वर्ष दूर मिला सबसे प्राचीन तारा
वार्विक यूनिवर्सिटी के खगोलविदों ने आकाशगंगा में सबसे पुराना तारा खोजा है। यह परिक्रमा कर रहे ग्रहों से जमा हुआ पुराने चट्टानी और बर्फीली ग्रह प्रणाली से जमा हुआ मलबा है। एएनआई के मुताबिक शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि एक कमजोर white dwarf (सफेद बौना) जो कि पृथ्वी से 90 प्रकाश वर्ष दूर है, कक्षीय ग्रह प्रणाली के अवशेष हैं, जो कि 10 अरब साल से भी अधिक पुराने हैं। शोधकर्ताओं ने मासिक रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में अपने शोध को प्रकाशित करने के बाद यह जानकारी दी है।
white dwarf क्या होता है ?
यह तय है कि आने वाले करोड़ों-अरबों साल बाद आखिर सूर्य समेत ज्यादातर तारा white dwarf में ही परिवर्तित हो जाएंगे। कोई भी तारा, जिसने अपने ईंधन का पूरा इस्तेमाल कर लिया है, उसके बाहरी परत मिट चुके हैं और मौजूदा समय में सिकुड़कर ठंडे हो रहे हैं, कालांतर में white dwarf (सफेद बौना) बन जाएंगे। इस प्रक्रिया के दौरान कोई भी ग्रह अगर तबाह होता है तो उसका मलबा इसी सफेद बौने पर जमा होने शुरू हो जाते हैं।
सबसे प्राचीन तारा विशिष 'लाल रंग' का है
इस शोध पर काम करने के लिए वार्विक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की अगुवाई वाली टीम ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के GAIA स्पेस ऑब्जर्वेटरी के द्वारा देखे गए दो अनोखे सफेद बौनों को मॉडल के तौर पर चुना था और उसी को आधार बनाकर रिसर्च किया। दोनों तारों पर ग्रहों के अवशेषों की मौजूदगी है, उनमें से एक अद्भूत रूप से नीला है और दूसरा विशिष्ट रूप से लाल है। तारों के विभिन्न तरंग दैर्ध्य वाले प्रकाशों को स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि वहां पर किन पदार्थों की मौजूदगी है।
WDJ2147-4035 है सबसे पुराना तारा
इस आधार पर वैज्ञानिकों ने WDJ2147-4035 को अबतक के सबसे पुराने धातु-प्रदूषित सफेद बौने के तौर पर पहचान की है। इसके लिए उन्होंने उस तारे पर संभावित रूप से पाए गए सोडियम ,लिथियम और पोटैशियम पर इकट्ठे कार्बन का पता लगाया है। दूसरा ब्लू या नीला तारा WDJ1922+0233 पहले से थोड़ा नया है। इस पर मौजूद ग्रह अवशेष पृथ्वी की पपड़ी पर मौजूद पदार्थ से मिलता-जुलता है। वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि WDJ1922+0233 पर हीलियम-हाइड्रोजन का अजीबो-गरीब मिश्रण है, जिसकी वजह से इसकी सतह के ठंडे तापमान के बावजूद इसका रंग असामान्य रूप से नीला है।
'दुर्लभ' लाल रंग किस बात का है संकेत ?
जबकि, WDJ2147-4035 (लाल) तारे पर मौजूद अवशेष करीब शुद्ध-हीलियम वाला है और उसका गुरुत्वाकर्षण बहुत ही ज्यादा है, जो कि प्राचीन ग्रह प्रणाली का है, जो बौने तारे में तब्दील हुआ है। इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने इसे सबसे पुरानी ग्रह प्रणाली का सफेद बौना माना है, जो कि आजतक आकाशगंगा में पाया गया है। इस शोध के लीड ऑथर और वार्विक यूनिवर्सिटी के भौतिक शास्त्र विभाग के पीएचडी स्टूडेंट अबीगैल एल्म्स ने कहा है, 'तारे के दूषित अवशेष बताते हैं कि पृथ्वी अद्वितीय नहीं है, कई अन्य ग्रह प्रणालियां हैं, जिनमें पृथ्वी के समान ग्रह के अवशेष हैं।'
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'97% तारे आखिरकार सफेद बौने बन जाएंगे'
उन्होंने कहा कि '......97% तारे आखिरकार सफेद बौने बन जाएंगे और वो ब्रह्मांड के चारों ओर इतने ज्यादा पैमाने पर हैं कि उन्हें समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है, खासकर ऐसे बेहद शांत जैसों को। हमारी आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों से बने शांत सफेद बौने आकाशगंगा के ग्रह प्रणाली के विकास और गठन के बारे में जानकारी देते हैं।' उनके मुताबिक, 'हम आकाशगंगा में सबसे पुराने तारों से जुड़े अवशेष ढूंढ़ रहे हैं, जो कभी पृथ्वी जहां ग्रहों के अवशेष से प्रदूषित हो चुके हैं। यह सोचना चौंकाता है कि यह सब 10 अरब साल पहले हुआ है। ऐसे ग्रह तब मर चुके हैं, जब पृथ्वी बनी भी नहीं थी।' (तस्वीरें- सांकेतिक)