पुतिन के फैसले के कारण जापान ने अपनी कसम तोड़ी, फिर से परमाणु शक्ति बनने की राह पर देश
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने बुधवार को कहा कि जापान, यूक्रेन युद्ध संकट से जुड़ी बड़ती आयातित ऊर्जा लागत से निपटने के लिए देश के परमाणु ऊर्जा उद्योग को पुनर्जीवित करेगा।
टोक्यो, 24 अगस्तः जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने बुधवार को कहा कि जापान, यूक्रेन युद्ध संकट से जुड़ी बड़ती आयातित ऊर्जा लागत से निपटने के लिए देश के परमाणु ऊर्जा उद्योग को पुनर्जीवित करेगा। 2011 के फुकुशिमा आपदा के बाद सुरक्षा संबंधी आशंकाओं के कारण कई परमाणु रिएक्टरों को निलंबित करने के बाद इस तरह का कदम विवादास्पद साबित हो सकता है।
पीएम फुमियो किशिदा ने दी जानकारी
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने इस बात की जानकारी दी है। किशिदा ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध और बढ़ती ऊर्जा लागत ने जनता की राय को बदल दिया है। कई देशों की तरह जापान जो कि 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखता है, अपनी ऊर्जा आपूर्ति पर दबाव का सामना कर रहा है। ऐसे में एक दशक बाद देश में परमाणु ऊर्जा को लेकर नीति में बदलाव किया जा सकता है।
यूक्रेन संकट के कारण सरकार ने बदला फैसला
बता दें कि फुकुशिमा परमाणु संयंत्र आपदा के बाद जापान में परमाणु-विरोधी भावना और सुरक्षा चिंताओं में तेजी से वृद्धि हुई। लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले बाद उर्जा की किल्लत और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक दबाव के बीच सरकार परमाणु ऊर्जा की वापसी पर जोर दे रही है। फुकुशिमा आपदा से पहले जापान की बिजली उत्पादन का एक तिहाई परमाणु स्रोतों से आता था, लेकिन 2020 तक यह आंकड़ा 5 फीसदी से भी कम हो गया।
पीएम ने अधिकारियों को दिए निर्देश
पीएम किशिदा ने एक ऊर्जा नीति बैठक में कहा कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने दुनिया के ऊर्जा परिदृश्य को काफी हद तक बदल दिया है और इसलिए जापान को संभावित संकट परिदृश्यों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जापान को अगली पीढ़ी के परमाणु रिएक्टरों के निर्माण पर विचार करना चाहिए। किशिदान ने अधिकारियों को साल के अंत तक ठोस उपाय करने का निर्देश दिया है। साथ ही उन्होंने स्थायी ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा पर जनता की समझ हासिल करने पर भी जोर दिया है।
7 और परमाणु रिएक्टर शुरू करने के निर्देश
पिछले महीने सरकार ने कहा था कि सर्दियों में बिजली की कमी से निपटने के लिए समय पर और अधिक परमाणु रिएक्टरों को फिर से शुरू करने की उम्मीद है। गौरतलब है कि 2011 तक जापान में 33 परमाणु रिएक्टर काम कर रहे थे। फिलहाल 7 रिएक्टर काम कर रहे हैं जिसमें से तीन अभी खराब चल रहे हैं। राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रहरी ने सैद्धांतिक रूप से सात और रिएक्टरों को फिर से शुरू करने की मंजूरी दे दी है। फुकुशिमा त्रासदी के बाद लगाए गए कड़े सुरक्षा मानकों के तहत कई अन्य ऑपरेटिंग रिएक्टर अभी भी एक लाइसेंस प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। किशिदा ने यह भी कहा कि यदि सुरक्षा की गारंटी हो तो सरकार मौजूदा रिएक्टरों के जीवनकाल को बढ़ाने पर विचार करेगी।
2011 में हुआ फुकुशिमा आपदा
बता दें कि 11 मार्च 2011 की दोपहर ढाई बजे जापान के पूर्वी प्रायद्वीप ओशिका से 70 किलोमीटर दूर 8.9 तीव्रता वाला भूकंप उठा था। इस भूकंप की वजह से सुनामी आ गई। सुनामी की वजह से समुद्र की लहरें फुकुशिमा दाइची परमाणु बिजली संयंत्र में घुसीं, जिसकी वजह से परमाणु संयंत्र में समुद्र का नमकीन पानी घुसने से रिएक्टर पिघलने लगे और धमाके होने लगे। संयंत्र से भारी मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व लीक होने लगे और परमाणु विकिरण होने लगा, जिसके बाद शहर को खाली करा लिया गया था। यह चेरनोबिल हादसे के बाद दुनिया में सबसे बड़ा परमाणु आपदा था।