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जिम्मेदार कौन? इटली में कल-कल, बहने वाली 'पो नदी' बन गई नाला

जलवायु परिवर्तन हमेशा से दुनिया के लिए चिंता का विषय रहा है। हालांकि, अभी तक इसका कोई ठोस परिणाम निकल कर सामने नहीं आया है। इटली की सबसे लंबी पो नदी इसका जीता जागता उदाहरण है। यह नदी सिकुड़ गई है।

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रोम, 30 जून : पो नदी इटली की सबसे लंबी नदी है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण यह जल संकट का सामना कर रही है। इसके दुष्परिणाम भी अभी से दिखने लगे हैं। कहते हैं जिस जगह की नदी सूखने लगती है वहां बीमारी और कई तरह की आपदाओं से लोगों को जूझना पड़ता है। मनुष्यों ने अपनी महत्वकांक्षाओं के आगे प्रकृति के नियमों को ताक पर रख दिया है। इसकी वजह से आज हम प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद हम समझने को तैयार नहीं है। प्रकृति सुरक्षित है तो हम जीवित हैं, अगर ऐसा नहीं है तो हम भी खत्म होने के कगार पर हैं।

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पो नदी सूख रही है
इटली की पो नदी जो कि देश की सबसे लंबी नदी है, आज वह अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। अंतरिक्ष ने एक तस्वीर जारी की है जिसमें आप देख सकते हैं कि, कैसे नदी सूखती जा रही है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने कॉपरनिकस सेंटिनल-2 उपग्रह का उपयोग करके जल स्तर गिरने के साथ बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही पो नदी की तस्वीरें जारी की हैं। इस तस्वीर के अनुसार जून 2020 और जून 2022 के बीच नदी की स्थिति को दर्शाया गया है। जून 2022 तक नदी सूखकर काफी सिकुड़ गई है।

हमने क्या खोया है, यह वक्त ही बताएगा
जानकार बताते हैं कि, लंबी और जल से लबालब रहने वाली पो नदी की यह हालत बढ़ते तापमान, कम बारिश और ग्लेशियर के सिकुड़ने की वजह से हुई है। बता दें कि पो नदी मीठे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है। कृषि के विकास में इस नदी का देश में बहुत बड़ा योगदान रहा है। देश के अधिकतर किसान खेतों की सिंचाई के लिए पो नदी पर ही निर्भर रहते हैं।

जलवायु परिवर्तन का परिणाम देखिए
पो नदी पश्चिम से पूर्व की ओर पूरी पो घाटी में फैली हुई है और 652 किलोमीटर लंबी है। यह 71,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और इटली में सबसे बड़ा नदी बेसिन है।

सूखे की चपेट में यूरोप
यूरोप इन दिनों सूखे की चपेट में है और इटली इससे अछूता नहीं है। यहां की सबसे लंबी 'पो नदी' को जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इटली की 70 साल के इतिहास में पो नदी सबसे खराब सूखे की चपेट में है। जून 2020 और जुलाई 2022 की अवधि में पो नदी पहले के मुकाबले काफी सिकुड़ गई है।

हमें खुद को बदलना पड़ेगा, प्रकृति के बारे में सोचना पड़ेगा
प्रकृति के बदलते मिजाज पर आज अगर हम गौर नहीं करते हैं, तो आने वाला वक्त हमें संभलने का मौका नहीं देगा। इसलिए प्रकृति के नियमों का पालने करते हुए हमें अपनी नदियों, जंगलों, पहाड़ों, जंगली जानवरों, पशु पक्षियों से प्रेम करना सीखना होगा, तभी हम इस धरती को रहने लायक बना पाएंगे। मनुष्य को अपने स्वार्थ से उपर उठकर प्रकृति के बारे में सोचना होगा तभी हम जलवायु परिवर्तन को रोक पाएंगे।

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English summary
As climate ravages the planet, the impacts are visible all across the world. While parts of India are reeling from floods, countries in Europe are facing the worst spell of drought. Italy is one of those countries that has been badly hit by low rainfall this year and satellites have picked up the changes happening on the ground from space.
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