
महसा अमीनी की खबर ब्रेक करने वाली पत्रकार को बताया 'CIA' एजेंट, ईरान पुलिस ने जेल में डाला, जिंदगी हुई नर्क!
ईरान में 22 साल की कुर्द युवती महसा अमीनी (Mahsa Amini) की मौत की खबर फैलाने वाले दो महिला पत्रकारों को सीआईए एंजेट (CIA Agent) करार दिया गया है। महसा की मौत की सूचना सबसे पहले नीलोफर हमीदी (Niloofar Hamedi) और इलाहे मोहम्मदी ( Elahe Mohammadi) ने दी थी। बता दें कि महसा की मौत ईरान की मोरैलिटी पुलिस कस्टडी में हुई थी। पुलिस का कहना था कि उसने ठीक से हिजाब को नहीं पहना था।

ईरान में महसा की मौत के बाद प्रदर्शन
22 साल की महसा अमिनी को पुलिस ने 13 सितंबर को हिजाब नहीं पहनने के आरोप में हिरासत में लिया था। बताया जाता है कि हिरासत में पुलिस ने उसके साथ मारपीट की जिससे वह कोमा में चली गई। तीन दिन बाद मेहसा की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी निशाना साधा। जवाबी कार्रवाई में अब तक कई लोग मारे गए।

पत्रकार पर लगे सीआईए एजेंट होने का आरोप
महसा अमीनी की मौत की सूचना देने वाली दोनों महिला पत्रकारों के खिलाफ ईरान पुलिस सख्त हो चुकी है। ईरान के खुफिया मंत्रालय और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के खुफिया संगठन ने शनिवार को कहा कि दोनों पत्रकार निलोफर हमीदी (Niloofar Hamedi) और इलाहे मोहम्मदी ( Elahe Mohammadi)इस समय ईरान की एविन जेल में बंद हैं।

महिलाओं के खिलाफ ईरान का काला कानून
महिलाओं के खिलाफ ईरान के काले कानून की हकीकत अब दुनिया को पता चल चुका है। महसा की मौत ने ईरान को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। देश और दुनिया में ईरान सरकार की आलोचना हो रही है। सुप्रीम लीडर को बाहर करने की बात हो रही है। ईरान इसके लिए जिम्मेदार दोनों पत्रकारों पर बड़े आरोप लगाकर जेल में डाल दिया है। ईरान ने इसके लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को जिम्मेदार ठहराया है। ईरान का कहना है कि जेल में बंद दोनों पत्रकार निलोफर हमीदी और इलाहे मोहम्मदी सीआईए एजेंट हैं और ये विदेशी मीडिया को ईरान की खबरें पहुंचाती थी। ये दोनों विदेशी मीडिया के लिए समाचारों के प्राथिमिक श्रोत थीं।

पत्रकार ने महसा के परिवार से जबरदस्ती जानकारी ली?
एक बयान में कहा गया है कि, निलोफर हमीदी ने पत्रकार होने का नाटक किया और महसा अमीनी के परिवार को उनकी बेटी की मौत के बारे में जानकारी देने के लिए मजबूर किया। जानकारी के मुताबिक महसा अमीनी की पहली तस्वीर पत्रकार निलोफर हमीदी ने सोशल मीडिया पर 16 सितंबर को ही पोस्ट की थी। तस्वीर पोस्ट होने के साथ ही ईरान में एक नई क्रांति शुरू हो गई। वह थी, हिजाब के खिलाफ क्रांति। महसा अमीनी की मौत से आहत ईरान की तमाम महिलाओं ने सरकार के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिया। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई की कुर्सी भी हिलने लगी है। लोग तानाशाह को हटाने की मांग कर रहे हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने प्रदर्शन को कुचलने के लिए 234 से अधिक प्रदर्शनकारियों की जान ले ली। इनमें 29 बच्चें भी थे, जिन्हें ईरानी सुरक्षा बलों ने बड़ी बेरहमी से मार डाला।

अमेरिका और इजरायल पर लगाया आरोप
वहीं ईरान का आरोप है कि, मोसाद और सीआईए खुफिया एजेंसियों ने देश में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों की आड़ में ईरान में हंगामा मचाने के लिए अरबों डॉलर आवंटित किए हैं। ईरान ने इस पूरी घटना को पश्चिमी नेटवर्क से जोड़ दिया है। महसा अमीनी की मौत ने ईरान के नाक में दम कर दिया है। आने वाले दिनों में वहां की सरकार की हालत और भी खराब हो सकती है। प्रदर्शन और भी उग्र हो सकता है। इसको लेकर भी शायद ईरान सरकार काफी चिंतित होगी।