'फौरन शांति और स्थिरता के लिए कदम उठाया जाए', ताइवान संकट पर पहली बार आया भारत का बयान
चीन ने "द ताइवान क्वेश्चन एंड चाइनाज रीयूनिफिकेशन इन द न्यू एरा" शीर्षक नाम से एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया है, जिसमें विदेशी शक्तियों को रास्ते से हटाने की बात कही गई है।
नई दिल्ली, अगस्त 12: ताइवान पर चीनी आक्रामकता को लेकर भारत सरकार की तरफ से बयान जारी किया गया है और कहा गया है, कि किसी भी स्थिति को बदलने की कोशिश नाकाबिले-बर्दाश्त है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि, भारत, ताइवान और चीन के बीच के घटनाक्रम से चिंतित है और क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने का आह्वान करता है।
भारत का पहला बयान
ताइवान में यूएस हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की यात्रा के बाद से चीन और अमेरिका के बीच भी काफी तनावपूर्ण स्थिति है और चीन अभी भी ताइवान स्ट्रेट में विध्वंसक युद्धाभ्यास कर रहा है, जिससे स्थिति काफी गंभीर है, जिसको लेकर अभी तक कई देश बयान जारी कर चुके हैं और चीन से अपनी सेना को वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, ताइवान में संकट पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में भारत ने इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। मीडिया को संबोधित करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, "कई अन्य देशों की तरह, भारत भी हाल के घटनाक्रमों से चिंतित है। हम संयम बरतने, यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने, तनाव कम करने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों का आग्रह करते हैं।" आपको बता दें कि, हाल ही में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के जवाब में, चीन ने ताइवान के आसपास व्यापक सैन्य अभ्यास शुरू किया।
चीन ने जारी किया श्वेतपत्र
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के स्टेट काउंसिल के ताइवान मामलों के कार्यालय और चीन के स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस ने बुधवार को "द ताइवान क्वेश्चन एंड चाइनाज रीयूनिफिकेशन इन द न्यू एरा" शीर्षक नाम से एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया है, जो पिछले हफ्ते यूएस हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान की उत्तेजक यात्रा से उत्पन्न तनाव के बाद जारी किया गया है। भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि, ये श्वेत पत्र, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और चीन के लोगों के संकल्प और राष्ट्रीय पुनर्मिलन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है, उसे बढ़ते क्रॉस-स्ट्रेट तनाव और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैन्य अभ्यास के बीच जारी किया गया है। ये श्वेत पत्र ताइवान अलगाववादियों और विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ है। वहीं, ग्लोबल टाइम्स से चीन के विश्लेषकों ने कहा कि, श्वेत पत्र का विमोचन ताइवान के अधिकारियों के साथ-साथ बाहरी ताकतों के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि नई परिस्थितियों में ताइवान के प्रश्न को हल करने के लिए मुख्य भूमि बहुत मजबूत है।
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कितना मजबूत है ताइवान?
चीन के सामने ताइवान की सैन्य ताकत ना के बराबर है और बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि चीन के पास हर तरह के सैनिकों को मिलाने के बाद करीब 20 लाख 35 हजार एक्टिव सैनिक हो जाते हैं। जबकि, ताइवान के पास सिर्फ 1.63 लाख ही सक्रिय सैनिक हैं। यानि, ताइवान के मुकाबले चीन के पास करीब 12 गुना ज्यादा सैनिक हैं। वहीं, बात अगर थल सेना की करें, तो चीन के पास 9.65 लाख पैदल सैनिक हैं, जबकि ताइवान के पास सिर्फ 88 हजार ही पैदल सैनिक हैं। वहीं, चीन की नौसेना में 2 लाख 60 हजार एक्टिव सैनिक हैं, जबकि ताइवान की नौसेना के पास सिर्फ 40 हजार सैनिक ही हैं। वहीं, बात अगर ताइवान की वायुसेना की करें, तो ताइवान के पास 35 हजार जवान हैं, जबकि चीन की वायुसेना में 4 लाख 15 हजार सैनिक हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है, कि पूरी ताकत लगाने के बाद ताइवान सिर्फ चीन के हमले को थोड़ा धीमा कर सकता है, उसके अलावा ताइवान के पास ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं होगा।
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