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गर्व की बात: भारत ने शुरू किया 5.5 जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट का निर्माण, 'त्रिशक्ति' की बराबरी

भारत के AMCA का उद्देश्य पाकिस्तान के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू कार्यक्रम को संतुलित करना भी है, जिसे वह तुर्की के सहयोग से बनाने की कोशिश कर रहा है।

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नई दिल्ली, मार्च 14: रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए भारत ने स्टील्थ टेक्नोलॉजी के तहत फाइटर जेट का निर्माण शुरू कर दिया है और इसके साथ भी भारत रूस, अमेरिका और चीन के उस विशेष क्लब में शामिल हो गया है, जिसके पास स्टील्थ टेक्नोलॉजी है। सबसे खास बात ये है, कि भारत स्वदेश में ही 'इंडियाज एडवांस मीडिया कॉम्बेट एयरक्राफ्ट' (AMCA) का निर्माण कर रहा है। आईये जानते हैं, क्यों भारत के लिए ये गर्व की बात है और कैसे धीरे धीरे भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर है। (सभी तस्वीर- फाइल)

आत्मनिर्भरता के रास्ते पर भारत

आत्मनिर्भरता के रास्ते पर भारत

यूक्रेन युद्ध से सबसे बड़ी सबर जो मिलती है, वो यह कि, युद्ध के दौरान आपकी मदद करने वाला कोई नहीं है और अगर आपके पास ताकत है, तभी आप इस दुनिया में सिर उठाकर रह सकते हैं। भारत के पड़ोस में दो-दो दुश्मन हैं और सामरिक लिहाज से पाकिस्तान कम नहीं है और चीन हमसे काफी ज्यादा ताकतवर है। लिहाजा, भारत को वक्त रहते अपने बाहुबल को मजबूत करने की जरूरत है और मोदी सरकार काफी तेजी से इस तरफ कदम भी बढ़ा रही है। भारतीय एयरोस्पेस कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने घोषणा की है, कि वह भारत के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) के लिए निर्माण प्रक्रिया शुरू कर रही है।

डीआरडीओ बना रहा है लड़ाकू विमान

डीआरडीओ बना रहा है लड़ाकू विमान

भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और HAL ने विमान निर्माण प्रक्रिया शुरू करते समय पहली शीट मेटल काटकर युद्धक विमान के निर्माण की शुरूआत कर दी है। AMCA का उद्देश्य भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना को 5.5 पीढ़ी के ट्विन-इंजन स्टील्थ फाइटर से लैस करना है, जो भारत के पुराने SEPECAT जगुआर और डसॉल्ट मिराज 2000 लड़ाकू विमानों की जगह लेगा, और इसके लाइसेंस-निर्मित सुखोई Su-30MKI जेट का पूरक है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत जिस फाइटर जेट का निर्माण कर रहा है, उसे आकाश से जमीन पर हमला करने, दुश्मनों के वायु रक्षा क्षेत्र में मार करने, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कार्यों के साथ साथ कई और उद्येश्यों की पूर्ती करने का लक्ष्य रखकर विमान का डिजाइन किया जा रहा है। इस युद्धक विमान को दुश्मनों की हवाई सुरक्षा के साथ साथ महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने और भीषण हमला करने लिए डिजाइन किया जा रहा है।

काफी ताकतवर होगा युद्धक विमान

काफी ताकतवर होगा युद्धक विमान

रिपोर्ट के मुताबिक, डीआरडीओ जिस फाइटर जेट का निर्माण र रहा है, उसमें कई और टेक्नोलॉजी को शामिल किया गया है। जैसे फाइटर जेट में सुपरक्रूज टेक्नोलॉजी, डायवर्टर-कम सुपरसोनिक इंटेक, एडवांस एवियोनिक्स और आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस फाइटर जेट को बेसलाइन स्टील्थ कॉन्फिगरेशन में 20 टन वजन रखने की क्षमता के साथ लैस करने की कल्पना की गई है, जिसमें अपने हथियारों के साथ साथ करीब 1.5 टन आयुध ले जाने की क्षमता होगी।

रडार के लिए डिटेक्ट करना होगा मुश्किल

रडार के लिए डिटेक्ट करना होगा मुश्किल

वहीं, एबीवी न्यूज की एक रिपोर्ट में प्रोजेक्ट मैनेजर रवि यादव ने कहा था कि, 'स्टेल्थ फाइटर जेट की बॉडी को खास मैटेरियल के साथ डिजाइन किया जाता है, जिसके चलते जब दुश्मन देश के रडार उसे डिटेक्ट करने की कोशिश करते हैं, तो इसकी बॉडी से तरंग टकराने के बाद वापस नहीं जाता है। यानि, इसकी बॉडी तरंगों को ऑब्जर्व कर लेता है, जिसके चलते स्टील्थ फाइटर जेट्स को रडारा डिटेक्ट नहीं कर पाते हैं।' इसके साथ ही इस विमान के जरिए पांच टन ईंधन और हथियार ले जाने की क्षमता है। वहीं, AMCA में थ्री-डायमेंशनल थ्रस्ट वेक्टरिंग और एक घरेलू रूप से निर्मित सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन एरे (AESA) रडार भी होगा।

खतरनाक मिशन को दे पाएगा अंजाम

खतरनाक मिशन को दे पाएगा अंजाम

AMCA के डायरेक्टर एके घोष ने एक न्यूज पोर्टल से बात करते हुए कहा था कि, ये फाइटर जेट फिफ्त जेनरेशन का फाइटर एयरक्राफ्ट है, जिसका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है और अभी तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ने ही पांचवी जनरेशन के एयरक्राफ्ट बनाने में कामयाबी हासिल की है। इसके साथ ही इस फाइटर जेट को ऑटोनोमस बनाने की योजना है, यानि इस फाइटर जेट को बिना पायलट की मदद से भी उड़ाया जा सकता है, जो काफी खतरनाक तरीके से दुश्मनों पर हमला कर पाएगा। इसे ही 5.5 जनरेशन का एयरक्राफ्ट कहा जाता है, जो बिना पायलट के दुश्मनों के ठिकाने को तबाह करने की क्षमता रखता है।

निजी क्षेत्र को भी शामिल करने की प्लानिंग

निजी क्षेत्र को भी शामिल करने की प्लानिंग

एचएएल और भारत की वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) एएमसीए को डिजाइन करने की देखरेख करती है, वहीं अब भारत भी विकास और उत्पादन लागत को कम करने के लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने की योजना बना रहा है। एडीए 2009 से एएमसीए पर काम कर रहा है, पहला प्रोटोटाइप 2024 तक पूरा किया जाना है, और इसकी पहली उड़ान 2025 के लिए योजना बनाई गई है। भारत की 5वीं पीढ़ी की लड़ाकू परियोजना चीन के साथ प्रतियोगी स्तर पर बराबरी करने और पाकिस्तान पर टेक्नोलॉजिकल श्रेष्ठता बनाए रखने और प्रमुख सैन्य प्रौद्योगिकियों पर अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करने की अनिवार्यता से प्रेरित हो सकती है।

चीन करता है पांचवी पीढ़ी के विमान होने का दावा

चीन करता है पांचवी पीढ़ी के विमान होने का दावा

वर्तमान में चीन J-20 और FC-31 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर्स के संचालन करने का दावा करता है, जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ हिमालय में उनके सीमा विवादों में किया जा सकता है। इसके विपरीत, भारत के पास अभी जो सबसे क्षेष्ठ फाइटर जेट है, ववो राफेल है, जो 4.5 पीढ़ी के फ्रांसीसी निर्मित राफेल और लाइसेंस-निर्मित 4+ पीढ़ी के रूसी Su-30MKI जेट हैं। और भारत जब 5.5 जनरेशन फाइटर जेट का निर्माण कर लेगा, तो फिर चीन को चुनौती देने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। हालांकि, चीन के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की क्षमताएं अभी तक अज्ञात हैं, लेकिन उनके और भारत के मौजूदा लड़ाकू विमानों के बीच पीढ़ी का अंतर हिमालय पर हवाई संघर्ष में भारत को नुकसान में डाल सकता है।

भारत के ध्यान में पाकिस्तान की क्षमता भी

भारत के ध्यान में पाकिस्तान की क्षमता भी

भारत के AMCA का उद्देश्य पाकिस्तान के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू कार्यक्रम को संतुलित करना भी है, जिसे वह तुर्की के सहयोग से बनाने की कोशिश कर रहा है। भारत का AMCA, अपने नए राफेल अधिग्रहण के साथ, पाकिस्तान के पुराने F-16s, JF-17s, J-10Cs, Dassault Mirage IIIs, Dassault Mirage 5s और Chengdu F-7PGs पर गुणात्मक बढ़त प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, AMCA कार्यक्रम अपने घरेलू एयरोस्पेस उद्योग को गति प्रदान करके महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकियों और हार्डवेयर पर भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ाता है।

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English summary
India has started manufacturing 5.5 stealth fighter jets indigenously and with the manufacture of this fighter aircraft, India will stand in the categories of China, America and Russia.
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