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कैसे अंतरिक्ष में ISS के टुकड़े-टुकड़े करेगा NASA,धरती तक लाने में जोखिम क्या है ? सबकुछ जानिए

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वॉशिंगटन, 24 फरवरी: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) को उसके आखिरी पड़ाव यानि 'धरती के कब्रिस्तान' में दफन करने का मन बना लिया है। लेकिन, यह बहुत ही जटिल और जोखिम से भरा काम है। इतिहास गवाह है कि अमेरिकी स्काईलैब के साथ 43 साल पहले क्या हुआ था ? हालांकि, अब वैज्ञानिकों के पास बहुत ही अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी मौजूद है। हर सैटेलाइट या स्पेस स्टेशन को तैयार करने के साथ ही, उसे नष्ट करने की भी व्यवस्था पहले से ही गई रहती है। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के साथ दिक्कत ये है कि वह धरती से बाहर मानव-निर्मित सबसे बड़ा ढांचा है।

'अंतरिक्ष यान के कब्रिस्तान' में गिरेगा मलबा

'अंतरिक्ष यान के कब्रिस्तान' में गिरेगा मलबा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी है कि 2031 में वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) को बंद कर देगा। 1998 के बाद से दर्जनों लॉन्चिंग के बाद इस स्टेशन को धरती पर लाना भी अपने-आप में बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। क्योंकि, यह काम जितना चुनौतीपूर्ण है, कुछ चूक हो गई तो इससे उतना ही जोखिम भी जुड़ा है। पृथ्वी पर जिस जगह पर इसका मलबा गिराया जाना है, उसे प्वाइंट निमो या 'अंतरिक्ष यान का कब्रिस्तान' भी कहते हैं। यह धरती की आबादी वाले इलाके से सबसे दूर वाली जगह होती है।

आईएसएस को धरती पर लाना है चुनौतीपूर्ण

आईएसएस को धरती पर लाना है चुनौतीपूर्ण

शुरू में 15 वर्षों के लिए संचालित किया गया आईएसएस अपनी सभी अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। वह अपनी 21 साल की सेवा पहले ही पूरी कर चुका है और नासा ने उसे एक दशक का और वक्त दे दिया है, जो कि ऑर्बिट में रहने की उसके तय किए गए समय से करीब दोगुना है। इस दौरान नासा को प्वाइंट निमो की तलाश करनी है, आईएसएस के मौजूदा स्पेस ऑपरेशन को नए कमर्शियल स्पेस स्टेशन में स्थांतरित करके उसे व्यस्थित बनाना है और बाकी बचे हुए ढांचे को मलबे के रूप में पृथ्वी पर लेकर आना है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) क्या है ?

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) क्या है ?

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अमेरिका के अलावा रूस, यूरोप, कनाडा और जापान के अंतरिक्ष संगठन भी शामिल हैं। इसने अपने कार्यकाल में पूरी मानव जाति के नजरिए से विज्ञान और सहयोग की दिशा में बहुत ही लंबी छलांग लगाई है। आईएसएस के मॉड्यूल और उसके पार्ट्स को धीरे-धीरे कई अलग-अलग देशों ने विकसित किया है और उन सबको अंतरिक्ष में जोड़ा गया है। आज की तारीख में यह संरचना फुटबॉल के मैदान जितना लंबा हो चुका है, जो अंतरिक्ष में मानव-निर्मित सबसे बड़ी चीज है। यह खुली आंखों से भी दिखाई पड़ता है अपनी कक्षा में रोजाना 16 चक्कर लगाता है और पृथ्वी की सतह से महज 400 किलोमीटर ऊपर है।

आईएसएस के फायदे ?

आईएसएस के फायदे ?

आईएसएस पर कथित तौर पर सूक्ष्म गुरुत्वीय वातावरण की वजह से दवा की खोज, वैक्सीन के विकास और इलाज को लेकर पिछले दशकों में कई कामयाबी मिली है। इसकी मदद से पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक आपदाओं पर रियल टाइम निगरानी करने में भी मदद मिलती है। इसका इस्तेमाल भविष्य के स्पेसक्राफ्ट टेक्नोलॉजी के परीक्षण करने और भविष्य में सौर मंडल की खोज करने के लिए दीर्घकालिक अंतरिक्ष यानों से जुड़े स्वास्थ्य संबधी प्रभावों का पता लगाने में भी सहायता मिलती है। लेकिन, यह सब करते हुए इस स्टेशन को अंतरिक्ष की बहुत ही मुश्किल चुनौतियों को भी झेलना पड़ रहा है। इसे सूर्य के अत्यधिक तापमान को झेलने के साथ-साथ बहुत ही कम तापमान जैसी स्थिति से भी हर वक्त गुजरना होता है।

क्या पहले कोई अंतरिक्ष स्टेशन आसमान से गिरा है ?

क्या पहले कोई अंतरिक्ष स्टेशन आसमान से गिरा है ?

फिलहाल नासा आईएसएस को 2030 तक मेंटेन करने के लिए तैयार है और उसे अंतरिक्ष से वापस लाने के फैसले पर बाकी सहयोगी संगठनों से भी आधिकारिक मंजूरी लेना है, जिसमें इंजीनियरिग के साथ-साथ कूटनीति भी जुड़ी हुई है। लेकिन, आईएसएस को नीचे लाने में किसी तरह की चूक या उससे पहले किसी तरह की दुर्घटना होने से भयानक खतरे का भी डर बना हुआ है। क्योंकि, इतिहास गवाह है कि नासा के स्काईलैब के साथ क्या हुआ था? 1979 में इसमें समय पर ईंधन नहीं डाला जा सका और यह अनियंत्रित होकर गिर गया। इसका मलबा पूरे ऑस्ट्रेलिया में बिखर गया। हालांकि, उसमें कोई जख्मी नहीं हुआ था। इसलिए, अब ऐसे स्टेशन को नीचे लाने के लिए डिजाइन को पहले से काफी बेहतर किया गया है।

मलबे को नीचे लाने का तरीका क्या है?

मलबे को नीचे लाने का तरीका क्या है?

सैटेलाइट इंजीनियरिंग में उसके ढांचे को एक समय के बाद मलबे के तौर पर नीचे लाना भी उसकी डिजाइन का एक अहम हिस्सा होता है। जो भी वस्तु अंतरिक्ष से स्वतंत्र रूप से गिर रहा है, उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाना चाहिए, ताकि धरती पर किसी को कोई खतरा ना हो। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन कोई छोटा सा सैटेलाइट नहीं है। यह पूरा फुटबॉल मैदान जितना विशाल ढांचा है। इसलिए इसको वापस लाने के लिए स्पेशल ऑपरेशन की आवश्यकता है। एक्सपर्ट का अनुमान है कि अगर कुछ अनहोनी हो जाए और यह अनियंत्रित होकर किसी शहर में गिरे तो 9/11 जैसी परिस्थिति पैदा हो सकती है। हालांकि, इस केस में इसकी संभावना नहीं के बराबर है।

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कैसे अंतरिक्ष में आईएसएस के टुकड़े-टुकड़े करेगा नासा ?

कैसे अंतरिक्ष में आईएसएस के टुकड़े-टुकड़े करेगा नासा ?

आईएसएस को योजना के मुताबिक नियंत्रित तरीके से कक्षा से नीचे लाने के लिए पहले उसमें बनाए गए नए मॉड्यूल को ढांचे से पहले अलग कर लिया जाएगा, जो उसी कक्षा में रहेगा और भविष्य के स्पेस स्टेशन में एक पार्ट के लिए रूप में उसे जोड़ दिया जाएगा। फिर धीरे-धीरे आईएसएस को उसमें लगे प्रणोदक के जरिए नीचे लाया जाएगा, जिसमें उसके चक्कर लगाने की ऊंचाई कम होती जाएगी और इसमें कुछ महीने लग जाएंगे। आगे वह तेज गति से नीचे आएगा, जिसे कई स्पेसक्राफ्ट के जरिए नियंत्रित तरीके से पृथ्वी की ओर लाया जाएगा। जैसे ही यह फिर से वायुमंडल में प्रवेश करेगा, इसका ज्यादातर हिस्सा जल जाएगा, बाकी का जो ढांचा बचेगा, उसे समुद्र की गहराई में पहुंचाया जाएगा। इससे पहले एक रूसी स्पेस स्टेशन को इसी तरह से सुरक्षित नीचे लाया जा चुका है। लेकिन आईएसएस उसके मुकाबले करीब चार गुना विशाल है। इसलिए नासा की इस बार बड़ी परीक्षा होनी है।

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English summary
NASA has decided to take the International Space Station to its Point Nemo, before falling to Earth, it will be divided into pieces
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