Good News:कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों में इम्युनिटी तैयार होने में लगता है वक्त, लेकिन.....
Coronavirus update:कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों के लिए एक बहुत अच्छी खबर है। एक नई स्टडी से पता चला है कि इंसान के शरीर में नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ पुख्ता इम्युनिटी तैयार होने में कम से कम 8 महीने तक लग सकता है, लेकिन इसका असर भी लंबे समय तक कायम रह सकता है। एक साइंस जर्नल में प्रकाशित लेख में यह बात सामने आई है। हालांकि, अभी यह पता नहीं चला है कि लंबे वक्त तक के मायने क्या हैं। क्योंकि, कोविड-19 की शुरुआत हुए ही अभी सिर्फ एक साल से ज्यादा हुए हैं और जब यह आमतौर पर 8 महीने में पुख्ता इम्युनिटी ही तैयार करता है तो इसका असर कुछ वर्षों तक भी रहने की उम्मीद जताई गई है।
कोरोना से संक्रमित हुए लोगों के लिए अच्छी खबर
कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके मानव शरीर में आमतौर पर इम्युनिटी सुस्ती के साथ बढ़ती है और इसे पूरी तरह से तैयार होने में कम से कम 8 महीने लग सकते हैं। लेकिन, बड़ी बात यह है कि नई स्टडी के मुताबिक ये धीरे-धीरे तैयार हुई इम्युनिटी लंबे वक्त तक के लिए रह सकती है। अच्छी बात ये है कि यह धीरे-धीरे लेकिन लंबे वक्त के लिए तैयार इम्युनिटी स्टडी में शामिल किए गए 90% मरीजों में दिखाई पड़ी है। ऐसे समय में जब यह बहुत बड़ा सवाल बना हुआ है कि कोविड संक्रमित कोई इंसान क्या दोबारा संक्रमित हो सकता है और हां तो कितनी जल्दी? इस स्टडी से इस सवाल का बेहद सकारात्मक जवाब मिलता नजर आ रहा है। वैसे इक्के-दुक्के दोबारा संक्रमण के मामले जरूर सुनाई पड़े हैं, लेकिन वह ना के बराबर ही देखे गए हैं। ऐसी स्थिति में नई स्टडी से ऐसा लगता है कि मानव शरीर में नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार हुई इम्युनिटी (immunity )लंबे समय तक कायम रह सकती है।
मानव शरीर वायरस को भूलता नहीं और देखते ही हमला करता है
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने करीब 200 मरीजों के ब्लड सैंपल की छानबीन के बाद पाया है कि संक्रमण के बाद इम्यून सिस्टम (immune system ) में एंटीबॉडीज (antibodies) के अलावा भी कई सारे तत्व मौजूद मिले हैं, जो वायरस को पहचानने और उसका प्रतिरोध करने में कारगार पाए गए हैं। शोध में पाया गया है कि ऐसा लगता है कि मानव शरीर आक्रमणकारी वायरस की याद ताजा रखता है, जैसे ही वह दोबारा हमला करता है, एंटीबॉडीज और किलर टी सेल्स (killer T cells) उसके खिलाफ एकजुट होकर कांउटरअटैक करते हैं। राहत की बात ये है कि इस शोध के नतीजे ऐसे वक्त में सामने आए हैं, जब यूनाइटेड किंगडम (UK) वाले कोविड-19 के नए स्ट्रेन (mutant variants)को लेकर दुनिया भर में खलबली मची हुई है।
नए स्ट्रेन के लिए भी कारगर
नई शोध से जुड़े शोधकर्ताओं को यकीन है कि उन्होंने जो जानकारी हासिल की है, वह सामान्य कोरोना वायरस से लेकर यूके वाला नया वैरिएंट (United Kingdom variant) पर भी एक समान लागू होगा। इसका कारण ये है कि इम्यून सिस्टम वायरस के विभिन्न हिस्सों पर एक साथ जवाबी हमला करेगा, जिनमें से कुछ मौजूदा म्यूटेशन से भी प्रभावित होंगे। विशेषज्ञों में इस बात पर सहमति है कि कोरोना वायरस को प्राकृतिक या वैक्सीन के जरिए तैयार की गई इम्युनिटी से बचने के लिए बहुत सारे म्यूटेशन की दौर (tremendous number of mutations) से गुजरना होगा, तभी वह इनके सुरक्षा घेरे को तोड़ सकेगा। ला जोल्ला इंस्टीट्यूट फॉर इम्युनोलॉजी (La Jolla Institute for Immunology) की शोधकर्ता और मौजूदा स्टडी की को-ऑथर डैनिएला वीस्कॉफ ने कहा है, 'वायरस को पहचानने वाले इम्युन सिस्टम के कई हिस्से होते हैं। इसलिए अगर म्यूटेशन भी होता है, वह उसके सभी हिस्सों से बचा नहीं रह सकता।'
ज्यादातर लोगों को वर्षों तक मिल सकती है इम्युनिटी
कुल मिलाकर इस स्टडी का नतीजा यही है कि वायरस के खिलाफ इम्युन धीरे-धीरे बढ़ता है और फिर अपने चरम पर पहुंचता है, जिसके बाद उसका असर कम होना शुरू हो सकता है। लेकिन, यह एक ऐसी स्थिति में पहुंचता है, जहां यह बहुत ही लंबे समय तक बरकरार रह सकता है। वीस्कॉफ के मुताबिक ज्यादातर लोगों में संक्रमण के 8 महीने बाद स्थिर प्रतिरक्षा (stable immunity) देखी गई है। उन्होंने कहा, 'इसके बाद इसमें कमी होती नहीं देखी गई। इस आधार पर कह सकते हैं कि यह कई और महीनों तक या वर्षों तक बना रह सकता है।' लेकिन, उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए हमें अभी कयासबाजी पर ही निर्भर रहना पड़ेगा कि ऐसी स्थिति कितने समय तक रह सकती है। क्योंकि, इस नए वायरस (novel coronavirus) का लंबी अवधि वाला डेटा ही उपलब्ध नहीं है। इंस्टीट्यूट के पास सबसे पुराना डेटा करीब 9 महीने पुराना ही है।
फिर भी मास्क से ना बनाएं दूरी
लेकिन, इस शोध में एक सावधानी की ओर भी आगाह किया गया है। इसके मुताबिक 10 फीसदी संक्रमित लोगों में इम्यून प्रतिक्रिया कम होती देखी गई है। अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है कि कुछ लोगों में ऐसा क्यों होता है। यानि व्यावहारिक रूप से कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोग यह नहीं जानते कि वह 90 फीसदी वालों की श्रेणी में आते हैं या फिर 10 फीसदी वालों में। इसलिए, अगर कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो गए तो यह सोच लेना कि अब उन्हें मास्क लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है, यह सही नहीं है। लोगों को हमेशा जिम्मेदार बनकर रहना जरूरी है। लेकिन, इतना तो तय है कि यह शोध उत्साहजनक है और वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इंसान का अपना इम्युन सिस्टम (human immune system)नोवल कोरोना वायरस (novel coronavirus)से निपटने के काम में जुट चुका है। एक वैज्ञानिक ने कहा है कि 'मैं आपको नहीं बता सकता कि दो साल बाद क्या होने जा रहा है, क्योंकि वायरस के अभी दो साल पूरे भी नहीं हुआ हैं। .......लेकिन, जो कुछ दिखाई दे रहा है मुझे हैरानी नहीं होगी कि यह इम्युनिटी वर्षों तक बरकरार रहेगी।'