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इस क्षुद्रग्रह में सोना ही सोना है, तो क्या इसे पाने की चाह में हम हो जाएंगे कंगाल !

नासा अपनी तरफ से 2022 के मध्य में क्षुद्रग्रह की जांच करने के लिए एक मिशन शुरू कर रहा है, जिसे डिस्कवरी मिशन (Discovery Mission) नाम दिया गया है। ये साल 2026 में साइकी तक पहुंचेगा और जांच शुरू करेगा>

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न्यूयॉर्क, 17 जून : आज का आधुनिक इंसान बेताहाशा सपनों के पीछे भाग रहा है। उसके पसीने छूट रहे हैं, परंतु वह अपने आसपास की ठंडी हवा को छोड़, किसी अलौकिक ठंड की तलाश में भागता जा रहा है। हां, मनुष्य जोखिम लेने वाला होता है, वह खोजी होता है। आज के समय में लोग अमीर बनने की चाह में धरती की खजाने को छोड़ आसमान में गोता लगा रहे हैं। कई जानकारों का मानना है कि धरती के गर्भ में अब सोना काफी कम हो गया है। आने वाले वक्त में हमें सोने की भारी कमी होने वाली है। इससे विश्व की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में अब लोग आसमान से खजाना तलाशने में जुटे गए हैं।

16-साइकी दिलाएगा सोना
जानकारों की माने तो 16-साइकी नाम का एक एस्टॉरायड (क्षुद्रग्रह) है। 16-साइकी ग्रह की संरचना सोने, बहुमुल्य धातु प्लेटिनम, आयरन और निकल से बनी हुई है। सोने-लोहे से बने इस एस्टेरॉयड का व्यास लगभग 226 किलोमीटर है। क्षुद्रग्रह पर खासतौर से लोहे की भरपूर मात्रा है। अंतरिक्ष विशेषज्ञों के मुताबिक एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की कुल कीमत करीब 8000 क्वॉड्रिलियन पाउंड है। यानी आसान तरीके से समझा जाए तो 8000 के बाद 15 शून्य और लगाने होंगे।

सोने का अथाह भंडार है यहां...
इसका मतलब यह है कि एस्टॉरायड (क्षुद्रग्रह) संभावित रूप से हम सभी को हमारे बेतहाशा सपनों से परे अमीर बनाने का वादा कर रहा है। हालांकि, इसको पाने के लिए हमें क्या-क्या कीमत लगानी होगी यह तो कोई भी नहीं जानता है। खनन विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया से सोना खत्म होने को है। इस बीच अंतरिक्ष विज्ञानियों ने एक क्षुद्रग्रह 16-साइकी (16 Psyche) पाया, जहां सोने का अथाह भंडार है। अब इसको पाने के लिए धरती के प्राणियों ने होड़ मचा रखी है।

कैसे मिलेगा सोना?
16 साइकी क्षुद्रग्रह पृथ्वी के कोर के समान ज्यादातर लोहे के धातु और निकल से बना है। समस्या यह है कि 16 -साइकी के गर्भ से खजाना पाने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक खर्च आएगा। तो क्या हम इतनी बड़ी आबादी को दांव पर लगा देंगे? हालांकि, मानव इतिहास तो यह नहीं कहता कि आप एक लकीर के बराबर की संभावना को तलाशने के लिए 8 अरब लोगों के जीवन को दांव पर लगा देंगे। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं। यह सवाल खजाने का भंडार साइकी ग्रह के मिलने के बाद पूछा जा रहा है।

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अब तक गणना ही नहीं हो सकी
ब्रिटिश अखबार की वेबसाइट टाइम्स.को.यूके के मुताबिक अगर हम इसे लाने में कामयाब हो सके तो धरती की मौजूदा आबादी में हरेक व्यक्ति को लगभग 9621 करोड़ रुपये मिल सकेंगे। विशेषज्ञों ने ये कीमत उस एस्टेरॉयड में मौजूद लोहे की लगाई है। अब तक उसके सोने और प्लेटिनम के बारे में तो गणना ही नहीं की गई है। फॉक्स न्यूज से बातचीत में वैज्ञानिक और खनन विशेषज्ञ स्कॉट मूर ने बताया कि यहां पर जितना सोना हो सकता है, वो दुनियाभर की सोने की इंडस्ट्री के लिए खतरा बन जाएगा।

नासा का मिशन डिस्कवरी
नासा अपनी तरफ से 2022 के मध्य में क्षुद्रग्रह की जांच करने के लिए एक मिशन शुरू कर रहा है, जिसे डिस्कवरी मिशन (Discovery Mission) नाम दिया गया है। ये साल 2026 में साइकी तक पहुंचेगा और जांच शुरू करेगा. वैसे निकट भविष्य में इस ग्रह से सोना लाने जैसी कोई बात नहीं की जा सकती क्योंकि अगर कोई भी देश ऐसा करेगा तो अर्थव्यवस्था में भूचाल आ सकता है।

क्या स्पेस में खुदाई होगी
भारी कीमत के सोने को लेकर देशों में जंग की भी नौबत आ सकती है। यही कारण है कि फिलहाल सोने की कीमत का पता लगाने की केवल कवायद ही शुरू हो सकी है। वैसे इसके बावजूद भी स्पेस में खुदाई करने वाली कई कंपनियां इसपर कब्जे की होड़ में लग गई हैं। जानकारों की माने तो साल 2015 में एस्टॉरायड को खरीदा या बेचा जाना संभव हो गया, इसके बाद से 16- साइकी की चर्चा हो रही है।

'16 साइकी'क्या है
पृथ्वी से लगभग 370 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित '16 साइकी' हमारे सौरमंडल की क्षुद्रग्रह बेल्ट (Asteroid Belt) में सबसे बड़े खगोलीय निकायों में से एक है। नासा के मुताबिक, आलू के जैसे दिखने वाला इस क्षुद्रग्रह का व्यास लगभग 140 मील है।

खोज
इस रहस्यमयी क्षुद्रग्रह की खोज इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्पारिस द्वारा 17 मार्च, 1852 को की गई थी और इसका नाम ग्रीक की प्राचीन आत्मा की देवी साइकी (Psyche) के नाम पर रखा गया था। चूंकि यह वैज्ञानिकों द्वारा खोजा जाने वाला 16वां क्षुद्रग्रह है, इसलिये इसके नाम के आगे 16 जोड़ा गया है। बता दें कि, अधिकांश क्षुद्रग्रहों (Asteroids) के विपरीत, जो कि चट्टानों या बर्फ से बने होते हैं, वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि '16 साइकी' क्षुद्रग्रह एक बहुत बड़ा धातु निकाय है जिसे पूर्व के किसी ग्रह का कोर माना जा रहा है, जो कि पूर्णतः ग्रह के रूप में परिवर्तित होने में सफल नहीं हो पाया था।

हालिया अध्ययन
जानकारी के मुताबिक नए अध्ययन में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्त्ताओं ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के माध्यम से क्षुद्रग्रह '16 साइकी' के रोटेशन के दौरान इसके दो विशिष्ट बिंदुओं का अध्ययन किया ताकि इसका समग्र रूप से मूल्यांकन किया जा सके।

इस अध्ययन में पहली बार '16 साइकी' क्षुद्रग्रह का पराबैंगनी अवलोकन (Ultraviolet Observation) भी किया गया है, जिससे पहली बार इस क्षुद्रग्रह की संरचना की एक तस्वीर प्राप्त की जा सकी है। अध्ययन से जानकारी मिली है कि, जिस तरह 16 साइकी क्षुद्रग्रह से पराबैंगनी प्रकाश परावर्तित हुआ वह उसी प्रकार था जिस तरह से सूर्य का प्रकाश लोहे से परावार्तित होता है, हालांकि शोधकर्त्ताओं का मत है कि यदि इस क्षुद्रग्रह पर केवल 10 प्रतिशत लोहा भी उपस्थित होगा तो भी पराबैंगनी प्रकाश का परावर्तन ऐसा ही होगा।

क्या हमें चिंतित होना चाहिए?
शुक्र है, नासा अभी तक विश्व अर्थव्यवस्था को 16 साइके के लिए दिवालिया करने की योजना नहीं बना रहा है। क्षुद्रग्रह का मिशन केवल वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि कई कंपनियां पहले से ही अंतरिक्ष में खनन कार्यों को करने के अवसर तलाश रही हैं।

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English summary
16 Psyche was first spotted in 1852 by Italian astronomer Annibale de Gasparis, who was observing the sky from Naples. He named the asteroid after Psyche, the mythological Greek goddess of the soul.
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