#Jerusalem: ट्रंप ने येरूशलम को बनाया इजरायल की राजधानी, फिलीस्तीन नाराज, जानिए इससे जुड़ी खास बातें
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बुधवार को येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता प्रदान कर दी, इसकी अधिकारिक पुष्टि व्हाइट हाउस की ओर से कर दी गई है। ट्रंप का ये एतिहासिक फैसला काफी जोखिम भरा है क्योंकि अब फिलीस्तीन के साथ अमेरिका की दुश्मनी बढ़ सकती है, बावजूद इसके ट्रंप ने ये जोखिम भरा कदम उठाते हुए अपना वो वादा पूरा किया, जो कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के वक्त इजरायल के लोगों से किया था। आपको बता दें कि येरूशलम पर फिलीस्तीन और इजरायल दोनों ही देश अपना अधिकार मानते आए हैं इसलिए स्थिति अब विकट हो सकती है, ऐसा राजनीति के जानकार कह रहे हैं, उनका मानना है कि येरूशलम पर फैसले के बाद हिंसा भड़क सकती है क्योंकि अरब के देशों ने ट्रंप को ऐसा ना करने के लिए पहले भी धमकी दे रखी है।
क्या है झगड़ा
दरअसल येरूशलम पर फिलीस्तीन और इजरायल दोनों ही अपने अधिकार जमाते हैं, फिलीस्तीन का कहना है कि 1967 के मिडईस्ट युद्ध के समय इस स्वतंत्र शहर पर इजरायल ने कब्जा कर लिया था लेकिन ये हमारा अंग है, जहां पर हमारा ही अधिकार हो सकता है। वैसे येरूशलम यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म तीनों के लिए काफी पवित्र नगरी है इसलिए ये मामला और भी गंभीर है।
इतिहास
इतिहास गवाह है कि येरुशलम प्राचीन यहूदी राज्य का केन्द्र रहा है। यहीं यहूदियों का परमपवित्र सुलैमानी मन्दिर हुआ करता था, जिसे रोमनों ने नष्ट कर दिया था। ये शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है तो माना जाता है कि यही वो धरती है, जहां से हज़रत मोहम्मद स्वर्ग गए थे।
प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक
ये प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक भी है, यहां 158 गिरिजाघर और 73 मस्जिदें स्थित हैं। द इजरायल म्यूजियम, याद भसीम, नोबेल अभ्यारण, अल अक्सा मस्जिद, कुव्वत अल सकारा, मुसाला मरवान, सोलोमन टेंपल, वेस्टर्न वॉल, डेबिडस गुम्बद यहां के मुख्य आकर्षण है, जिन्हें देखने के लिए भारी संख्या में यहां पर्यटक आते हैं।
इजरायल में खुशी
इजरायल के पीएम बेन्जामिन नेतन्याहू ने इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया है। नेतन्याहू ने कहा कि येरूशलम 70 साल से इसराइल की राजधानी रहा है। तीन सदियों से ये हमारी उम्मीदों, हमारे सपनों और प्रार्थनाओं का केंद्र रहा है। येरूशलम 3000 सालों से यहूदी लोगों की राजधानी रहा है।
फिलीस्तीन में विरोध प्रदर्शन
ट्रंप की इस घोषणा से पहले फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने चेतावनी दी थी और कहा था इस कदम के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। फिलीस्तीन के लोगों का कहना है कि ऐसा करना मौत को गले लगाने जैसा है।
संयुक्त राष्ट्र
तो वहीं संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने लिखा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर आज मुझे गहरा दुख हुआ है। उन्होंने लंबे समय से चले आ रहे रुख को पलट दिया और येरूशलम पर अंतरराष्ट्रीय सहमति को तोड़ दिया है।
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