मगरमच्छ का आखिरी निवाला था डायनासोर, लाखों साल बाद पेट में मिले विशालकाय 'दैत्य' के अवशेष
नई दिल्ली, 13 फरवरी: पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई, ये आज भी रहस्य है। दावा किया जाता है कि लाखों-करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोरों का राज था। वो इतने विशाल थे कि जब चलते तो पृथ्वी हिलती थी। आशंका है कि किसी बड़े उल्कापिंड या एस्टेरॉयड की टक्कर पृथ्वी से हुई होगी, जिस वजह से उनका विनाश हुआ। अब इससे उलट एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने डायनासोर को लेकर अजीब सा दावा किया है। (तस्वीरें- प्रतीकात्मक)
9 करोड़ साल पुराना जीवाश्म
वैज्ञानिकों के मुताबिक क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया) के बाहरी इलाके में एक भेड़ स्टेशन के पास डायनासोर का जीवाश्म मिला था। इस प्रजाति को डायनासोर किलर नाम से भी जाना जाता है। अनुमान के मुताबिक ये जीवाश्म 95 मिलियन वर्ष (9 करोड़ साल) से ज्यादा पुराना है। हैरानी के बात तो ये है कि मगरमच्छ के पेट में ऑर्निथोपोड डायनासोर का अवशेष मिला है।
टुकड़ों को जोड़ने में लगे 6 साल
द ऑस्ट्रेलियन एज ऑफ डायनासोर म्यूजियम के मैट व्हाइट ने इस खोज को असाधारण बताया। डॉ. मैट के मुताबिक पहली बार मगरमच्छ के ऐसे जीवाश्म की खोज हुई है, जिसके पेट में डायनासोर का अवशेष मिला है। ये दुनिया में अपने आप का पहला मामला है। उन्होंने बताया कि जीवाश्म की खोज तो 2010 में ही हो गई थी, लेकिन उसके टुकड़ों को जोड़ने में 6 साल से ज्यादा का वक्त लगा।
छोटे पौधे खाते थे ऑर्निथोपोड
डॉ. मैट के मुताबिक अभी तक डायनासोर किलर मगरमच्छ के बारे में सुनी-सुनाई बातें थीं, लेकिन अब जीवाश्म के पेट वाले हिस्से में डायनासोर का अवशेष मिलने से ये बात पुख्ता हो रही है। अनुमान है कि इस दुर्लभ मगरमच्छ के अंतिम भोजन डायनासोर ही थे। उन्होंने आगे कहा कि ऑर्निथोपोड डायनासोर मांस की जगह छोटे पौधे खाते थे। जिनकी चोंच और दांतों से भरे गाल थे। अनुमान के मुताबिक वो 100 मिलियन से अधिक वर्ष पहले पृथ्वी पर घूमते थे।
नदी किनारे बनाया शिकार?
वैज्ञानिकों के मुताबिक ऑर्निथोपोड बहुत प्यारे छोटे डायनासोर थे। कुछ का मानना है कि वो बड़े होते थे, जबकि कुछ उसे मुर्गे के आकार के आसपास बताते हैं। अब जीवाश्म के अध्ययन से लग रहा कि जब ऑर्निथोपोड नदी किनारे घूम रहा होगा, उसी वक्त मगरमच्छ ने उसे शिकार बनाया। इसके बाद किसी कारण से मगर की मौत हुई और उसके जीवाश्म में डायनासोर का अवशेष रह गया।
3 डी मॉडल हो रहा तैयार
शोधकर्ताओं के मुताबिक मगरमच्छ की हड्डियां बहुत ज्यादा नाजुक थीं, जिस वजह से उसे पारंपरिक तरीकों से जमीन से हटाया नहीं जा सकता था। ऐसे में शोध के लिए एक्स-रे पिक्चर की नई तकनीक का इस्तेमाल हुआ। स्कैन की गई डेटा फाइलों का उपयोग डॉ व्हाइट द्वारा डिजिटल रूप से नमूना तैयार करने के लिए किया गया था, ताकि हड्डियों का 3डी ले-आउट बनाया जा सके।
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