कोरोना वायरस: आने वाले समय में bio-terrorist attack को भी दिया जा सकता है अंजाम-UN Chief
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पहली बार कोविड-19 पर चर्चा की गई। इस दौरान यूनाइटेड नेशंस (यूएन) के मुखिया एंटोनियो गुटारेशे ने सुरक्षा परिषद को बताया कि महामारी ने इस बात को सामने लाकर रख दिया है कि कैसे अलोकतांत्रिक देश किसी भी खतरनाक नस्ल की मदद से बायो-आतंकी हमले की भूमिका में मदद कर सकती है। इस महामारी की वजह से अब तक दुनिया में 95,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 1,603,896 लोग इसके शिकार हैं।
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'खतरा और बढ़ गया है'
गुटारेशे ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यूएनएससी के सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'इस महामारी ने बताया है कि हम कितने कमजोर हैं और तैयारियों में कमी है। इससे इस बात को एक मौका मिलता है कि कैसे एक बायो-टेररिस्ट अटैक आने वाले समय में अंजाम दिया जा सकता है और इसने खतरे को और बढ़ा दिया है।' उन्होंने आगे कहा, 'नॉन स्टेट ग्रुप्स किसी जहरीली नस्ल को हासिल कर उसकी मदद से इसी तरह की तबाही दुनिया भर में मचा सकते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कुछ अलोकतांत्रिक लोगों ने वर्तमान समय में दुनिया में जारी संकट का फायदा भी उठा लिया हो। उनकी वजह से क्षेत्र में पहले ही संघर्ष बढ़ गया हो। गुटारेश ने चेतावनी दी कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से आज अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खतरा पैदा हो गया है। इस महामारी ने सामाजिक अशांति को बढ़ाया है और हिंसा को आने वाले समय में बढ़ावा मिलेगा जिसकी वजह से बीमारी से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ेगी।
अमेरिका और फ्रांस की मदद से हुई मीटिंग
यूएन
अभी
तक
महामारी
को
लेकर
चुप
था।
यह
पहली
बार
है
जब
इसकी
तरफ
से
बंद
कमरे
में
हुई
मीटिंग
में
महामारी
पर
इतना
बड़ा
बयान
दिया
गया
है।
गुटारेशे
का
बयान
इसलिए
भी
ज्यादा
महत्वपूर्ण
है
क्योंकि
चीन
ने
इस
बात
को
मानने
से
इनकार
कर
दिया
था
कि
कोरोना
वायरस
महामारी
की
वजह
से
दुनिया
की
शांति
और
सुरक्षा
को
खतरा
पैदा
हो
सकता
है।
सूत्रों
की
मानें
तो
सिक्योरिटी
काउंसिल
को
शुरुआत
में
किसी
भी
तरह
का
बयान
जारी
से
बाधित
किया
गया
था।
न
ही
परिषद
को
उस
प्रस्ताव
को
स्वीकार
कररने
दिया
जिसे
अमेरिका
की
तरफ
से
लाया
गया
था।
इस
प्रस्ताव
में
जोर
देकर
कहा
गया
था
कि
वायरस
या
तो
चीन
या
फिर
वुहान
से
निकला
है।
चीन
ने
इस
बात
का
विरोध
किया
था।
लेकिन
बेल्जियम
के
यूएन
राजदूत
मार्क
पेक्टसी
डी
बायस्टवर्व
ने
कहा
कि
गुरुवार
को
इसका
जिक्र
नहीं
हुआ।
उन्होंने
और
काउंसिल
के
बाकी
नौ
चुने
हुए
सदस्यों
की
तरफ
से
एक
मीटिंग
का
जोर
दिया
गया
था।
राजनयिकों
की
तरफ
से
बताया
गया
है
कि
फ्रांस
के
राष्ट्रपति
इमैनुएल
मैक्रों
और
अमेरिकी
राष्ट्रपति
डोनाल्ड
ट्रंप
इस
बात
पर
रजामंद
हुए
कि
वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग
के
बीच
पांच
स्थायी
सदस्यों
जिसमें
चीन,
रूस
और
ब्रिटेन
भी
शामिल
हैं,
उनके
नेताओं
की
मीटिंग
हो।