क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ईरान के अगले राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के किस अतीत को लेकर जताई जा रही चिंता

ईरान में देश के सबसे बड़े न्यायाधीश रहे इब्राहीम रईसी अब ईरान के राष्ट्रपति बनेंगे. मगर कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके पुराने रिकॉर्ड पर चिंता जताई है. क्या रहा है ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का अतीत?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
इब्राहीम रईसी
NurPhoto
इब्राहीम रईसी

ईरान के कट्टरपंथी नेता और देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली ख़मेनेई के करीबी माने जाने वाले इब्राहीम रईसी ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली है.

चुनाव अभियान के दौरान 60 साल के रईसी ने ख़ुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रचारित किया था जो रूहानी शासन के दौरान पैदा हुए भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट से निबटने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.

ईरानी न्यायपालिका के प्रमुख रहे रईसी के राजनीतिक विचार 'अति कट्टरपंथी' माने जाते हैं.

ईरान के कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने साल 1980 में बड़ी संख्या में राजनीतिक क़ैदियों को फाँसी दिए जाने पर उनकी भूमिका को लेकर चिंता जताई है.

यह भी पढ़ें: ईरान चुनाव: इब्राहीम रईसी बने अगले राष्ट्रपति, अगस्त में लेंगे शपथ

काली पगड़ी पहनने वाले रईसी

इब्राहीम रईसी का जन्म साल 1960 में ईरान के दूसरे सबसे बड़े शहर मशहद में हुआ था. इसी शहर में शिया मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र मानी जाने वाली मस्जिद भी है.

रईसी के पिता एक मौलवी थे. रईसी जब सिर्फ़ पाँच साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था.

इब्राहीम रईसी शिया परंपरा के मुताबिक़ हमेशा काली पगड़ी पहनते हैं जो यह बताती है कि वो पैग़ंबर मुहम्मद के वंशज हैं.

उन्होंने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए 15 साल की उम्र से ही क़ोम शहर में स्थित एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू कर दी थी.

अपने छात्र जीवन में उन्होंने पश्चिमी देशों से समर्थित मोहम्मद रेज़ा शाह के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. बाद में अयातोल्ला रुहोल्ला ख़ुमैनी ने इस्लामिक क्रांति के ज़रिए साल 1979 में शाह को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था.

यह भी पढ़ें: ईरान में किसकी चलती है? सर्वोच्च नेता की या राष्ट्रपति की

'डेथ कमेटी' के सदस्य और राजनीतिक क़ैदियों को फाँसी

इस्लामिक क्रांति के बाद उन्होंने न्यायपालिका में काम करना शुरू किया और कई शहरों में वकील के तौर पर काम किया.

इस दौरान उन्हें ईरानी गणतंत्र के संस्थापक और साल 1981 में ईरान के राष्ट्रपति बने अयातोल्ला रुहोल्ला ख़ुमैनी से प्रशिक्षण भी मिल रहा था.

रईसी जब सिर्फ़ 25 साल के थे तब वो ईरान के डिप्टी प्रोसिक्यूटर (सरकार के दूसरे नंबर के वकील) बन गए.

बाद में वो जज बने और साल 1988 में बने उन ख़ुफ़िया ट्राइब्यूनल्स में शामिल हो गए जिन्हें 'डेथ कमेटी' के नाम से जाना जाता है.

इन ट्राइब्यूनल्स ने उन हज़ारों राजनीतिक क़ैदियों पर 'दोबारा मुक़दमा' चलाया जो अपनी राजनीतिक गतिविधियों के कारण पहले ही जेल की सज़ा काट रहे थे.

इन राजनीतिक क़ैदियों में से ज़्यादातर लोग ईरान में वामपंथी और विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए-ख़ल्क़ा (MEK) या पीपल्स मुजाहिदीन ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ ईरान (PMOI) के सदस्य थे.

इन ट्राइब्यूनल्स ने कुल कितने राजनीतिक क़ैदियों को मौत की सज़ा दी, इस संख्या के बारे में ठीक-ठीक मालूम नहीं है लेकिन मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इनमें लगभग 5,000 पुरुष और महिलाएं शामिल थीं.

फाँसी के बाद इन सभी को अज्ञात सामूहिक क़ब्रों में दफ़ना दिया गया था. मानवाधिकार कार्यकर्ता इस घटना को मानवता के विरुद्ध अपराध बताते हैं.

यह भी पढ़ें: ईरान में हमलों के पीछे क्या इसराइल का हाथ था? पूर्व मोसाद चीफ़ की बातों से मिले संकेत

इब्राहीम रईसी
Getty Images
इब्राहीम रईसी

रईसी ने फाँसी को 'उचित' ठहराया था

ईरान के नेता इस पूरे प्रकरण से तो इनकार नहीं करते हैं लेकिन वो इस बारे में विस्तार से बात नहीं करते और न ही सज़ा पाए लोगों के बारे में कुछ कहते हैं.

इब्राहीम रईसी ने इस मामले में अपनी भूमिका से लगातार इनकार किया है लेकिन साथ ही उन्होंने एक बार यह भी कहा था कि ईरान के पूर्व सर्वोच्च नेता अयातोल्ला ख़ुमैनी के फ़तवे के मुताबिक यह सज़ा 'उचित' थी.

पाँच साल पहले 1988 का एक ऑडियो टेप लीक हुआ था जिसमें रईसी, न्यायपालिका के अन्य सदस्यों और तत्कालीन और दूसरे नंबर के धार्मिक नेता अयातोल्ला हुसैन अली मोतांज़ेरी के बीच की बातचीत सामने आई थी,

इस ऑडियो में मोतांज़ेरी राजनीतिक क़ैदियों को फाँसी की घटना को 'ईरान के इतिहास में सबसे बड़ा अपराध' कहते हुए सुने जा सकते हैं.

इसके एक साल बाद मोतांज़ेरी ने अयातोल्ला ख़ुमैनी के तय उत्तराधिकारी के तौर पर अपना पद खो दिया और अयातोल्ला ख़ामेनेई अगले सर्वोच्च धार्मिक नेता बन गए.

रईसी ने फाँसी को उचित ठहराया था
AFP
रईसी ने फाँसी को उचित ठहराया था

रईसी का दबदा

वहीं, रईसी इसके बाद भी ईरान के प्रोसिक्यूटर बने रहे. इतना ही नहीं, इसके बाद वो स्टेट इंस्पेक्टरेट ऑर्गनाइज़ेश के प्रमुख और न्यायपालिका में पहले डिप्टी हेड बने.

इसके बाद साल 2014 में वो ईरान के प्रोसिक्यूटर जनरल (सरकार के प्रमुख वकील) नियुक्त किए गए.

फिर दो साल बाद सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह ख़मेनेई ने उन्हें ईरान के सबसे अहम और समृद्ध धार्मिक संस्थाओं में से एक अस्तन-क़ुद्स-ए-रज़ावी का संरक्षक नामित किया.

यह संस्था मशहद शहर में शिया मुसलमानों की मस्जिदों और इनसे जुड़े अन्य संगठनों का ज़िम्मा संभालती है.

अमेरिका के अनुसार, इस संस्था की कई निर्माण, कृषि, ऊर्जा, टेलीकम्युनिकेशन और फ़ाइनेंशियल सेवाओं में बड़ा निवेश है.

साल 2017 में इब्राहीम रईसी ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करके सबको चौंका दिया था.

तब हसन रूहानी ने राष्ट्रपति चुनाव का पहला राउंड 57 फ़ीसदी वोटों के साथ जीत लिया था. वहीं, ख़ुद को भ्रष्टाचार-विरोधी नेता बताने वाले रईसी 38 फ़ीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे.

यह भी पढ़ें: ईरान की सभी मुस्लिम देशों से फ़लस्तीनियों को लेकर एक ख़ास अपील

ईरान
Getty Images
ईरान

हार के बावजूद बढ़ता रहा क़द

हालाँकि इस हार ने रईसी की छवि को नुक़सान नहीं पहुँचाया और साल 2019 में अयातोल्ला अली ख़मेनेई ने उन्हें न्यायपालिका प्रमुख के तौर पर नामित किया.

इसके कुछ हफ़्तों बाद ही रईसी को अगला सर्वोच्च धार्मिक नेता चुनने के लिए 88 मौलवियों वाली समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया.

न्यायपालिका प्रमुख के तौर पर इब्राहीम रईसी ने कुछ सुधार नीतियाँ लागू कीं जिनसे ईरान में ड्रग्स से जुड़े अपराधों के कारण मौत की सज़ा पाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई. लेकिन इसके बावजूद ईरान, चीन के अलावा पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा लोगों को मौत की सज़ा देने वाला देश बना रहा.

रईसी के समय में न्यायपालिका ने विरोधी आवाज़ों वाले कई ईरानी नागरिकों को (ख़ासकर दोहरी नागरिकता और दूसरे देशों के स्थायी निवासियों को) जासूसी के आरोप में सज़ा देने के लिए सुरक्षा सेवाओं के साथ काम करना जारी रखा.

इब्राहीम रईसी
AFP
इब्राहीम रईसी

इस साल रईसी ने जब राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया तो उन्होंने ख़ुद को 'ईरान को ग़रीबी, भ्रष्टाचार, भेदभाव और अपमान से मुक्त कराने के लिए एक स्वतंत्र' उम्मीदवार के तौर पर पेश किया.

हालांकि रईसी की निजी ज़िंदगी के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं मालूम है. सिवाय इसके कि उनकी पत्नी तेहरान की शाहिद बेहश्ती यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं और उनके दो बच्चे हैं.

रईसी के ससुर अयातोल्ला अहमद अलामोलहोदा मशहद में होने वाली जुमे की नज़ाम की अगुआई करते हैं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
concern about past of Iran's next President Ibrahim Raisi
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X