सुषमा को भारत, नेपाल और चीन के बीच CPEC जैसे प्रोजेक्ट के लिए लुभाने की कोशिशें
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 22 अप्रैल को चीन की यात्रा पर जांएगी और इस दौरान चीन उन्हें ठीक चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) तरह के एक प्रोजेक्ट के लिए लुभाने की कोशिश कर सकता है। इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से इससे जुड़ी एक खास रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
बीजिंग। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 22 अप्रैल को चीन की यात्रा पर जांएगी और इस दौरान चीन उन्हें ठीक चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) तरह के एक प्रोजेक्ट के लिए लुभाने की कोशिश कर सकता है। इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से इससे जुड़ी एक खास रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। चीन, सुषमा के दौरे पर उन्हें चीन, नेपाल और भारत के बीच एक इकोनॉमिक कॉरीडोर के लिए हामी भरवाने की कोशिश कर सकता है। आपको बता दें कि भारत सीपीईसी के तहत बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का विरोध करता आया है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत मानता है कि सीपीईसी और बीआरई दोनों ही उसकी संप्रभुता के खिलाफ हैं।
क्या कहा चीनी विदेश मंत्री ने
बुधवार को चीन के विदेश मंत्री वांग याई ने तीन देशों के बीच इस इकोनॉमिक कॉरीडोर के बारे में बातें की।याई के मुताबिक चीन मानता है कि इस तरह की बेहतर कनेक्टिविटी चीन, नेपाल और भारत के बीच एक इकोनॉमिक कॉरीडोर के लिए माहौल तैयार कर सकती है। याई ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि इस तरह का आपसी सहयोग विकास और समदृता में अपना बड़ा योगदान दे सकता है और इससे सभी देशों में आर्थिक समदृता आ सकेगी।चीनी विदेश मंत्री की ओर से यह बात उस समय कही गई जब नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावाली बीजिंग में मौजूद थे। ग्यावाली के साथ बातचीत करते समय चीनी विदेश मंत्री ने दोनों देशों के ल, रोड, ऊर्जा और टेली-कम्युनिकेशन नेटवर्क जैसे प्रोजेक्ट्स के बारे में बातें कीं। इसी दौरान उन्होंने भारत, चीन और नेपाल के बीच एक इकोनॉमिक कॉरीडोर की इच्छा जताई।
नेपाल की उत्सुकता
नेपाल के साथ चीनी विदेश मंत्री वांग ने कहा कि चीन और नेपाल दोनों देश पूरे हिमालय क्षेत्र में दीर्घकालिक बहुआयामी नेटवर्क को तैयार करने में सहमति जताई है। वहीं नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि हमेशा से उनका सपना है कि वह हिमालय की खूबसूरती का आनंद उठाते हुए ट्रेन से चीन तक का सफर तय करें। उन्होंने बताया कि नेपाल को विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स को लेकर काफी उम्मीदें हैं। चीन को उम्मीद है कि नेपाल, भारत पर बीआरआई और इसके निर्माण कार्य को स्वीकारने में भारत पर दबाव डाल सकता है। चीन, पाकिस्तान से बाहर बीआरआई को स्वीकार्यता दिलाने के लिए काफी बेसब्र है। हालांकि कई देशों की ओर से इस प्रोजेक्ट पर इसकी लागत की वजह से चिंता भी जताई जा चुकी है।