बोको हराम की क़ैद से छूटी लड़कियों की आपबीती
नाइजीरिया में बोको हराम के लड़ाकों ने बुधवार की तड़के सुबह दापची शहर में महीने भर पहले अग़वा की गई लड़कियों में से अधिकांश को छोड़ दिया.
नाइजीरिया की सरकार का कहना है कि अग़वा किए 105 लड़कियों के साथ एक लड़के को भी छोड़ गया है. इनमें से 104 लड़कियां स्कूल जाती हैं. सरकार ने इस बात का खंडन किया है कि लड़कियों के बदले किसी तरह की फिरौती दी गई है.
नाइजीरिया में बोको हराम के लड़ाकों ने बुधवार की तड़के सुबह दापची शहर में महीने भर पहले अग़वा की गई लड़कियों में से अधिकांश को छोड़ दिया.
नाइजीरिया की सरकार का कहना है कि अग़वा किए 105 लड़कियों के साथ एक लड़के को भी छोड़ गया है. इनमें से 104 लड़कियां स्कूल जाती हैं. सरकार ने इस बात का खंडन किया है कि लड़कियों के बदले किसी तरह की फिरौती दी गई है.
लड़कियों के आज़ाद होने की ख़बर से शहर में खुशी का माहौल है. बोको हराम की क़ैद में अब एक ही लड़की बची है. वो लड़की ईसाई है.
उस लड़की के माता-पिता ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि बोको हराम लड़की पर इस्लाम अपनाने का दवाब डाल रहा है लेकिन लड़की इससे इनकार कर रही है.
क़ैद से छूटने के बाद लड़कियों ने अपनी आपबीती अपने परिवारों के साथ साझा की.
लड़कियों को कैसे अगवा किया गया?
फ़रवरी की 19 तारीख, दिन सोमवार, कथित इस्लामी चरमपंथी समूह बोको हराम के लड़ाकों ने शहर पर धावा बोला. वो हवा में गोलियां चलाते हुए लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल की तरफ बढ़ते हैं.
क़ैद से छूटने के बाद 13 साल की फ़ातिमा अव्वल ने बीबीसी को बताया कि हमलवरों ने चप्पलें और सैंडल पहने हुए थे. वो कहती हैं कि उन लोगों ने लंबी दाढ़ी रखी हुई थी और उनके सिर पर पगड़ियां बंधी हुई थीं. फातिमा अग़वा नहीं की जा सकी थीं लेकिन उनकी बेस्ट फ्रेंड को अग़वा कर लिया गया था.
क़ैद से आज़ाद हुई नूर बताती हैं कि जब वो लड़ाके आए थे तब उन्होंने ज़ोरदार धमाके की आवाज़ सुनी थी. वो कहती हैं, "हमें लगा था कि बिजली का ट्रांसफॉर्मर जल गया है. वे लोग स्कूल के मेन गेट से अंदर घुसे और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे."
"उन्होंने हमें कपड़ों से ढका और अपनी गाड़ियों की तरफ खींचने लगे. पांच लड़कियों की उस वक्त मौत हो गई थी."
लड़की ने बोको हराम की क़ैद से आज़ाद होने से किया इंकार
बोको हराम के चंगुल से निकली लड़कियां पहुंचीं घर
क़ैद से छूटी यागना ने बीबीसी को बताया, "कई लड़कियां और शिक्षक पेड़ों के पीछे छिपने के लिए भागने लगे. बोको हराम के लड़ाकों ने उन्हें धमकी दी कि अगर वो हिले तो उनकी जान ले ली जाएगी. जिसके बाद उन्होंने दौड़ना बंद कर दिया."
वो कहती हैं, "हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था. उन्होंने हमें ट्रक में बैठने को कहा और हमलोगों ने ऐसा ही किया. इसके बाद वो हमें ले कर चले गए."
अगवा करने के बाद का सफ़र
लाराई नाम की लड़की ने नाइजीरिया के अख़बार 'द प्रीमियम टाइम्स' को बताया कि दापची से बाहर निकलने के बाद उन्हें खाना खिलाया गया था.
लाराई ने बताया, "उन्होंने पूछा कि हमलोगों में से कौन-कौन उपवास पर हैं. जो उपवास पर थे उन्हें गाड़ी से उतरने के लिए कहा. फिर उन्हें खाने के लिए मांस, मूंगफली की पट्टी और पानी दिया गया. खाना खाने के बाद हमलोगों ने नमाज़ पढ़ी."
वो कहती हैं कि इसके बाद उन्होंने कार से आगे का सफर किया है. बस एक 'बड़े से पेड़ के पास' एक ही जगह पर रुके थे.
वो आगे बताती हैं, पेड़ के पास पहुंच कर उन्होंने हमें खाना बनाने के लिए कहा. अंधेरा हो गया था इसीलिए उन्होंने लाइटें जला दी थीं."
नूर ने बीबीसी को बताया, "हमने वहां एक रात बिताई. उन्होंने हमें खाना पकाने के लिए कहा. हमने उनसे कहा कि हमें छोड़ दें. उन्होंने ऐसा करने का वादा किया और फिर हमें दूसरे स्थान पर ले जाया गया."
लाराई ने अख़बार 'द प्रीमियम टाइम्स' को बताया, "खाना खाने के बाद हम लंबे समय तक यात्रा करते रहे. आख़िर में हम एक ऐसी जगह पहुंचे जहां नदी थी. उन्होंने हमें ट्रकों से उतरने के लिए कहा जिसके बाद हम नदी पार करने के लिए छोटी-छोटी नावों पर सवार हुएं."
लाराई बताती हैं कि उन्हें जंगल में ले जाया गया था, जहां पर उन्हें रखा गया था.
"नदी के पार, वो हमें एक गांव के एक घर में ले गए. मुझे नहीं पता वो कौन सा गांव था. हम कुछ समय तक वहां रहें. अगले दिन उन्होंने हमें बाहर आने के लिए कहा फिर नदी का रास्ते हमें कहीं और ले जाया गया. हम जंगल के एक ऐसे इलाके में पहुंचे जो काफी घना था. तब से हमें वहीं रखा गया था."
यात्रा के दौरान चार या पांच लड़कियों की मौत हो गई.
लाराई ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "करीब पांच लड़कियां मर गईं. ऐसा नहीं कि उन्होंने उन्हें मारा, लेकिन थकाने वाले सफर और तनाव के कारण वो कमज़ोर हो गई थीं और मर गईं."
तलाऊ ने रॉयटर्स को बताया कि उसकी "दो सहेलियों की मौत हो गई थी. सफर के दौरान वो गिर गई थीं और उनके ऊपर से लोग गुज़र गए."
वो बताती हैं, "जहां हमें रखा गया था जो एक बड़ी जगह थी और चारों ओर से ढकी हुई थी. किसी को भी हम नहीं दिख सकते थे. आसमान भी देखना असंभव था."
नूर बताती हैं, "उन्होंने हमारे साथ कुछ भी नहीं किया था. उन्होंने हमें बस वहां रखा था. हमें वक्त पर खाना और पानी देते थे."
क़ैद से छोड़ा जाना
लड़कियों के अभिभावकों ने बताया कि 21 मार्च को 9 गाड़ियों में भर कर लड़कियों को दापची लाया गया था. लड़कियों की आपबीती मानें तो उसके लिए उनका सफर कम से कम चार-पांच दिन पहले शुरु हुआ होगा.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार एक लड़की ने बताया कि उन्हें चाड झील पर मौजूद टापूओं में से किसी पर रखा गया होगा. इन टापुओं को इस्लामिक स्टेट समर्थन प्राप्त अबु मुसाब अल-बरनावी के नेतृत्व में बोको हराम के समूह के लड़ाकों का गढ़ माना जाता है.
लादी ने एएफ़पी को बताया कि, "उन्होंने 17 मार्च को हमें तैयार होने के लिए और नाव पर चढ़ने के लिए कहा. हम नाव में तीन दिन तक रहें, जिसके बाद ही हमने ज़मीन पर कदम रखा. उन्होंने हमें गाड़ियों में भरा और बताया कि वो हमें हमारे घर छोड़ने जा रहे हैं."
एक लड़की के पिता ने रॉयटर्स को बताया कि सेना के रंग से रंगी कुछ गाड़ियां हमारी लड़कियों को ले कर आई थीं. उन्होंने कहा, "उन लड़ाकों ने हमसे कहा कि हम यहां से भागें नहीं. उन्होंने शहर के बीचोंबीच अली की चाय की दुकान के सामने लड़कियों को उतारा और चले गए."
एक लड़की के पिता ने बीबीसी को बताया कि उनकी बेटी ने उन्हें बताया था कि वो घर लौटने के लिए 18 तारीख से सफर कर रही हैं. वो कहते हैं, "उसने बहुत कुछ भुगता है. ईश्वर की कृपा है कि अब वो आज़ाद है."
एक लड़की के पिता ने बीबीसी को बताया, "बोको हराम ने हमारी लड़कियों को छोड़ दिया. उन्होंने हमसे कहा कि हम इन्हें आज़ाद कर रहे हैं लेकिन इन्हें पश्चिमी शिक्षा के लिए स्कूलों में भर्ती मत कराना, नहीं तो हम फिर से इन्हें अगवा कर लेंगे."
कुछ अभिभावकों ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि वो लोग उनके पास आए, उनसे हाथ मिलाया और जाने से पहले उनके साथ तस्वीरें भी लीं.
क़ैद से छोड़े जाने के कुछ घंटों बाद ही इन लड़कियों को राजधानी अबूजा ले जाया गया जहां उन्होंने राष्ट्रपति महमदू बुहारी से मुलाक़ात की.