Brazil राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज मतदान, पीएम मोदी के 'दोस्त' बोल्सोनारो को मिलेगी जीत?
ब्राजील के करीब 12 करोड़ मतदाता देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए रविवार को मतदान करेगी और दोनों उम्मीदवारों को मिला ये दूसरा मौका है।
Jair Bolsonaro or Lula da Silva: ब्राजील में मौजूदा राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो या पूर्व राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा, देश की जनता दोनों नेताओं में से अगला राष्ट्रपति किसे चुनेगी, इसके लिए रविवार को फिर से मतदान होने जा रहा है। ब्राजीलियन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्राजील के लोगों के लिए ये चुनाव काफी ज्यादा तनावपूर्ण है, क्योंकि दोनों उम्मीदवारों के बीच काफी तगड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है और कौन जीतेगा, इसको लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है।
ब्राजील का अगला राष्ट्रपति कौन?
ब्राजील के करीब 12 करोड़ मतदाता देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए रविवार को मतदान करेगी और दोनों उम्मीदवारों को मिला ये दूसरा मौका है। एक तरह जहां राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने देश को कंजर्वेटिव विचारधारा के आधार पर ही आगे बढ़ाने का वादा किया है, वहीं वामपंथी विचारधारा के सशक्त नेता लूला सामाजिक और पर्यावरण के मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं। आपको बता दें कि, ब्राजील में पर्यावरण का मुद्दा लगातार गहराया हुआ है, क्योंकि ब्राजील में ही दुनिया का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध अमेजन जंगल है, जहां दो साल पहले भीषण आग लगी थी और लाखों हेक्टेयर जमीन से पेड़-पौधे नष्ट हो गये थे, वहीं लाखों जंगली जानवर मारे गये थे। ऐसा दावा किया जाता है, कि ब्राजील के अमेजन जंगल में जान-बूझकर आग लगाए जाते हैं, जिससे ठेकेदारों को कई तरह के फायदे होते हैं। वहीं, कारखानों की स्थापना के लिए भी जंगल में जान कर आग लगा दिया जाता है।
कौन उम्मीदवार कितना मजबूत?
बोल्सोनारो जब देश के राष्ट्रपति बने थे, उस वक्त वो देश में काफी प्रसिद्ध थे, लेकिन कोविड संकट से निपटने में उन्होंने जितनी लापरवाही बरती, उसके बाद उनके खिलाफ मुकदमा तक चलाया गया। ब्राजील में एक तरफ हर दिन सैकड़ों लोग मारे जा रहे थे और राष्ट्रपति बिना मास्क के सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटाकर रैली करने लगते थे। राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने पिछले साल उस वक्त बाइक रैली निकाली थी, जब ब्राजील के अस्पतालों में लोगों को इलाज के लिए बेड और ऑक्सीजन के लिए जूझना पड़ रहा था। जिसके बाद बोल्सोनारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया था। वहीं, जबकि कई सर्वेक्षणों ने चुनाव प्रचार के अंतिम सप्ताह में जायर बोल्सोनारो और लुलु के बीच काफी कड़ा मुकाबला दिखाया है। हालांकि, लूला को बोल्सोनारो पर मामूली बढ़त दिखाया गया है। लेकिन, इसका मतलब ये भी नहीं है, कि लूला राष्ट्रपति बन ही जाएंगे।
बोल्सोनारो को है हार का डर
आपको बता दें कि, 2 अक्टूबर को चुनाव के पहले चरण के बाद राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने चुनाव में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था, क्योंकि चुनाव के बाद करवाए गये जनमत संग्रह में बोल्सोनारो को अपने प्रतिद्वंदी से पीछे दिखाया गया था। उन्होंने चुनाव करवाने वाली एजेंसी की काफी आलोचना की थी। वहीं,आशंका जताई जा रही है, कि कहीं ब्राजील के राष्ट्रपति भी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रति डोनाल्ड ट्रंप की ही तरह कहीं गद्दी छोड़ने से इनकार ना करें। ब्राजीलियन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1985 के बाद से ये पहली बार है, जब ब्राजील चुनाव में इतना ज्यादा ध्रूवीकरण हो गया है, जिससे पूर्व राष्ट्रपति लुलु की सत्ता में वापसी भी हो सकती है, जिन्हें साल 2018 में रिश्वत लेने के आरोप में दोषी पाया गया था और 19 महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी। हालांक, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए उनके चुनाव लड़ने पर लगी रोक को हटा लिया था।
दोनों नेताओं के चुनावी वादे
पूर्व राष्ट्रपति लुला ने राज्य आधारिक आर्थिक विकास और सामाजिक नीतियों की ओर लौटने की कसम खाई है, जिसने पहली बार ब्राजील पर शासन करते समय कमोडिटी बूम के दौरान लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी, लिहाजा उनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड उनके साथ है। इसके साथ ही उन्होंने अमेजन वर्षावन के विनाश का मुकाबला करने का भी वादा किया है और उन्होंने कहा है, कि वो ब्राजील को वैश्विक जलवायु वार्ता में सबसे आगे रखेंगे। वहीं, अगर बोल्सोनारो अगर चुनाव जीतते हैं, तो फिर वो ब्राजील के बाजारों को मुक्त बनाने के अपने अभियान पर वापस लौट आएंगे। बोल्सोनारो फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में काफी विश्वास करते हैं। वहीं, अगर बोल्सोनारो के नेतृत्व में दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार में लौटती है, तो फिर शक्तिशाली कृषि हितों के गठबंधन को मजबूत किया जाएगा।
मतदान के बाद की चिंताएं
ब्राजील के चुनावी अधिकारी एक बेहद करीबी चुनावी परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं। राष्ट्रपति ब्राजील की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए एक साल से अधिक समय बिताया है। हालांकि, 1996 में इसे लागू किए जाने के बाद से धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन बोल्सनारो के कई समर्थक अब देश के चुनावों की विश्वसनीयता पर संदेह करते हैं। इस साल राजनीतिक हिंसा का एक बढ़ता ज्वार, हाल के हफ्तों में हाई-प्रोफाइल बोल्सोनारो सहयोगियों से जुड़े सशस्त्र टकरावों के कारण, इस आशंका को और बढ़ा दिया है कि चुनाव का परिणाम आने के बाद अगर बोल्सोनारो हारते हैं, तो पूरे देश में हिंसा भड़क सकती है। हिंसा की आशंकाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के नेतृत्व में सुपीरियर इलेक्टोरल कोर्ट (TSE) ने उपद्रव की आशंकाओं के बीच अपने कर्मचारियों और इमारतों की सुरक्षा के लिए योजनाएं तैयार की हैं। दूसरी तरफ बोल्सोनारो के सहयोगी रविवार को मतगणना के दौरान ब्रासीलिया के केंद्रीय क्षेत्र में "विजय पार्टी" का आयोजन कर रहे हैं।
समर्थकों से किया जुटने का आह्लवान
वहीं, राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने अपने समर्थकों से शाम 5 बजे (ब्राजील के समय के मुताबिक) तक मतदान केंद्रों के आसपास रहने के लिए भी कहा है। वहीं, आलोचकों का कहना है कि, राष्ट्रपति का ये आह्वान मतदाताओं को डरा सकता है और संघर्ष को जन्म दे सकता है। आपको बता दें कि, लूला, जो गरीबी में पैदा हुए थे और 1980 के दशक में वर्कर्स पार्टी की स्थापना से पहले ब्राजील की सैन्य सरकार के खिलाफ यूनियन स्ट्राइक का नेतृत्व किया था, उन्होंने मतदाताओं से बोल्सनारो के "नव-फासीवाद" से ब्राजील के लोकतंत्र की रक्षा करने का आह्वान किया है। जबकि, अनिश्चितता के माहौल के बीच बोल्सोनारो ने सेना को सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धांत का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया है, कि मतदान प्रणाली धोखाधड़ी की चपेट में है। ब्राजील के सशस्त्र बलों ने पहले दौर के मतदान के दौरान कुछ वोटिंग मशीनों की जांच की थी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके, कि चुनावी मशीन पूरी तरह से सही है, हालांकि सेना की जांच में क्या निष्कर्ष निकला, इसकी अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है।
ईरान की जेल से रिहा हुई 'जोंबी एंजेलीना जोली' सहर ताबर कौन हैं? कैसे हो गया ऐसा विचित्र हाल