समुद्र को बमों से बांधेगा भारत का दोस्त, चीनी जहाजों का चुटकियों में होगा शिकार, ड्रैगन की दादागीरी टूटेगी?
ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच एक वक्त काफी अच्छे रिश्ते थे, लेकिन बाद में चीन की आक्रामकता की वजह से अब काफी खराब संबंध हो गये हैं। चीन, ऑस्ट्रेलिया में बम गिराने की भी धमकी दे चुका है।
Australia China: ऑस्ट्रेलिया ने चीन से अपनी रक्षा करने के लिए पूरी तरह से तैयारी करनी शुरू कर दी है और जिस तरह की ऑस्ट्रेलिया की प्लानिंग है, उसे देखने के बाद यही लग रहा है, कि ऑस्ट्रेलिया, चीन को एक भी मौका नहीं देना चाहता है। एशिया टाइम्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया, चीन पर सख्त नजर रखने के साथ-साथ स्मार्ट समुद्री माइन्स, खरीदने की तैयारी कर रहा है। माना जा रहा है, कि ऑस्ट्रेलिया अगर समुद्री माइन्स खरीदता है, तो चीन के लिए ये बहुत बड़ा झटका होगा। वहीं, AUKUS समझौते के बाद भी जिस परमाणु पनडुब्बियों को लेकर ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच समझौता नहीं हो पाया है, उस वक्त ऑस्ट्रेलिया नये सिरे से अपनी युद्ध क्षमताओं को विकसित करना चाहता है।
चीन के रास्ते में बम ही बम
इसी हफ्ते सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड (एसएमएच) ने रिपोर्ट दी है, कि ऑस्ट्रेलिया एक अज्ञात यूरोपीय मानवरहित हथियार आपूर्तिकर्ता से, स्मार्ट समुद्री माइन्स की खरीददारी करने वाला है। अखबार ने उस कंपनी का नाम नहीं बताया है और कितने माइन्स की खरीददारी की जाएगी, इसकी संख्या भी नहीं बताई गई है। वहीं, ऑस्ट्रेलियन अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि इसके लिए ऑस्ट्रेलिया 698 मिलियन डॉलर खर्च करेगा और इस समुद्री माइन्स के निर्माता इटली और यूरोप की कुछ प्रमुख हथियार कंपनियां हैं। ऑस्ट्रेलियन मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है, कि ऑस्ट्रेलियाई रक्षा विभाग (डीओडी) सोफिस्टिकेटेड मल्टी-इंपेक्ट सीबेड माइन्स को खरीदने की कोशिश में है। ये समुद्री माइन्स किसी युद्धपोत के गुजरने की आवाज, उसके कंपनी, उसके चुंबकीय दवाब से ही एक्टिवेट हो सकते हैं और उन माइन्स को अपने हिसाब से एक्टिवेट और बंद किया जा सकता है।
चीन के खिलाफ ताकत बढ़ाता ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस डिपार्टमेंट ने एक बयान में कहा है, कि "रक्षा विभाग, स्मार्ट समुद्री माइन्स के अधिग्रहण के लिए तेजी से आगे बढ़ रही है, जो ऑस्ट्रेलिया के समुद्री कम्युनिकेशन साधनों, समुद्री लाइन्स और ऑस्ट्रेलिया के समुद्री दृष्टिकोणों की रक्षा करने में मदद करेगी ... एक आधुनिक समुद्री माइन्स के जरिए हमलावरों को काफी नुकसान पहुंचाया जा सकता है और हमलावरों के लिए समुद्र के अंदर अपने हिसाब से मूवमेंट करना असंभव हो सकता है और हमलावरों के जहाज को किसी एक स्थान पर ही रोका जा सकता है।"
समुद्री माइन्स होते हैं काफी खतरनाक
वहीं, रिटायर्ट ऑस्ट्रेलियान नौसैनिक अधिकारी और माइन्स युद्ध विशेषज्ञ, ग्रेग मैपसन ने एसएमएच रिपोर्ट में लिखा है, कि समुद्री माइन्स ने द्वितीय विश्व युद्ध में अन्य सभी साधनों की तुलना में काफी ज्यादा जहाजों को डूबोया था। उन्होंने, समुद्री माइन्स को "समुद्री युद्ध में तैनात अब तक की सबसे प्रभावी हथियार प्रणाली" के रूप में वर्णित किया है। मैपसन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, कि "समुद्री माइन्स एक अविश्वसनीय रूप से लचीली हथियार प्रणाली है, जो सरकार को आक्रामक और रक्षात्मक दोनों विकल्पों की पेशकश करती है।" उन्होंने समुद्री माइन्स के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर भी जोर दिया है और लिखा है, कि समुद्री माइन्स महीनों तक समुद्र के अंदर अपने दुश्मनों का इंतजार करने के लिए रखे जा सकते हैं और एक बार रखे जाने के बाद उन्हें ढूंढना अविश्वसनीय रूप से मुश्किल हो जाता है और हमेशा संभावित शिकार के बहुत करीब भटकने का इंतजार करते हैं।"
कितने स्मार्ट माइन्स खरीदेगा ऑस्ट्रेलिया?
हालांकि, एसएमएच रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है, कि ऑस्ट्रेलिया कितने स्मार्ट समुद्री माइन्स को खरीदने का इरादा रखता है, लेकिन मैप्सन का कहना है, कि 1,000 यूनिट्स विरोधियों को अपनी सीमा रेखा में आने से रोकने के लिए पर्याप्त होंगे। उसी रिपोर्ट में कहा गया है, कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समुद्री माइन्स का इस्तेमाल करने की अनुमति है, लेकिन फ्री-फ्लोटिंग कॉन्टेक्ट माइन्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसे में, स्मार्ट समुद्री माइन्स, समुद्र के अंदर किसी विशेष क्षेत्र में अपना कंट्रोल स्थापित करने के लिए एक प्रभावी साधन साबित हो सकती हैं। जेम्स गोल्डरिक ने द इंटरप्रेटर में सितंबर 2021 के एक लेख में लिखा था, कि समुद्र के नियंत्रण स्थापित करना, किसी समुद्र क्षेत्र पर ही अपना नियंत्रण स्थापित करना नहीं है, बल्कि असली नियंत्रण का मतलब ये है, कि उस क्षेत्र से गुजरने वाली हर एक जहाज पर आपका नियंत्रण हो, उनपर आपकी मर्जी चले और इसके लिए आवश्यक सीमा तक अपनी रक्षा का विस्तार करना जरूरी हो जाता है।
चीन से ऑस्ट्रेलिया को बड़े खतरे
चीन लगातार ऑस्ट्रेलिया को धमकाया आया है और पिछले साल तो चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने ऑस्ट्रेलिया को बम से उड़ाने की धमकी तक दी थी, लिहाजा ऑस्ट्रेलिया लगातार अपनी क्षमता का विस्तार करना चाहता है। जेम्स गोल्डरिक भी इस वास्तविकता को रेखांकित करते हैं, कि ऑस्ट्रेलिया अल्पावधि में भी बाहरी संसाधनों, विशेष रूप से तेल तक सुरक्षित पहुंच के बिना अपने क्षेत्र की रक्षा नहीं कर सकता है। वह यह भी बताते हैं, कि एक बड़े संघर्ष के दौरान, ऑस्ट्रेलिया को फौरन समुद्र से आयात करने वाली सामग्रियों को कम से कम कम करने की आवश्यकता होगी। गोल्डरिक बताते हैं, कि अगर ऑस्ट्रेलिया के एफ -35 को कई टन ईंधन से नहीं भरा जा सकता है, तो वो युद्ध में जाने लायक नहीं होंगे और ऐसी स्थिति में देश का उत्तरी हवाई ठिकाना किसी काम का नहीं रह जाएगा। लिहाजा, ऑस्ट्रेलिया को या तो समुद्री मार्ग के अलावा कोई और विकल्प देखना होगा, जहां से वो अपने सामानों का आयात कर सके, या फिर उसे अपने समुद्री मार्ग को इतना मजबूत करना होगा, कि उसे युद्ध की स्थिति में कोई दिक्कत ना हो।
पनडुब्बियों पर भी काम करता ऑस्ट्रेलिया
वहीं, यही रणनीतिक तर्क, ऑस्ट्रेलिया के सर्फेस फ्लीट और पारंपरिक पनडुब्बियों पर भी लागू होता है, जिससे ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी समुद्री संचार (एसएलओसी) को असुरक्षित बना दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया, कि ऑस्ट्रेलिया न केवल सतह पर स्थिति हथियारों के माध्यम से बल्कि अंतरिक्ष, भूमि-आधारित, हवाई और समुद्री प्रणालियों के एक जटिल संयोजन के माध्यम से एक निरंतर नौसैनिक उपस्थिति प्राप्त कर सकता है। साथ ही, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि AUKUS गठबंधन के तहत परमाणु पनडुब्बी हासिल करने की ऑस्ट्रेलिया की योजना सफल होगी या नहीं। द इंटरप्रेटर के लिए सितंबर 2022 के एक लेख में, सैम रोगवीन ने 2030 के अंत तक भी अमेरिका या ब्रिटेन से ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियां मिलने की संभावना पर शक जताया है। लिहाजा, ऑस्ट्रेलिया के पास अपनी समुद्री सीमा की, किसी भी कीमत पर रक्षा करनी होगी और अभी से करनी होगी और इसीलिए अब ऑस्ट्रेलिया समुद्री माइन्स पर विचार कर रहा है।
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