क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

AUKUS Deal: ऑस्ट्रेलिया, US और ब्रिटेन के बीच परमाणु पनडुब्बी डील पक्की, इंडो-पैसिफिक में घिरेगा चीन?

सितंबर 2021 में ऑकस का गठन किया गया था, जिसका मकसद इंडो-पैसिफिक में चीन के खिलाफ सैन्य गठबंधन का निर्माण करना है। ऑकस का सदस्य भारत नहीं है।

Google Oneindia News

Aukus deal

AUKUS nuclear submarine plans: चीन के खिलाफ दुनिया की तीन बड़ी ताकतों ने हाथ मिला लिया है और परमाणु संचालित पनडुब्बी को लेकर 'ऐतिहासिक समझौता' हो गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने घोषणा करते हुए बताया है, कि कैसे ऑस्ट्रेलिया, इंडो-पैसिफिक के लिए एक सुरक्षा समझौते के तहत परमाणु पनडुब्बियों का अधिग्रहण करेगा। 18 महीने पहले जब ऑकस का गठन हुआ था, उस वक्त तीनों देशों के बीच परमाणु पनडुब्बियों को लेकर पहली बार बात हुई थी और अब जाकर इस डील को फाइनल किया गया है। आपको बता दें, कि AUKUS समझौते के तहत, ऑस्ट्रेलिया आने वाले सालों में तीन अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियां खरीदेगा और इस खरीददारी का मकसद "मुक्त और खुले" इंडो पैसिफिक का निर्माण करना है, जहां चीन काफी आक्रामक बना हुआ है।

Aukus deal

क्या है ऑकस का परमाणु पनडुब्बी समझौता?

अमेरिका में ऑकस बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सनक और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने सोमवार को एक संयुक्त बयान में कहा, कि प्रारंभिक सौदे के बाद ऑस्ट्रेलिया के पास दो और परमाणु पनडुब्बियों को खरीदने का विकल्प भी होगा, जो 2030 के दशक की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया को मिल जाएगा। ये पनडुब्बियां वर्जीनिया क्लास की होंगी, जिसकी कीमत 50 अरब डॉलर होगी। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के पास ये भी विकल्प होगा, कि वो 58 अरब डॉलर देकर, 2 और पनडुब्बी खरीद सकता है। आपको बता दें, कि इंडो-पैसिफिक में बीजिंग की बढ़ती सैन्य ताकत के खिलाफ अलग अलग देश अपनी शक्ति को बढ़ाने में जुटे हुए हैं। खासकर ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध पिछले कुछ सालों से काफी खराब रहे हैं और चीन, ऑस्ट्रेलिया को बर्बाद करने की धमकी भी दे चुका है। लिहाजा, ऑस्ट्रेलिया ने तेजी से अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने का फैसला किया है। ये सुरक्षा समझौता तीन देशों द्वारा बीजिंग की बढ़ती सैन्य शक्ति और एशिया प्रशांत क्षेत्र में तेजी से चीन की मुखर उपस्थिति का जवाब देने के लिए चल रहे प्रयास का हिस्सा है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षमताओं, हाइपरसोनिक हथियारों और अन्य एडवांस तकनीकों के निर्माण में सहयोग करने की प्रतिबद्धता शामिल है।

Aukus deal

हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन का मुकाबला

ऑकस समझौते के तहत, ऑस्ट्रेलिया को सबसे पहले अमेरिका से कम से कम तीन परमाणु-संचालित पनडुब्बियां प्राप्त होंगी। यानि, ये पनडुब्बियां परमाणु ऊर्जा से चलेंगी और काफी एडवांस टेक्नोलॉजी से लैश रहेंगी। जिसकी वजह से पानी के अंदर ना सिर्फ इसकी रफ्तार तेज होगी, बल्कि काफी कम आवाज निकलेगी और परमाणु ऊर्जा से चलने की वजह से ये पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती है। इन पनडुब्बियों में ब्रिटेन में रोल्स-रॉयस के अत्याधुनिक तकनीक से बनाए गये रिएक्टरों का उपयोग किया जाएगा और तीनों देश मिलकर एक नया बेड़ा तैयार करेंगे। इस समझौते का एकमात्र उद्देश्य, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करना है। कैलिफोर्निया के सैन डिएगो नेवल बेस पर बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, कि "पनडुब्बियों में परमाणु हथियार नहीं होंगे और परमाणु मुक्त देश होने की ऑस्ट्रेलिया की प्रतिबद्धता को खतरे में नहीं डालेंगे।

Aukus deal

Recommended Video

AUKUS में India और Japan की एंट्री नहीं, America ने किया इनकार | वनइंडिया हिंदी

ऑस्ट्रेलियन नेवी होगी ताकतवर

सोमवार को हुई डील के तहत, रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी (आरएएन) के सदस्यों को इस साल से यूएस और यूके सबमरीन बेस में एम्बेड किया जाएगा, ताकि पनडुब्बियों का उपयोग करने के लिए आवश्यक कौशल हासिल किया जा सके। वहीं, इस डील के तहत साल 2027 से, यूएस और यूके पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पर्थ शहर रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी (RAN) बेस पर परमाणु पनडुब्बी का आधार बनाएंगे। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया, 2030 के दशक की शुरुआत में तीन अमेरिकी वर्जीनिया-श्रेणी की पनडुब्बियों को खरीदेगा। उसके बाद, यूके और ऑस्ट्रेलियाई नौसेनाओं के लिए SSN-AUKUS नामक एक पूरी तरह से नई परमाणु-संचालित पनडुब्बी का डिजाइन और निर्माण की जाएगी। यह अटैक क्राफ्ट ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटिश डिजाइन के हिसाब से बनाया जाएगा, लेकिन इसमें तीनों देशों की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। जिन पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा, वो अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित होंगी, जो क्रूज मिसाइलों के साथ अपने मौजूदा बेड़े की तुलना में आगे और तेजी से यात्रा कर सकती हैं, और जमीन और समुद्र पर लक्ष्यों को मार सकती हैं।

कितने अरब डॉलर की है ये डील

ऑकस डील के तहत, परमाण पऩडुब्बियों के लिए अभी से लेकर साल 2050 तक 268 अरब डॉलर से 368 अरब डॉलर तक खर्च किए जाने की संभावना है। इसमें अमेरिका और ब्रिटेन की तरफ से भी वित्तीय मदद दी जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल ऑस्ट्रेलिया परमाणु पनडुब्बी प्रोजेक्ट के लिए 3 अरब डॉलर ब्रिचेन और अमेरिका में टेक्नोलॉजी में निवेश करेगा। आपको बता दें, कि सितंबर 2021 में ऑकस की घोषणा की गई थी। फिलहाल, ऑस्ट्रेलिया के पास कॉलिन्स क्लास की डीजल से चलने वाली इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं, जो साल 2038 तक सर्विस से बाहर हो जाएंगी। लिहाजा, ऑस्ट्रेलिया की कोशिश, उस वक्त कर परमाणु पनडुब्बियां हासिल करने की हैं। इस डील के तहत साल 2040 तक ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर क्षमता वाली पनडुब्बियां मिल जाएंगी।

World War-3: महाशक्तियों का अहंकार, क्या QUAD, AUKUS और CHIP-4 बो रहे तीसरे विश्वयुद्ध का बीज?World War-3: महाशक्तियों का अहंकार, क्या QUAD, AUKUS और CHIP-4 बो रहे तीसरे विश्वयुद्ध का बीज?

Comments
English summary
Aukus nuclear submarines deal: A deal has been signed between Australia, America and Britain regarding nuclear powered submarines, which aims to compete with China in the Indo-Pacific.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X