देश गुजरात चुनाव में व्यस्त था, उधर चीन बाजी मार गया
बीजिंग। देश का मीडिया और राजनेताओं ने सिर्फ गुजरात पर जोर लगाने पर ध्यान दिया है, लेकिन इस बीच कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा तो दूर किसी का ध्यान भी नहीं गया। देश जब गुजरात चुनाव में व्यस्त था, तब पीछे से चीन ने बाजी मार ली। हालांकि, नई दिल्ली में बैठी सरकार के अनुसार, वो चीन के हर गतिविधियों पर ध्यान दे रही है, लेकिन फिर से पैदा हुआ डोकलाम का जिन्न से लेकर मालदीव के साथ बीजिंग की डील भारत के लिए किसी चिंता से कम नहीं है।
फिर लौटा डोकलाम का जिन्न
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोकलाम गतिरोध खत्म होने के बाद एक बार फिर चीन सेना ने एक बार इस विवादास्पद जमीन पर डेरा डालने की हिमाकत की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, डोकलाम क्षेत्र में 1600-1800 चीनी सैनिक फिर आ जमे हैं। वे यहां हेलिपैड्स, रोड और शिविरों को बनाने का काम कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि चीन की सेना इस क्षेत्र में अपना स्थाई रूप से जगह बनाने की कोशिश में लगी है। वहीं, हाल ही में दिल्ली में आरआईसी की मिटिंग में भी चीन के विदेश मंत्री ने कहा था कि डोकलाम मे भारतीय सेना ने अवैध कब्जा करा है।
नेपाल में ओली का राज
नेपाल में पहली बार धमाकेदार ढंग से वामपंथी गठबंधन की सरकार बनी है और केपी ओली एक बार फिर सत्ता संभालेंगे। केपी ओली का नेपाल का पीएम बनना भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि ओली का रवैया हमेशा से ही नई दिल्ली के खिलाफ रहा है और चीन के नजदीक। ओली पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वे आते ही रेल लिंक से चीन को जोड़ा जाएगा। वहीं, 1950 में बनी भारत के साथ विदेश नीति को भी बदला जाएगा। नेपाल में केपी ओली की सरकार बनने से चीन और काठमांडू की नजदिकियां बढ़ेगी।
हंबनटोटा
श्रीलंका ने रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को औपचारिक तौर पर चीन को 99 साल के पट्टे पर दिया है। चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स कंपनी द्वारा प्रबंधित हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप और हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट सर्विसेज तथा श्रीलंका पोर्ट्स् अथॉरिटी इस बंदरगाह तथा इसके आसपास के निवेश क्षेत्र को नियंत्रित करेंगे। इस पोर्ट पर चीन का 70 प्रतिशत शेयर होगा।
मालदीव
पिछले सप्ताह चीन और मालदीव के बीच एक एतिहासिक समझौता हुआ है। मालदीव और चीन के साथ मुक्त व्यापार समौझाता (FTA) हुआ है, जो भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है। मालदीव यह समझौता भारत के साथ करने वाला था, लेकिन अब यह महत्वपूर्ण करार चीन के साथ हो चुका है।